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Friday, December 3, 2021

शायरी, ज्योतिष और अध्यापन की त्रिवेणी-डा. नीना सैनी

 3rd December 2021 at 10:07 PM WHatsApp

शायरा प्रभजोत कौर के साथ मुलाकात में खुलासे 

मोहाली: 3 दिसंबर 2021: (प्रभजोत कौर//वीमेन स्क्रीन)::

ज्योतिष और शायरी का सुमेल डा.नीना सैनी 
अपनी जिंदगी तो हर कोई जी लेता है। पर अपनी हर सांस लोक सेवा में लगानी हर किसी के बस की बात नहीं है। पर जो ऐसा करते हैं वो लोग भगवान् का वरदान होते हैं। ऐसी ही हैं  चंडीगढ़ की डा.नीना सैणी। मेरे साथ हुई उनकी मुलाकात और बातचीत के कुछ अंश पाठकों के रूबरू। शायरी, ज्योतिष और अध्यापन की त्रिवेणी हैं डा. नीना सैनी। उन्होने दर्द को दवा बनाया और आसमान की ऊंचाई को छुया। 

अपने जन्म की बात करते हुए नीना सैनी ने बताया उनका जन्म 16 अक्तूबर 1963 में नंगल में पिता श्री  शांति सरूप और माता श्रीमती पुष्पा देवी जी के घर हुआ। इसके बाद बचपन बहुत से तूफ़ान भी ले कर आया शायद इन्हीं  मुकाम तक पहुंचाया। 

नीना जी बताती हैं मेरे परदादा जी और दादा जी पाकिस्तान में जैलदार थे। मेरे पिता जी और दादा जी बहुत मशहूर एथलीट भी थे । मेरे परदादा जी के नाम से भोला चक्क गांव आज भी मशहूर है। 1947 के बंटवारे के दौरान मेरे दादा जी और पिता जी भारत आ गए। पिता जी जाती करने लगे।  पिता जी की शादी के कई बर्षों बाद बहुत दुआएं मांगने के बाद मेरा जन्म हुआ। मैं बहुत लाडली थी। पिता जी एक अच्छे खिलाड़ी थे तो मेरा बचपन भी खेलते हुए ही अतीत हुआ। हमारे घर में हर तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ थीं।  सभी परिवारिक सदस्य सभी के ही साथ  मिलनसार थे। मैं और मेरे भाई को कभी भी कोई कमी महसूस होने ही नहीं दी गई। 

जल्द ही शादी ब्याह की बात भी चलने लगीं। इसी के बाद शुरू होता है लड़की का नया जीवन। अपने अतीत में झांकते हुए नीना जी बताती हैं-मैने एम ए एम एड की पढ़ाई पूरी की तो मेरी शादी सरकारी बैंक में मैनेजर के तौर पर नौकरी करने वाले सरदार अजीत सिंह धनोता जी के साथ 1986 में  हुई।

मेरे ससुराल के सभी सदस्य पढ़े लिखे और आधुनिक सोच के मालिक हैं तो इसलिए मुझे अपने शादीशुदा जीवन में कभी कोई परेशानी नहीं हुई।

पति ने मेरी सरकारी नौकरी के सपने को साकार करने में मेरा पूरा साथ दिया। हमारे दो प्यारे प्यारे बच्चे (बेटा और बेटी) हैं । बेटी ने ब्रेस्ट कैंसर में पी जी आई चंडीगड़ से पीएचडी की। उस की शादी हो चुकी है। बेटे ने B.ped, M.ped  की है और इंटरनेशनल पिस्टर शूटर के रूप में कई सोन तगमे भी अपने नाम किए हैं। 

पंजाबी शायरा डा. नीना सैनी 
ज़िंदगी की कहानी किसी फिल्म की तरह चल रही थी बहुत ही सहज लेकिन यहीं पे आया एक खास नाज़ुक मोड़। नीना जी अचानक ज्योतिष की तरफ मुड़ गईं। ज्योतिष के इस मार्ग की खबर भी उनके अतीत से गहरे में जुडी हुई है। जीवन में आए दुखों के तूफानों ने उन्हें इस राह पर चलने की शक्ति भी दी और प्रेरणा भी। 

वह बताती हैं-मैं बहुत छोटी थी जब एक भयानक रात में  अंधेरी के कारण घर की छत मेरी माँ के उपर गिर गई और उनकी मौत हो गई।  हमारी सारी खुशियाँ पल भर में ही बिखर गईं। रिशतेदारों के कहने पर पापा ने दूसरी शादी की। माँ बहुत प्यार करती थी। हम दोनों भाई बहन बहुत होशियार थे। भाई की सगाई कर दी गई। विदेश जाने की तैयारी में था। पर भगवान् को  कुछ और ही मंजूर था उसने भाई के मौत के संग फेरे करवा दिए। फिर माया जी की मौत, कुछ देर बाद पिता जी की मौत ने मुझे पूरी तरह से झिंझोड़ दिया। बच्चों की शादी के बाद मेरे पास समय था कि मैं अपने साथ हुए हादसों के कारणों के बारे सोच सकूँ, समझ सकूँ। इस के लिए मैंने ज्योतिष का मार्ग चुना। ऐसट्रोलोजी में Phd की। मेरी जिंदगी ने मुझे बहुत चोटिल किया था मैने खुद से प्रण किया कि मैं अपनी इस पढ़ाई से दूसरों की सेवा करूँगी और उनके जिंदगी के कष्टों को सहने के लिए उनकी मदद करूँगी। 

इसी शिक्षा के क्षेत्र में भी आप ने ऐसट्रोलोजी में कौन कौन सी डिग्रियां और सम्मान प्राप्त किए हैं। उनकी संक्षिप्त सी चर्चा पर नीना जी कहती हैं रेकी ग्रैंड मास्टर, ऐसट्रोलोजी, निम्रोलोजी, टैरो कार्ड रीडर, वास्तु, फेंगशुई, क्रिस्टल गेज़र, पास्ट लाईफ रिग्रेशन, नाड़ी ऐसट्रो, मैडीटेशन में डिग्रीयां हासिल की हैं। 

आनरेरी लाईफटाईम मेंबर सर्टीफिकेट, इंटरनेशनल ऐसट्रलोजी  फेडरेशन आई ऐ एफ, मैंबरशिप एंड कन्टरीबिऊशन टू दा ऐसट्रो मिलेनियर क्लब, सर्टीफिकेट ऑफ एसट्रोलोजीकल अचीवमेंट, इंटरनेशनल सर्टीफाईड कंसल्टेंसी आई सी सी इत्यादि। 

यहीं से शुरू होता है नीना जी की ज़िंदगी का एक नया अध्याय। एक नया रास्ता। वह साहित्य रचना की तरफ भी सक्रिय हुईं। आप एक सफल कवित्री भी बनी।  कलम को हमसफ़र बनाने का पुस्तक भी लिखी। 

इस लेख की लेखिका प्रभजोत कौर 
अपनी इस साहित्य साधना पर नीना जी ने बताया मेरी जिंदगी में बहुत दर्दनाक घटनाओं के घटने से मन बहुत परेशान रहने लगा। कुछ सवाल विचलित करने लगे कि ये हादसे मेरे साथ ही क्यूँ हुए बस....इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए मैंने ऐस्टरोलोजी का सहारा लिया।

मैं अपने दर्द को किस से कहती, सभी परिस्थियों से परेशां थे। मैं अपने मन के भाव कागज पर लिख देती थी ।कविता बन जाती मुझे पता ही नहीं चला।  इसी तरह काव्य संग्रह भी बन गया। उनकी शायरी का यह सनकजलं पंजाबी में प्रकशित ही चुका है। 

आप एक सरकारी स्कूल में लैक्चरार भी हो, आप 31 अक्टूबर 2021 को  रिटायर्ड हुए  हो, भविष्य में आपकी क्या योजनाएं हैं। आप लेखिका के रूप में आगे बढ़ेंगी या ऐसटरोलोजी के क्षेत्र में? 

इस पर कुछ सोचते हुए वह बताती हैं-लिखना मेरा शौक है और ऐसट्रोलोजी मेरा पैशन है। मैं दोनों क्षेत्रों में आगे जाना चाहती हूँ। साहित्यिक और ऐसट्रोलोजी शिक्षा से सेवा करना चाहती हूँ। नौकरी के कारण बहुत से काम अधूरे रह गए हैं, मसलन विश्व यात्रा भी उनमें एक है। उसे पूरा करना चाहती हूँ। ऐसट्रोलोजी पर एक अच्छी किताब भी लिखनी है। इसमें ज्योतिष पर मेरे अनुभव भी होंगें और तजुर्बे भी। ज्योतिष पर अभी भी बहुत कुछ लिखना बाकी है। यह एक विज्ञानं है जिसे सब के सामने लेन का प्रयास करना ही होगा। 

इसके साथ ही मैंने उन्हें इस पुस्तक पर बधाई दी। आप के पहले पंजाबी काव्य संग्रह' "सध्धरां दी हवेली"  के लोकार्पण के लिए  हार्दिक  बधाई। साथ ही कहा आशा करती हूं कि भगवान् आपके हर सपने को पूरा करें। 

प्रभजोत कौर मोहाली 

9501654219

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Saturday, November 27, 2021

बच्चों के विचारों, अधिकारों और पोषण विषय के साथ विशेष आयोजन

प्रविष्टि तिथि: 26 NOV 2021 7:23PM by PIB Delhi

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मनाया नवंबर के दौरान 'आजादी का अमृत महोत्सव'

नई दिल्ली: 26 नवंबर 2021:(पीआईबी)::

भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के महत्वपूर्ण अवसर का जश्न मनाने के लिए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 14-21 नवंबर 2021 के दौरान 'बच्चों के विचारों, अधिकारों और पोषण' विषय के साथ आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। इसका उद्देश्य बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना और मुख्य रूप से बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआईएस) और विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों के जनता के बीच जाकर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से इस दिशा में समुदाय की सामूहिक विचार प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना था।

इस सप्ताह के दौरान, डब्लूसीडी मंत्रालय के अधिकारियों ने 17 बाल देखभाल संस्थानों का दौरा किया जिसमें राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह, विशेष बाल गृह और विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियां शामिल हैं, जो 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (दिल्ली, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, असम, मध्य प्रदेश, मेघालय और मणिपुर) में मौजूद हैं। इसके अलावा संस्कृति और पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से बच्चों के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया।

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यह वास्तव में सीसीआई में बच्चों के लिए एक प्रेरक और शिक्षित करने वाला अनुभव था। उनके मासूमियत भरे स्वभाव और उत्साह ने सीसीआई में जीवंत और सकारात्मक माहौल बना दिया। हमारी मातृभूमि की महिमा का बखान करने वाली कविताओं का पाठ हो या गायन, उनकी मुस्कुराहट देखने लायक थी। बच्चों ने अपने पसंदीदा स्वतंत्रता सेनानियों के कहे प्रसिद्ध कथनों का मंचन किया और कैनवास पर विषय आधारित चित्रकारी की। उन्होंने पर्यावरण को बचाने, पौधे लगाने, प्लास्टिक का उपयोग कम करने जैसे कई संकल्प भी लिए। 'अगले 25 वर्षों के लिए भारत का दृष्टिकोण' विषय पर भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। बच्चों ने मातृभूमि के प्रति समर्पण भाव के साथ दिल को छू लेने वाले भाषण दिए। बच्चों ने सांस्कृतिक विरासत और भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के महान नेताओं और नायकों की कहानियों पर वीडियो स्क्रीनिंग का आनंद लिया। बच्चे खुशी-खुशी राष्ट्रीय संग्रहालय भी गए, जो सबमें कौतूहल पैदा करता है।

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 सप्ताहभर, डब्लूसीडी मंत्रालय ने गोद लेने वाले माता-पिता और आगे गोद लेने के बारे में सोच रहे माता-पिता के साथ बैठकें की और विशेष कार्यक्रम/वेबिनार का आयोजन किया गया। ये बैठकें महाराष्ट्र में हुईं और एनआईपीसीसीडी गुवाहाटी में क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसका मकसद मुख्य रूप से कानूनी रूप से गोद लेने, गोद लेने के नियमों में परिवर्तन और एनआरआई माता-पिता पर इसके असर के बारे में बताना था। राज्य सरकारों, राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसियों, जिला बाल संरक्षण इकाइयों, विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों और विदेश में भारतीय मिशनों के अधिकारियों ने इन कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। विधि और न्याय मंत्रालय, बाल अधिकार केंद्र, एनसीईआरटी, यूनिसेफ के अधिकारियों और बच्चों के लिए काम कर रहे 1600 विभिन्न हितधारकों की भागीदारी के साथ एनआईपीसीसीडी द्वारा बाल अधिकारों पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया।

विदेश मंत्रालय ने प्रवासी बच्चों के लिए 'देखो अपना देश' विषय पर प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया। विभिन्न प्रतियोगिताएं जीतने के बाद पुरस्कार मिलने पर बच्चों का उत्साह चरम पर था।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने 21 नवंबर 2021 को गांधी दर्शन, नई दिल्ली में बाल संरक्षण से जुड़े मुद्दों के निवारक पहलुओं पर जोर देते हुए बाल अधिकारों पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यक्रम का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि माननीय मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि किसी लोकतंत्र की सबसे अच्छी कसौटी यह होती है कि एक नागरिक और एक राष्ट्र के रूप में हम अपने सभी बच्चों को न्याय दिला पाते हैं या नहीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाल अधिकारों के प्रति समाज की चेतना को विकसित करना जरूरी है ताकि वे बच्चों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए आगे आ सकें। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें संसद द्वारा बच्चों के यौन अपराधों से संरक्षण, पॉक्सो अधिनियम और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम में संशोधन शामिल हैं। हालांकि, समाज लगातार बदल रहा है और प्रशासनिक जरूरतें गतिशील हैं, इसलिए यह हम पर निर्भर है कि हम समय के साथ चलें और चुनौतियों के समाधान के साथ तत्पर रहें। उन्होंने कार्यशाला के प्रतिभागियों से आग्रह किया कि जब वे गरीबी से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का विश्लेषण करें, तो उन उत्पीड़नों पर भी ध्यान दें जो समृद्ध परिवारों, शक्तिशाली संगठनों एवं बच्चों की देखभाल करने वाले संस्थानों में होते हैं। हम इस बात पर भी गौर करें कि एक प्रशासक के रूप में ही नहीं बल्कि एक नागरिक के रूप में कैसे इसका समाधान निकाल सकते हैं।


डब्लूसीडी मंत्रालय के सचिव श्री इंदेवर पांडे ने
अपने संबोधन में कहा कि किसी भी संस्थान, व्यक्तिगत रूप से या प्राधिकारी की देखभाल के दौरान उपेक्षा, हिंसा और दुर्व्यवहार (जो शारीरिक, यौन, आर्थिक शोषण हो सकता है) से संरक्षण हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। इस तरह की सुरक्षा के लिए बच्चों के अधिकार को बाल अधिकार (सीआरसी) पर संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन, 1989 और भारत के संविधान व कई अन्य कानूनों द्वारा मान्यता मिली हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत सरकार ने देश के बच्चों के हित में विभिन्न स्तरों पर संस्थागत तंत्र बनाए हैं। उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में बच्चों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता और साइको सोशल काउंसलिंग जैसे मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि मंत्रालय ने 'संवाद' की स्थापना की है जो एनआईएमएचएएनएस के साथ ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक संस्थागत तंत्र है।

एनसीपीसीआर कार्यशाला में देशभर में बाल अधिकारों पर काम कर रहे हितधारकों ने हिस्सा लिया, जिसमें राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के अध्यक्ष/सदस्य; मानव तस्करी विरोधी यूनिटों (एएचटीयू); बाल संरक्षण सेवा के तहत काम करने वाले अधिकारी; बाल अधिकारों के क्षेत्र में काम कर रहे एनजीओ के प्रतिनिधियों, वर्चुअल रूप से जुड़े केंद्र/यूटी के पंचायती राज विभाग, श्रम और शिक्षा विभाग के प्रतिभागी शामिल थे। एनसीपीसीआर कार्यशाला के दौरान बाल तस्करी से बचाव और पुनर्वास, बाल तस्करी के प्रकार, कोविड-19 महामारी के दौरान तस्करों की कार्य प्रणाली, बाल सुरक्षा, बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा और इसकी रोकथाम के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। एक खुली चर्चा भी आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता, अध्यक्ष एनसीपीसीआर ने की। इस दौरान सड़कों पर बच्चों की स्थिति की बात करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत सीआईएसएस पर उठाए जाने वाले कदमों की चर्चा की गई।

डब्लूसीडी मंत्रालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के तहत एक सप्ताह तक हुए कार्यक्रमों का पूरा पैकेज बच्चों को अपनी रचनात्मकता के बारे में जागरूक करने के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा जिससे वे नए और अभिनव विचारों को आत्मसात कर आत्मनिर्भर बन सकें। देशभक्ति, देश की उपलब्धियों पर गर्व की भावना का आह्वान किया गया क्योंकि हम एक आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

21 नवंबर को महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी ने एक ट्वीट संदेश में अपने देश के लिए एक संकल्प लेने को प्रोत्साहित किया। केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट में कहा, 'प्यारे #ChildrenOfNewIndia, हमारे राष्ट्र के अगले 75 साल आपके हैं। एक मजबूत और विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में योगदान करने का संकल्प लें। आपके सपने हमारे हैं जिन्हें पूरा करने के लिए हम अपना कर्तव्य निभाना जारी रखेंगे। आओ मिलकर एक नया भारत बनाएं!'


Monday, November 22, 2021

वीमेन स्क्रीन को आप की इंतज़ार है

 अपनी रचना भी भेजिए और आयोजन रिपोर्टें भी 


यदि किसी के साथ सर्वाधिक अन्याय हुआ है तो
वह है औरत। यदि किसी का सर्वाध्क शोषण हुआ है तो वह है औरत। यदि सम्मान पूर्वक और अपमान पूर्वक किसी की बलि ली गई है ते वो है औरत। सच समझना हो तो घरों से ही समझ आने लगेगा इस को विशेष खोज करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। बहुत कम लोग पीर पैगंबर और जीनियस बन कर सामने आए जिन्होंने इस बेइन्साफी की खुल कर निंदा की। फिल्म जगत में भी बहुत सी फ़िल्में सामने ै। साहित्य में बहुत सा साहित्य सामने आया लेकिन औरत का उत्पीड़न बंद नहीं हुआ। समाज का बहुत बड़ा हिस्सा उसके खिलाफ ही रहा। आज भी खिलाफ ही है। 

इसके बावजूद औरत ने बहुत सी उपलब्धियां हासिल करके अपना लोहा मनवाया। शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा बचा हो जिसमें औरत ने अपनी सर्वोचता साबित न की होगी। हकीकत है यह बात की औरत आसमान छूने लगी है केवल अपने पंखों के सहारे। उसकी उड़ान निरंतर बढ़ रही है। उसका वर्चस्व भी बढ़ रहा है। फिर भी अभी बहुत कुछः किया जाना बाकी है। उसकी पूरी स्वतंत्रता अभी तक उसके पास नहीं आई। कोई न कोई पुरुष उसकी ऊँगली पकड़ कर जीवन भर उसे चलना सिखाता है। समाज में अभी तक महिलाओं के लिए सुरक्षित पर्यावरण नहीं बना। स्वयंबर के दिनों में उसके साथ अन्याय होता था और आज लिव-इन के दिनों में भी होता है। पुरुष का साथ उसे अभी तक अर्धनारीश्वर की तरह नहीं बन पाया। अभी बहुत कुछ करना बाकी है। अभी तो कहती कहाती महिलाओं को नारितत्व या नारीवाद के लिए लड़ाई लड़नी पड़ती है। उसे अभी भी फेमिनिस्ट होने की बात किसी ताने की तरह सुनाई जाती है। उसे अभी भी मज़ाक मज़ाक में निशाना बनाया जाता है। उसे अभी भी उसका हक किसी अहसान की तरह दिया जाता है। देवी कह कर पूजा अर्चना भी की लेकिन वास्तविक जीवन में इंसान भी नहीं समझा। 

इसे रोकना होगा। संघर्ष तेज़ करना होगा। एकजुटता बढ़ानी होगी। आपसी तालमेल और ज़्यादा मज़बूत करना होगा और एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिला कर चलना होगा। जगह जगह काफिले बनाने होंगें। जगह जगह आयोजन भी करने होंगे। हमें आपकी इंतज़ार रहेगी। किस जगह क्या हुआ, क्या हो रहा है, क्या होने वाला है इसकी जानकारी आप हमें भेज सकते हैं ईमेल पर भी। आप अपनी सभा सभाओं की जानकारी भी इसी पते पर भेज सकती हैं। आप नियमित तौर पर भी इस मंच से जुड़ सकते हैं। 

Email: medialink32@gmail.com

WhatsApp: +919915322407

Sunday, November 14, 2021

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का 14 से 21 नवंबर तक विशेष प्रयास

प्रविष्टि तिथि: 14 NOV 2021 6:19 PM by PIB Delhi

बच्चों के विचारों, अधिकारों और पोषण को लेकर आज़ादी का अमृत महोत्सव सप्ताह शुरू

बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने और इस दिशा में बड़े पैमाने पर समुदाय की सामूहिक विचारधारा को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित की जाने वाली गतिविधियों और कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी


नई दिल्ली
: 14 नवंबर 2021: (पीआईबी)::

इन दिनों स्वतंत्र भारत के 75 वर्ष का जश्न मना रहे हैं, ऐसे में महिला और बाल विकास मंत्रालय गतिविधियों और कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की मेजबानी करने की योजना बना रहा है जो मंत्रालय के व्यापक दृष्टिकोण, यानी महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के अनुरूप है। 14 नवंबर से 21 नवंबर 2021 तक बच्चों के विचारों, अधिकारों और पोषण विषय को शामिल करने वाली गतिविधियों की योजना बनाई गई है। इन गतिविधियों में बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) और विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों में जनसम्पर्क गतिविधियां, दत्तक जागरूकता कार्यक्रम, कानूनी जागरूकता, बाल और किशोर स्वास्थ्य, बाल अधिकार आदि पर सेमिनार / वेबिनार शामिल हैं। इसका उद्देश्य बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सप्ताह का उपयोग करना और इस दिशा में बड़े पैमाने पर समुदाय की सामूहिक विचार प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना है।

मंत्रालय ने आज यानी 14 नवंबर, बाल दिवस के रूप में विभिन्न बाल देखभाल संस्थानों में कई गतिविधियों के साथ इस सप्ताह की शुरुआत की। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने आज नई दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री एन.वी. रामणा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के 'अखिल भारतीय विधिक जागरूकता और जनसम्पर्क अभियान' के समापन समारोह में भाग लिया। अमृत​महोत्सव के हिस्से के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम ने लगभग 70 करोड़ भारतीयों को प्रभावित किया और उन्हें उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक किया। बच्चों के विकास और संरक्षण के लिए उनके कानूनी अधिकारों पर जोर देने के लिए एनएएलएसए का आभार व्यक्त करते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती इरानी ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने भी निमहंस के सहयोग से संवाद के माध्यम से सुनिश्चित किया है कि 1 लाख से अधिक हितधारकों को संकटग्रस्त बच्चों की मदद करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। मंत्री महोदया ने बताया कि अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में, संवाद के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बच्चों के साथ काम करने वाले पेशेवरों के लिए हस्तक्षेप (कानूनी और मानसिक स्वास्थ्य) और बाल यौन शोषण से निपटने के लिए आवश्यक कौशल पर कार्यशालाओं का आयोजन करेगा। ये कार्यशालाएं 8 जनवरी से 22 फरवरी 2022 के बीच आयोजित की जाएंगी।

इस सप्ताह के दौरान, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, मेघालय और मणिपुर जैसे राज्यों में फैले कम से कम 17 बाल देखभाल संस्थानों के दौरे की योजना बनाई गई है। इन गतिविधियों में भारत की सांस्कृतिक विरासत पर बच्चों के लिए वीडियो स्क्रीनिंग, लोक नृत्य, राष्ट्रीय संग्रहालय का दौरा, भारत के महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में कहानी सुनाना, भारतीय इतिहास और विरासत पर प्रश्नोत्तरी और इको क्लब की मदद से पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम शामिल होंगे।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय की सहायता से प्रवासी भारतीय बच्चों के लिए 'देखो अपना देश' विषय पर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित कर रहा है। इसके अलावा, इस कार्यक्रम में संवाद के माध्यम से बाल और किशोर मानसिक स्वास्थ्य तथा बाल यौन शोषण पर राष्ट्रीय परामर्श शामिल होगा। ये परामर्श महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और निमहंस के तत्वावधान में जनवरी और फरवरी 2022 के महीनों के दौरान बाल यौन शोषण पर काम करने के लिए आवश्यक हस्तक्षेप और कौशल पर चर्चा के माध्यम से आगे बढ़ेंगे।

इसके अलावा, गोद लेने वाले माता-पिता और भावी दत्तक माता-पिता के लिए गोद लेने से संबंधित कानूनी और प्रक्रियात्मक प्रक्रियाओं के लिए बेंगलुरु, कोलकाता, गुवाहाटी, लखनऊ, पटना, पुणे और चंडीगढ़ में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। हाल ही में जेजे अधिनियम में संशोधन किए गए थे, जिसके बाद एनआरआई भावी दत्तक माता-पिता के लिए गोद लेने के नियमों को संशोधित किया गया है, इसलिए राज्य दत्तक ग्रहण प्राधिकरणों और विदेशों में भारतीय मिशनों के लिए जागरूकता वेबिनार / सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं।

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Friday, October 15, 2021

कौन जलाए आज के रावण--कौन जलाए इनकी लंका

3 साल की बच्ची भी नहीं बचती, इन हैवानों से

यह रचना कहां पढ़ी थी.अब यह भी भूल गया। लेखक का पता पश्ते वक्त भी पता नहीं चल सका। इसे इस उम्मीद से सहेज कर रख लिया की शायद जल्द ही लेखक का पता चल सके सम्भव न हो सका। आज दशहरा। सीता माता का हरण करने वाले रावण के अंत की बातें दोहराता दिन। अतीत की बातें करता दिन। अतीत के किस्से दोहराता दिन लेकिन जो आज के रावण हैं उनकी तरफ से आज भी ऑंखें बंद हैं। उनकी चर्चा क्यों नहीं? कौन जलाएगा उन्हें। पढ़िए ज़रा इस रचना को। अंदर तक झंकझोर डालती है। -रेक्टर कथूरिया


बेशर्मी की हद

सब एक सा तो हे,


डिग्रियाँ सलीका नहीं देती,
उम्र लिहाज़ नहीं सिखाती,
DTC की बस नहीं,
तो Metro ही सही,
तम्बाकू खाने वाला ज़ाहिल नहीं,
तो Tie लगाने वाला पढ़ाकू सही,
कमर बस लड़की की चाहिए,
सीने पर हाथ फिराने की मोहलत,
और चलते हुए हाथों को छूने का मौका,
घर पर बहन ठीक है काफी है,
बाहर की हर लड़की एक चीज़ है,
ज़्यादा लिप्सटिक, टाइट कपड़े,
और चाल में उछाल बस काफी है बहाने को,
3 साल की बच्ची भी नहीं बचती, इन हैवानो से,
पहले दूर से देखो, फिर मुस्कुरा दो,
अकेले हो तो हाथ पकड़ लो,
अंधेरा हो तो कमर जकड़ लो,
एक हाथ सीने पर, दूजे से मूह दबा दो,
ज्यादा हाथ - पैर चलाए तो कान पर लगा दो,
यह कहानी सी हो गइ है,
ये बांते रोज़ की, पुरानी सी हो गइ है।
अफसोस है?
शर्म है?
या बेशर्मी की हद?

(लेखक गुमनाम है)


Monday, September 27, 2021

एनसीडब्ल्यू ने डेयरी फार्मिंग में महिलाओं के लिए की शुरुआत

प्रविष्टि तिथि: 27 SEP 2021 at 2:27 PM by PIB Delhi

   शुरू किया देशव्यापी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम  

वित्तीय स्वतंत्रता, महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है: एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष


नई दिल्ली
: 27 सितंबर 2021: (पीआईबी//वीमेन स्क्रीन)::

डेयरी फार्मिंग और संबद्ध गतिविधियों से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए एनसीडब्ल्यू भारत भर के कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग कर रहा है। एनसीडब्ल्यू का उद्देश्य महिला, किसानों और स्वयं सहायता समूहों को वैज्ञानिक प्रशिक्षण एवं व्यावहारिक विचारों के माध्यम से डेयरी फार्मिंग क्षेत्र में विस्तार गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संचालित करने में मदद करना है। 

ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करने और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के एक प्रयास के तहत, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने डेयरी फार्मिंग में महिलाओं के लिए एक देशव्यापी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया है। आयोग डेयरी फार्मिंग और संबद्ध गतिविधियों से जुड़ी महिलाओं की पहचान और प्रशिक्षण के लिए पूरे भारत में कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग कर रहा है। इन गतिविधियों में मूल्यवर्धन, गुणवत्ता वृद्धि, पैकेजिंग और डेयरी उत्पादों का विपणन अन्य शामिल हैं।

परियोजना के तहत पहला कार्यक्रम हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से राज्य के हिसार जिले में स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए 'मूल्य वर्धित डेयरी उत्पाद' के विषय पर आयोजित किया गया था। परियोजना का शुभारंभ करते हुए, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा ने कहा कि वित्तीय स्वतंत्रता महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत की महिलाएं डेयरी फार्मिंग के हर हिस्से में शामिल हैं, फिर भी वे वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में असमर्थ हैं। एनसीडब्ल्यू का लक्ष्य अपनी परियोजना के माध्यम से महिलाओं को डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, उनके मूल्यवर्धन, पैकेजिंग और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने तथा उनके उत्पादों के विपणन से जुड़ा प्रशिक्षण देकर सशक्त करना और वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में उनकी मदद करना है।

राष्ट्रीय महिला आयोग महिलाओं की उनकी पूरी क्षमता हासिल करने और एक स्थायी अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान देने में मदद करने के लिए काम कर रहा है। आयोग हमेशा महिलाओं की समानता के लिए खड़ा रहा है क्योंकि यह दृढ़ता से मानता है कि अर्थव्यवस्था सफल नहीं हो सकती अगर हम अपनी आधी आबादी को उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने से रोकेंगे।

एनसीडब्ल्यू का उद्देश्य डेयरी फार्मिंग क्षेत्र में विस्तार संबंधी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण और व्यावहारिक विचारों की एक श्रृंखला के माध्यम से महिला किसानों और स्वयं सहायता समूहों की मदद करना है। आयोग महिलाओं को उनके व्यवसाय को बढ़ाने और उन्हें उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करने की खातिर प्रशिक्षण प्रदान करेगा। एनसीडब्ल्यू ऐसे प्रशिक्षकों का भी चयन करेगा जो महिला उद्यमियों, महिलाओं द्वारा संचालित दूध सहकारी समितियों, महिला स्वयं सहायता समूहों आदि को प्रशिक्षित करेंगे। एनसीडब्ल्यू का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र में एक स्थायी और अनुकरणीय जिला स्तरीय मॉडल बनाना है जिसे आगे देश के डेयरी फार्मिंग क्षेत्रों में अपनाया जा सके। परियोजना का उद्देश्य डेयरी उत्पादों के निर्माण एवं विपणन के लिहाज से गांवों में उपलब्ध अपार क्षमता का दोहन करना और इस प्रक्रिया के साथ-साथमहिलाओं को सशक्त बनाना है ताकि वे वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें।

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एमजी/एएम/पीके/सीएस

Thursday, September 23, 2021

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री की जम्मू-कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा संपन्न

प्रविष्टि तिथि: 22 SEP 2021 8:48PM by PIB Delhi

स्मृति जुबिन ईरानी ने मगम में स्पोर्ट्स स्टेडियम का उद्घाटन किया 

स्थानीय खिलाड़ियों के साथ बातचीत भी की

*कनिहामा शिल्प ग्राम का दौरा भी किया 

*एनआरएलएम से जुड़े कारीगरों और स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत की 

नई दिल्ली: 22 सितंबर 2021: (पीआईबी//वीमेन स्क्रीन)::

केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर संपर्क अभियान की पहल के तहत, बडगाम की अपनी यात्रा के अंतिम दिन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्‍मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोगों की शिकायतों का पता लगाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की तरफ से संपर्क अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इसमें सामने आने वाली मांगों और शिकायतों को त्वरित समाधान के लिए केंद्र के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की स्थानीय निकायों के साथ साझा किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने जम्मू-कश्मीर खेल परिषद द्वारा नई शैली में निर्मित स्पोर्ट्स स्टेडियम मगम का उद्घाटन किया। स्टेडियम में मंत्री ने एक फुटबॉल मैच देखा और स्थानीय क्लबों के खिलाड़ियों के साथ बातचीत भी की।


श्रीमती ईरानी ने मालपोरा मगम में बागवानी विभाग के उच्च घनत्व वाले बाग और फल व सब्जी संरक्षण इकाई का भी दौरा किया। इस अवसर पर किसानों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर में विश्व में उच्च गुणवत्ता वाले सेब का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनने की बहुत बड़ी क्षमता है। उन्होंने आगे कहा, “वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने के लिए फल उत्पादन में विविधता लाने की आवश्यकता है। कश्मीर सौभाग्यशाली है कि उसके पास उच्च उपज वाले बागवानी उत्पादों की खेती करने के लिए अनुकूल जलवायु और उपजाऊ जमीन है।”


मंत्री ने संबंधित बागवानी अधिकारियों को उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण से अधिक से अधिक प्रगतिशील किसानों को जोड़ने के लिए क्षेत्र में जागरूकता शिविर लगाने के निर्देश दिये। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण को अपनाने के इच्छुक किसानों और कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सभी आवश्यक मदद, तकनीकी मार्गदर्शन और बैंकों के माध्यम से आर्थिक सहायता दिलाने पर ध्यान देगी।

अपनी यात्रा की शुरुआत में, मंत्री ने सरकारी डिग्री कॉलेज मगम में एक एनीमिया शिविर का उद्घाटन किया और कनिहामा शिल्प ग्राम का भी दौरा किया। मंत्री ने एनआरएलएम से जुड़े स्थानीय कारीगरों और स्वयं सहायता समूहों के साथ भी बातचीत की।


इस अवसर पर अपने संबोधन में श्रीमती ईरानी ने कहा, “मैं इन अत्यधिक कुशल कारीगरों के कौशल, समर्पण और धैर्य को देखकर उत्साहित थी, जब वे अपनी उच्च लागत वाली कनी शॉल और अन्य उत्पादों को बुन रहे थे।” अपनी चर्चा के दौरान, उन्होंने संबंधित कारीगरों और अन्य उत्पादकों को आश्वासन दिया कि सरकार इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने की इच्छुक है ताकि दुनिया भर के बाजारों में इनकी उपलब्धता हो।

केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्‍मृति जुबिन ईरानी ने श्रीनगर में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के डीजीपी श्री दिलबाग सिंह और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भी मुलाकात की।


मगम की अपनी यात्रा के दौरान मंत्री ने जाने-माने सांस्कृतिक कलाकारों की ओर से प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखा, जिसे समाज कल्याण विभाग और जिला सूचना केंद्र बडगाम ने आयोजित किया था।

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Tuesday, July 20, 2021

कोविड से बेरोज़गारी की मार दुनिया भर में महिलाओं पर ही अधिक

19th July 2021
 कोविड से पुनर्बहाली: कम ही महिलाएँ लौट पाएंगी रोज़गार में 

प्रतीकात्मक फोटो Pexels Photo by Thibault Luycx 

कोविड की महामारी ने आर्थिकता को तहस नहस कर दिया है। यह सब भारत में ही नहीं हुआ बल्कि पूरी दुनिया में हुआ है। भारतीय पंजाब के गाँवों से ले कर अमेरिका तक यही कहानी है। महिलाओं की आत्मनिर्भरता के दर काम हो गई है। निकारागुआ की एक कपड़ा फ़ैक्टरी में  भी यही हल है और पंजाब के गाँवों में चलते छोटे छोटे कारोबारों में भी। इस मामले की रिपोर्ट एक चिंतनीय हकीकत की तरफ इशारा करती है कि कोविड के कारण जिन महिलाओं  से रोज़गार छीन गया था वह अब भी पूरी तरह वापिस नहीं लौट पाएगा।  
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी–ILO एक जानामाना और बहुत ही प्रतिष्ठित संगठन है। इस संगठन की सोमवार को जारी एक नई अध्ययन रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान जो रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज ख़त्म हो गए हैं। संकट से उबरने यानि पुनर्बहाली के प्रयासों के दौरान फिर से रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज हासिल करने वाली महिलाओं की संख्या वहां भी पुरुषों की तुलना में कम होगी। ज़ाहिर है कि कोविड की मार भी महिलाओं पर ही अधिक पद रही है और आगे भी पड़ेगी। कोविड से बेरोज़गारी की मार दुनिया भर में महिलाओं पर ही अधिक  क्यूं है यह अलग से सोचने का विषय है।
Pexels-Photo-by Thibault Luzcx
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन की इस रिपोर्ट में
कहा गया है वर्ष 2019 और 2020 के बीच, दुनिया भर में रोज़गारशुदा महिलाओं की संख्या में 4.2 प्रतिशत की कमी हुई जोकि लगभग 5 करोड़ 40 लाख कामकाजों के बराबर हैं. जबकि रोज़गारशुदा पुरुषों की संख्या में 3 प्रतिशत की कमी देखी गई और ये संख्या 6 करोड़ कामकाजों के बराबर थी। 
इसका अर्थ है कि वर्ष 2019 की तुलना में, वर्ष 2021 में, रोज़गारशुदा महिलाओं की संख्या लगभग 1 करोड़ 30 लाख कम होगी लेकिन रोज़गारशुदा पुरुषों की संख्या में बेहतर पुनर्बहाली होकर दो साल पहले के स्तर पर पहुँच जाने की अपेक्षा है। 
इसका ये भी अर्थ है कि दुनिया भर में कामकाजी उम्र की केवल 43 प्रतिशत महिलाएँ वर्ष 2021 के दौरान रोज़गारशुदा होंगी, जबकि ऐसे पुरुषों की संख्या 69 प्रतिशत होगी। 
यूएन श्रम एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज, अनुपात से अधिक संख्या में ख़त्म होने का एक कारण ये भी नज़र आता है कि ऐसे क्षेत्रों में ज़्यादा महिलाएँ कार्यरत हैं जो तालाबन्दियों के कारण, बहुत अधिक प्रभावित हुए।  रिपोर्ट को आप पढ़ सकते हैं नीचे दिए गए लिंक पर  क्लिक करके भी। 
कोविड से पुनर्बहाली के दौरान, कम ही महिलाएँ लौट पाएंगी रोज़गार में
यूएन श्रम एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज, अनुपात से अधिक संख्या में ख़त्म होने का एक कारण ये भी नज़र आता है कि ऐसे क्षेत्रों में ज़्यादा महिलाएँ कार्यरत हैं जो तालाबन्दियों के कारण, बहुत अधिक प्रभावित हुए। ऐसा तकरीबन हर जगह देखा गया। उदाहरणस्वरूप: आवास, खाद्य सेवाएँ और निर्माण व उत्पादन क्षेत्र। बहुत से क्षेत्रों में यह सब हुआ। 
Pexels-Photo-Vlada Karpovich
क्षेत्रीय अन्तर इस मामले भी दिखा:
महमारी की इस मार में भी दुनिया के सारे क्षेत्र समान रूप से प्रभावित नहीं हुए हैं। मसलन, रिपोर्ट में दिखाया गया है कि महिलाओं के रोज़गार, अमेरिकी क्षेत्र के देशों में सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं जहाँ नौ प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट दर्ज की गई।
उसके बाद, अरब देशों में चार प्रतिशत गिरावट देखी गई और फिर एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के देशों में 3.8 प्रतिशत, योरोपीय देशों में 2.5 प्रतिशत और मध्य एशिया में 1.9 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई। 
अफ़्रीका में, वर्ष 2019 और 2020 के दरम्यान रोज़गारशुदा पुरुषों की संख्या में 0.1 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि रोज़गारशुदा महिलाओं की संख्या में ये गिरावट 1.9 प्रतिशत थी। 
प्रभाव कम करने के प्रयास भी हो रहे हैं:
महामारी के पूरे समय के दौरन, ऐसे देशों में महिलाओं के हालात बेहतर रहे जहाँ उनके रोज़गार ख़त्म होने से रोकने के लिये समुचित उपाय किये गए और कार्यबल में उनकी वापसी जल्द से जल्द कराई गई। उदाहरण के लिये, चिली और कोलम्बिया में, नए रोज़गार दिये जाने वालों को वेतन में कुछ सहायता मुहैया कराई गई जबकि महिलाओं को इस सब्सिडी की दर ज़्यादा रखी गई। इसके अच्छे परिणाम भी सामने आए। कोलम्बिया और सेनेगल भी ऐसे देशों में शामिल रहे जहाँ महिला उद्यमियों के लिये या तो सहायता नए सिरे से शुरू की गई या पहले से जारी सहायता और ज़्यादा बढ़ाई गई। 
इस बीच, मैक्सिको और केनया में सार्वजनिक रोज़गार कार्यक्रमों के ज़रिये महिलाओं को लाभ गारण्टी सुनिश्चित करने के लिये कोटा निर्धारित किये गए। 
भविष्य के लिये निर्माण व उत्पादन
श्रम संगठन का कहना है कि इन असन्तुलनों के समाधान निकालने के लिये, लैंगिक सम्वेदनशील रणनीतियों को, पुनर्बहाली प्रयासों के केन्द्र में जगह देनी होगी। 
यूएन श्रम एजेंसी के अनुसार, देखभाल से जुड़ी अर्थव्यवस्था मे संसाधन निवेश किया जाना बहुत ज़रूरी है क्योंकि स्वास्थ्य, सामाजिक कार्य और शिक्षा क्षेत्र, रोज़गार सृजन के नज़रिये से अहम माने जाते हैं, ख़ासतौर से, महिलाओं के लिये। 
एक व्यापक, पर्याप्त व टिकाऊ सामाजिक संरक्षा तक सभी की पहुँच बनाने की दिशा में काम करके, मौजूदा लैंगिक खाई को कम किया जा सकता है

समान मूल्य के कामकाज के लिये समान वेतन को बढ़ावा देना भी सम्भवतः एक निर्णायक और अहम क़दम है। 

घरेलू हिंसा और कामकाज व लिंग आधारित हिंसा और उत्पीड़न ने, महामारी के दौरान स्थिति को और भी ज़्यादा ख़राब बना दिया. इस कारण, रोज़गार व आय वाली कामकाजी परिस्थितियों में महिलाओं के फिर से लौटने की योग्यता नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है। 

रिपोर्ट में, अभिशाप रूपी इस अन्तर या व्यवधान को तत्काल दूर करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है। 

यूएन श्रम संगठन का कहना है कि निर्णय-निर्माण संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी और ज़्यादा प्रभावशाली सामाजिक संवाद को बढ़ावा देने से, निश्चित रूप से बड़ा बदलाव होगा। इस लिंक को भी देख सकते हैं आप  विषय पर पूरी रिपोर्ट को देखने पढ़ने के लिए। देश और दुनिया के अन्य भागों खास कर गांवों और कस्बों में महिलाओं के रोज़गार की स्थिति पर भी हम आपको बताने की कोशिश करते रहेंगे। ख़ास तौर पर कुटीर उद्योग एक बार फिर से नई उम्मीद बन क्र सामने आ रहे हैं। 


Friday, July 16, 2021

राष्ट्रीय महिला आयोग ने किया विशेष समझौता

 16-जुलाई-2021 17:08 IST 

 पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के साथ करार पर किये हस्ताक्षर 

पुलिस कर्मियों को लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए एक देश-व्यापी प्रशिक्षण कार्यक्रम

लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए लिए प्रयास 

नई दिल्ली: 16 जुलाई 2021: (पीआईबी//विमैन स्क्रीन)::

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने देशभर में पुलिस कर्मियों को लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष सुश्री रेखा शर्मा,  पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के महानिदेशक श्री वी.एस.के. कौमुदी, एडीजी श्री नीरज सिन्हा और डीआईजी (प्रशिक्षण) वंदन सक्सेना ने दिल्ली के महिपालपुर में स्थित बीपीआरएंडडी के मुख्यालय  में किया। दोनों संगठनों के बीच इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्यों और अधिकारियों की उपस्थिति में किए गए।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं से संबंधित कानूनों और नीतियों के संदर्भ में लैंगिक समानता के प्रति पुलिस कर्मियों की संवेदनशीलता को सुनिश्चित करना और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने के दौरान पुलिस अधिकारियों के रवैये और व्यवहार में बदलाव लाना है। महिला शिकायतकर्ताओं का पुलिस पर भरोसा बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय महिला आयोग नियमित रूप से पुलिस अधिकारियों को लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने संबंधी कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। इसी उद्देश्य के साथ राष्ट्रीय महिला आयोग ने लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों पर अधिकारियों को संवेदनशील बनाने और विशेष रूप से लैंगिक आधार पर होने वाले अपराधों के मामलों में पक्षपात एवं पूर्वाग्रह के बिना अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने के लिए उन्हें सशक्त बनाने के इरादे से देशभर में एक कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है।

अपने संबोधन में, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष ने कहा कि विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारकों की वजह से महिला पीड़ितों के प्रति उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में एक अलग रूख रखा जाता है और इसलिए महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा से संबंधित सभी मामलों में पुलिस को लैंगिक दृष्टिकोण से संवेदनशील होकर कार्य करने की जरूरत है। सुश्री शर्मा ने कहा, “महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों से अधिक कारगर ढंग से निपटने के लिए पुलिस अधिकारियों में आवश्यक कौशल और रवैया विकसित करने के लिए यह जरूरी है कि सभी राज्यों के पुलिस संगठन सभी स्तरों पर पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने सहित सभी उपयुक्त पहल करें।”

इस अवसर पर बोलते हुए पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के महानिदेशक श्री वी.एस.के. कौमुदी ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के बीच इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर महिलाओं की सुरक्षा के प्रति पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाने की दिशा में सहयोग के एक नए चरण की शुरुआत है। यह कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों पर पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाना है, पूरी तरह से आयोग द्वारा प्रायोजित किया जाएगा और इसे बीपीआरएंडडी द्वारा अपनी इकाइयों एवं अन्य हितधारकों के साथ समन्वय बनाते हुए एक विशेष मॉड्यूल के जरिए आगे बढ़ाया जाएगा।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को विशेष तौर पर आवासीय मोड में एक लघु गहन पाठ्यक्रम के रूप में कुल मिलाकर 18 - 24 घंटे के अपेक्षित प्रशिक्षण के साथ तीन से लेकर पांच दिनों की अवधि के लिए आयोजित किया जाएगा। इसमें लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों, महिला संबंधी कानूनों, कार्यान्वयन एजेंसियों की भूमिका के साथ-साथ सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

राष्ट्रीय महिला आयोग, भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन महिलाओं के हितों की सुरक्षा और उन्हें बढ़ावा देने वाली राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च संस्था है। 

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एमजी/एएम/आर/डीवी

Monday, March 29, 2021

महिलाओं ने अभिनव वायरलेस उत्पाद विकसित किया

29-मार्च-2021 12:33 IST

 ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत में मिलेंगी विश्वसनीय इंटरनेट सेवाएं 


महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप एस्ट्रम ने एक अभिनव वायरलेस उत्पाद विकसित किया है जो टेलीकॉम ऑपरेटरों को उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत वाली विश्वसनीय इंटरनेट सेवाएं देने में मदद करेगा। यह फाइबर की कीमत के कुछ हिस्से में ही फाइबर की बैंडविड्थ प्रदान करता है।

भारत जैसे देशों में दूरदराज के स्थानों तक इंटरनेट पहुंचना मुश्किल है क्योंकि फाइबर बिछाना बहुत महंगा है। वायरलेस बैकहॉल उत्पादों की आवश्यकता है जो कम लागत, उच्च डेटा क्षमता और व्यापक पहुंच प्रदान कर सकें। वर्तमान में उपलब्ध, वायरलेस बैकहॉल उत्पाद या तो पर्याप्त डेटा गति या आवश्यक सीमा प्रदान नहीं करते हैं या उन्हें लगाना बहुत महंगा है।

गीगा मेश नामक वायरलेस उत्पाद दूरसंचार ऑपरेटरों को 5 गुना कम लागत पर गुणवत्ता, उच्च गति वाले ग्रामीण दूरसंचार बुनियादी ढांचे को तैनात करने में सक्षम बना सकता है। ग्रामीण संपर्क ग्राहक और रक्षा क्षेत्र के ग्राहक जिन्होंने पहले ही इस उत्पाद के लिए साइन अप कर लिया है, जल्द ही एस्ट्रम द्वारा इस उत्पाद के प्रदर्शन का गवाह बनेंगे।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर में इस स्टार्टअप को तैयार किया गया है और इसे भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के डीएसटी-एबीआई महिला स्टार्टअप प्रोग्राम द्वारा समर्थन प्राप्त है। इस स्टार्टअप ने अपने मिलीमीटर-वेव मल्टी-बीम टेक्नोलॉजी को 2018 में लैब में प्रमाणित किया था जिसके लिए कंपनी को भारत और अमेरिका में पेटेंट दिया गया है। तब सेप्रौद्योगिकी को गीगा मेश नामक एक शक्तिशाली और स्केलेबल उत्पाद में बदल दिया गया है, जो हमारे देश के आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी टेलीकॉम जरूरतों का बहुत कुछ हल कर सकता है। उत्पाद ने खुद को अपने क्षेत्र में साबित किया है और इसके आगामी व्यावसायीकरण के लिए भागीदार उत्पादों के साथ भी एकीकृत किया गया है।

एस्ट्रम में सह-संस्थापक और सीईओ डॉ. नेहा साटक ने कहा, "भारतीय विज्ञान संस्थान ने निवेशकों के साथ जुड़ने में मदद करने, व्यावसायिक सलाह प्रदान करने और हमारे उत्पाद क्षेत्र के परीक्षणों को संचालित करने के लिए हमें जगह देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।"  उन्होंने यह बात डीएसटी-एबीआई महिला स्टार्टअप पहल के तहत सप्ताह भर की यात्रा के अनुभव को याद करते हुए की जिसने अमेरिकी बाजार में लॉन्च के लिए तैयार करने के लिए यूएस वीसी इकोसिस्टम से बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।

एस्ट्रम को कनेक्टिविटी में मोस्ट प्रॉमिसिंग इनोवेटिव सॉल्यूशन के लिए आईटीयू एसएमई अव़ॉर्ड भी मिला। यह इस उत्पाद के लिए इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन से मिली एक प्रमुख पहचान है। उन्हें ईवो नेक्सस नामक एक प्रतिष्ठित 5-जी त्वरक कार्यक्रम (क्वालकॉम द्वारा प्रायोजित) द्वारा भी चुना गया जो उन्हें वैश्विक बाजार में अपने उत्पाद को लॉन्च करने में मदद करेगा।

मल्टी-बीम ई-बैंड उत्पाद गीगा मेश, एक में 6 पॉइंट-टू-पॉइंट ई-बैंड रेडियो पैक करता है जिससे डिवाइस की लागत कई लिंक पर वितरित होती है और इसलिए पूंजीगत व्यय कम हो जाता है। रेडियो प्रत्येक लिंक पर लंबी दूरी और मल्टी-जीबीपीएस डेटा थ्रूपुट प्रदान करता है। स्वचालित लिंक अलाइनमेंट, लिंक के बीच गतिशील बिजली आवंटन, और दूरस्थ लिंक गठन जैसी विशेषताएं ऑपरेटरों को महत्वपूर्ण परिचालन व्यय लागत में कमी लाने में मदद करती हैं।

एस्ट्रम वर्तमान में भारतीय विज्ञान संस्थान (विश्वविद्यालय परिसर) में एक क्षेत्र परीक्षण कर रहा है। इस फील्ड ट्रायल में कंपनी ने पहले ही कैंपस में मल्टी-जीपीएस स्पीड पर डेटा स्ट्रीमिंग हासिल कर ली है।

अधिक जानकारी के लिए डॉ. नेहा साटक (neha@astrome.co) से संपर्क किया जा सकता है।

एस्ट्रोम सीईओ और इंजीनियरिंग निदेशक आईईईई टेक्नॉलजी स्टार्टअप अव़ॉर्ड 2020 प्राप्त करते हुए।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के कैंपस में कनेक्टिविटी ट्रायल्स के लिए लगे गीगा मेश की तस्वीर।

एमजी/एएम/पीके

Thursday, March 18, 2021

डॉ. सोनू गांधी को मिला प्रतिष्ठित एसईआरबी महिला उत्कृष्टता पुरस्कार

 Thursday: 18th March 2021 09:56 IST

स्मार्ट नैनो उपकरणों पर कार्य करने वाली अनुसंधानकर्ता का सम्मान 

नई दिल्ली: 18 मार्च 2021: (पीआईबी//वीमेन स्क्रीन)::

हर क्षेत्र में महिलाएं तेज़ी से अपना लोहा मनवा रही हैं। शायद ही कोई फील्ड जहां नारी शक्ति की पहुँच न हो चुकी हो। रोग का पता लगाने के लिए कम लागत वाले स्मार्ट नैनो उपकरणों पर कार्य करने वाली अनुसंधानकर्ता को एसईआरबी महिला उत्‍कृ‍ष्‍टता पुरस्‍कार मिला है। इस अहभ अवसर पर एक बार फिर नारी शक्ति को सादर प्रणाम और  सलाम कहना बनता है। डाक्टर सोनू के इस अनुसंधान से अनगिनत लोगों को फायदा होने वाला है। खास तौर पर गठिया के रोगों और दिल की बिमारियों  से पीड़ित लोगों को। 

डाक्टर सोनू गाँधी की इस उपलब्धि को लेकर हर तरफ प्रसन्नता की लहर है। इस की समझ रखने वाले जानते हैं कि यह काम कितना महान है। राष्‍ट्रीय पशु जैव-प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एनआईएबी), हैदराबाद की वैज्ञानिक डॉ. सोनू गांधी को प्रतिष्ठित एसईआरबी महिला उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने हाल ही में रुमेटीइड गठिया (आरए), हृदय रोग (सीवीडी) और जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) का पता लगाने के लिए एक स्मार्ट नैनो-उपकरण विकसित किया है। इस विकास का फायदा उन तक भी पहुंचेगा जिनकी जेब महंगे इलाज पर किसी तरह  की आज्ञा नहीं देती। 

इस क्षेत्र में यह बहुत ही महत्वपूर्ण एवार्ड जैसा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा स्थापित यह पुरस्कार, विज्ञान और इंजीनियरिंग के अग्रणी क्षेत्रों में युवा महिला वैज्ञानिकों की उत्कृष्ट अनुसंधान उपलब्धियों को मान्यता देकर सम्‍मानित करता है। इस सम्मान को प्राप्त करने वाले लम्ब्रे समय तक अनुसंधान की साधना करते हैं। 

इस तरह की खोजों से ही शीघ्र, सस्ते और सटीक इलाज का लाभ मिलने की संभावनाएं बनती हैं। डाक्टर सोनू गाँधी के समूह द्वारा विकसित स्मार्ट नैनो-उपकरण ने एमीन के साथ क्रियाशील ग्रेफीन और विशिष्ट एंटीबॉडी के सम्मिश्रण का उपयोग करके बीमारियों के बायोमार्कर का पता लगाने में मदद की। इसके फायदों का विस्तृत विवरण तो आगे चल कर ही पता चलेगा। 

इस पुरस्कार की खबर के संबंध में मिले विवरण के मुताबिक विकसित सेंसर से अल्ट्रा-उच्‍च सेंसिटिविटी, ऑपरेशन में आसानी और कम समय में प्रतिक्रिया मिलने जैसे कई महत्वपूर्ण फायदे मिलते हैं,  जिसे पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्टिंग के लिए आसानी से एक चिप में रखा जा सकता है। इस विकसित सेंसर ने पारंपरिक तकनीकों की तुलना में  स्पष्ट लाभ दर्शाया तथा यह अत्यधिक संवेदनशील है। वे रोगों का जल्‍द पता लगाकर त्‍वरित और  अधिक प्रभावी एवं कम खर्चीला उपचार सुनिश्चित कर सकते हैं। ज़ाहिर है इसका फायदा बहुत से ज़रूरतमंद लोगों को होगा। 

रिपोर्ट के मुताबिक उनका अनुसंधान ट्रांसड्यूसर नामक उपकरणों की सतह पर नैनो पदार्थ और जैव-अणुओं के बीच अंतर-क्रिया की प्रणाली की समझ पर आधारित है, जो एक प्रणाली से ऊर्जा प्राप्त करते हैं और बैक्टीरिया और वायरल रोग का पता लगाने, पशु चिकित्सा एवं कृषि अनुप्रयोग, खाद्य विश्लेषण और पर्यावरण निगरानी को लेकर बायोसेंसर की एक नई पीढ़ी के विकास के लिए इसे प्रसारित करते हैं। इससे इस विकास में काफी सहायता मिलती है। 

इस संबंध में डॉ. सोनू की प्रयोगशाला ने फलों और सब्जियों में मुख्य रूप से फफूंद और मिट्टी से पैदा होने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों का पता लगाने के लिए विद्युत-रसायन के साथ-साथ माइक्रोफ्लुइडिक-आधारित नैनोसेंसर विकसित किया है। एक समानांतर अध्ययन में, उसकी लैब ने कैंसर के बायोमार्कर की अल्ट्राफास्ट सेंसिंग विकसित की है। यूरोकीनेस प्‍लाजमीनोजेन एक्‍टिवेटर रिसेप्‍टर (यूपीएआर) नामक इस विकसित कैंसर के बायोसेंसर का इस्‍तेमाल एक मात्रात्मक उपकरण के रूप में किया जा सकता है, जिससे यह कैंसर रोगियों में यूपीएआर का पता लगाने में एक विकल्प बन जाता है। यह अनुसंधान 'बायोसेंसर एंड बायोइलेक्ट्रॉनिक' जर्नल में प्रकाशित हुआ है। दुनिया भर  चर्चा हो  रही है। 

हाल ही में, उसकी लैब ने दूध और मांस के नमूनों में टॉक्सिन (एफ्लाटॉक्सिन एम 1) का पता लगाने के लिए त्वरित और संवेदनशील माइक्रोफ्लुइडिक उपकरणों का निर्माण किया है, जिन्हें एप्टामर्स कहा जाता है। उन्होंने खाद्य सुरक्षा में गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण दोनों के लिए तत्‍काल खाद्य विषाक्त पदार्थों का  पता लगाने के लिए एफ्लाटॉक्सिन बी 1 का शीघ्र पता लगाने को लेकर माइक्रोफ्लुइडिक पेपर डिवाइस विकसित किया है। स्वास्थ्य पहलू के लिए संवेदनशील, किफायती और शीघ्र निदान के लिए सीआरआईएसपीआर-सीएएस13 और क्वांटम डॉट्स आधारित इलेक्ट्रोकेमिकल बायोसेंसर का उपयोग करके साल्मोनेला के बहुविध घटकों का पता लगाना उनकी एक वर्तमान परियोजना का लक्ष्य है।

वे नए किफायती तथा क्षेत्र-प्रयोज्‍य विश्लेषणात्मक उपकरणों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जो रोग का शीघ्र पता लगाने के लिए प्वाइंट ऑफ केयर (पीओसी) डायग्नोस्टिक्स उपलब्‍ध करते हैं, जिससे स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के लिए समय प्रबंधन की सुविधा मिलती है।

[अधिक जानकारी के लिए, डॉ. सोनू गांधी (gandhi@niab.org.in) से संपर्क किया जा सकता है।]

Sunday, February 28, 2021

महिला सम्मान और वास्तविकता

अधिकारों का हनन कब बंद होगा?


लुधियाना
: 28 फरवरी 2021:(वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

महिला सम्मान. महिला अधिकार, महिला सशक्तिकरण---ऐसा बहुत कुछ है जो कहा भी जाता है सुना भी जाता है लेकिन वास्तविक स्थिति क्या है इस पर शायद बहुत कम चर्चा होती है। गांवों में सरपंच और शहरों में पार्षद जैसी एक पोस्ट होती है जिस की ज़रूरत शायद हर नागरिक को देर सबेर पड़ती ही है।  आम जनता के काम हो भी जाते हैं लेकिन महिला की जगह उनका पति या कोई और पारिवारिक पुरुष ही मोहर लगाता है। बात भी वही सुनता है। काम करना है या नहीं इसका फैसला भी वही करता है। दबे सुर में इस एतराज़ को उठाया भी जाता है लेकिन बरसों से यही सिलसिला कायम है। या तो महिला के नाम पर पुरुष का दबदबा जारी है या फिर पुरुष को डर है कि उसकी अकेली पत्नी अगर समाज में काम करेगी तो न जाने कैसे परिणाम हों। अभी तक नारी सुरक्षा पूरी तरह सुनिश्चित नहीं की जा सकी। इस दर्दभरी स्थिति की चर्चा न तो महिला कर पाती है और न ही पुरुष। कब बदलेगी समाज की नज़र और सोच। इसी बीच रेनू सिंह ने एक तस्वीर पोस्ट की है जो शायद मई 2020 में पोस्ट की गई थी लेकिन मुझे इन्हीं दिनों नज़र आई है। यह तस्वीर इसी दर्द को ब्यान करती है। बहुत ही सांस्कृतिक शब्दों में और बहुत ही सलीके के साथ यह तस्वीर यह तस्वीर इस अन्याय को बता रही है। इस पर आपके विचारों की इंतज़ार इस बार भी रहेगी ही। 

Saturday, February 27, 2021

ज़िंदा है शिव भावना: ज़हर पी कर भी अमृत बांटना

मोरक्को मूल की एक फ्रांसीसी महिला लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन का कमाल 


26 फरवरी 2021//
शांति और सुरक्षा 

वक़्त के साथ ज़ख्म तो भर जाते हैं लेकिन दर्द कम नहीं होता। इस हकीकत  के बावजूद कई इंसान सामने आते हैं दर्द को ही दवा बनाने का चमत्कार कर दिखाया। मोरक्को मूल की एक फ्रांसीसी महिला लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन को, युवाओं में अतिवाद का मुक़ाबला करने प्रयासों में, असाधारण साहस दिखाने के लिये पुरस्कृत किया गया है, जिनका बेटा, लगभग एक दशक पहले, एक आतंकवादी हमले में मौत के मुँह में धकेल दिया गया था।  ये महिला अपने इस अथाह दुख को, ’प्रेम की पुकार’ से भरने की कोशिशों में सक्रिय हैं। पुरस्कार ऐसे लोगों  करने की है। इन राहों पर कदम बढ़ाने की हिम्मत मिलती है ऐसे इंसानों के बारे में पढ़ सुन कर। संयुक्त राष्ट्र समाचारों के बहादुर महिला की चर्चा हो रही है। 

 गौरतलब है कि लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन को मानव बन्धुत्व के लिये ज़ायद पुरस्कार से संयुक्त रूप से सम्मानित किया गया है. उन्हें ये पुरस्कार, फ़रवरी 2021 के आरम्भ में, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के साथ मिला है।

उल्लेखनीय है कि लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन का 30 वर्षीय बेटा इमाद, फ्रांसीसी सेना में, एक पैराट्रूपर था। मानवता को बचने के लिए अपनी डयूटी करता हुआ एक सैनिक।  था कि आतंकवादी उसकी अभियान को लेकर सक्रिय हैं उसमें उसकी हत्या भी है। 

आखिर वह मनहूस समय आ गया जब उसका सामना मौत से होना था। मार्च 2012 में, फ्रांस के दक्षिणी हिस्से में, एक आतंकवादी मोहम्मद मेराह ने, नौ दिनों तक चलाए गए अपने हत्याअभियान में, 7 लोगों को मौत के मुँह में धकेल दिया था, लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन का बेटा इमाद भी जान गँवाने वालों में था। सदमा बहुत बड़ा था। सम्भलना नामुमकिन था लेकिन इस बहादुर औरत ने कमाल की हिम्मत दिखाई। नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। उसने दर्द की  लिया। जिस आतंकवाद से इतना बड़ा सदमा मिला था उसके खिलाफ शांति और सहनशीलता का  लिया। 

लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन ने अपने बेटे इमाद की मौत के, लगभग एक महीने के भीतर ही, ‘इमाद एसोसिएशन फ़ॉर यूथ एण्ड पीस’ की स्थापना कर डाली. ये संगठन सहनशीलता और शान्ति को बढ़ावा देता है। आतंकवाद की सोच के खिलाफ यह बहुत बड़ा कदम था। सचमुच एक बहादुरी भरा कदम। हिंसा करने वाले दिलों पर शांति की बरसात। अमन के सौहार्द भरे अमृत  की बौछार। 

शुरुआत छोटी सी थी। व्यक्तिगत प्रयास जैसी। इसके बावजूद इसे तेज़ी से समर्थन मिलने लगा। उसके बाद से तो लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन ने युवाओं को विद्रोही और अतिवादी बनने से रोकने के लिये, फ्रांस में और विदेश में, परिवारों और समुदायों के साथ मिलकर काम किया है. इन प्रयासों के तहत वो, शान्ति, सम्वाद और आपसी सम्मान का पैग़ाम फैला रही हैं। दुनिया भर में उसकी चर्चा हो रही है। आतंक और हिंसा के गहन अँधेरे में यह बहादुर औरत रौशनी की एक किरण बन कर उभरी है। भटके हुए लोगों को रास्ता दिखाती हुई दिव्य सोच वाली बहादुर औरत। 

वास्तव में यह घटनाक्रम बेहद कठिन राहों पर एक दुखी मां का सफ़र था। लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन ने, यूएन न्यूज़ अरबी भाषा के सहयोगियों के साथ बातचीत में याद करते हुए हुए बताया कि उन्होंने किस तरह उस शहर ताउलाउज़ की यात्रा की, जहाँ उनके बेटे इमाद की हत्या की गई थी, दुख का पहाड़ टूट पड़ने की वजह तलाश करने की ख़ातिर। अपने ही ज़ख्मों को स्वयं कुरेदने जैसी थी यह यात्रा। 

जब उसने अपने बेटे का खून देखा तो वे पल बेहद दर्द थे भरे थे जिसका अहसास खून बहाने वालों को हो ही नहीं  सकता। लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन बताती हैं, “मैंने अपने घुटनों पर झुककर देखने की कोशिश की. मुझे ज़मीन पर उसका (अपने बेटे का) रक्त पड़ा हुआ नज़र आया। मैंने अपने हाथों में मिट्टी भरी और अपने बेटे के रक्त को रगड़ते हुए, दुआ माँगी, ‘ओ मेरे ख़ुदा, मेरी मदद कर, या मेरे ख़ुदा.’ मैं दहाड़ मारकर चीख पड़ी।”

दर्द का पहाड़ उस पर टूट पड़ा था। आंसूओं का एक सैलाब अंतर्मन  से आंखों के ज़रिए बाहर आ रहा था। दुख और सदमे का सामना कर रही इस माँ का दर्द उस समय तब और बढ़ गया जब उन्होंने ये देखा…वे पल आज भी आँखों को भिगो देते हैं।  इन भीगी आंखों में आंसू और दिल में दर्द ही दर्द लेकर वह उस इलाके में भी पहुंची जहां कभी उसके बेटे के हत्यारे का निवास रहा था। 

लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन ताउलाउज़ शहर की पूर्वोत्तर बस्ती लेस इज़ार्द्स में थीं, जहाँ उनके बेटे के हत्यारे ने परवरिश पाई थी, और जहाँ एक पुलिस कार्रवाई में, उस हत्यारे के जीवन का भी अन्त हो गया था। लेकिन लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन इस सब से अनजान थी। 

इस लिए लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन ने, वहाँ रास्तों पर यूँ ही भटक रहे या समय काट रहे कुछ युवाओं को देखा तो उनके पास जाकर पूँछा कि मोहम्मद मेराह कहाँ रहता था। उसका सवाल सुन कर वे लोग हैरान थे। उनकी आंखों और  चेहरे पर अजीब सी रहस्यमय  मुस्कान उभर आती। 

अजीब सी स्थिति थी। उन युवाओं में से एक ने, कुछ रहस्यमयी मुस्कान दिखाई, तो लतीफ़ा को ख़ुद पर ही कुछ अचरज हुआ कि उनके सवाल में क्या कोई अजीब बात थी। 

अल्पकाल के लिए रुकी हुई बात को आगे बढ़ाते हुए “उस युवा ने कहा, ‘लेकिन क्या आप टेलीविज़न नहीं देखती हैं? मैडम, क्या आप अख़बार नहीं पढ़ती हैं? मैंने कहा, कृपया, मैं पूछ रही हूँ कि मोहम्मद मेराह कहाँ रहता था? उसने मुझे बताया: मोहम्मद मेरा एक शहीद है. इस्लाम का एक हीरो. उसने फ्रांस को घुटनों पर झुका दिया!’”

यह सब आसान नहीं था लेकिन दुख तकलीफ़ से निकलकर ही आगे बढ़ा जा सकता था। इस बहादुर औरत ने  यही किया। 

आतंक के दिन याद आते ही आज भी दर्द जाग उठता है। मोहम्मद मेराह के क़ातिलाना वहशीपने ने देश को हिलाकर रख दिया था। उसने ताऊलाउज़ शहर और पास के माउंटाउबन में अन्धाधुन्ध गोलियाँ चलाकर जिस पहले व्यक्ति को मौत के मुँह में धकेला, वो इमाद इब्न ज़ायतेन ही था। मोहम्मद मेराह ने वर्ष 2012 में 11 से 19 मार्च तक ये गोलीबारी की थी। उसने कितने ही घरों के चिराग बुझा दिए। 

न जाने कितने घरों में अँधेरा किया उसने। उसके वहशीपने का शिकार होने वालों में दो अन्य सैनिक थे जो उस समय ड्यूटी पर नहीं थे. एक यहूदी स्कूल में एक रब्बाई (यहूदी धार्मिक प्रचारक या शिक्षक) और तीन बच्चे भी मोहम्मद मेराह की गोलियाँ का शिकार हुए. पाँच लोग घायल भी हुए थे। 

इमाद इब्न ज़ायतेन की ही तरह, मोहम्मद मेराह भी, एक आप्रवासी परिवार का बेटा था. लेकिन इन आप्रवासी परिवारों में से एक के बेटे (इमाद) ने देश की सेवा करने का रास्ता चुना, जबकि दूसरे परिवार के बेटे (मोहम्मद मेराह) ने आतंकवाद की राह पकड़ी।  


लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन इसकी वजह पर ध्यान खींचते हुए कहती हैं, “दुख के साथ कहना पड़ता है कि कुछ युवाओं के पास शिक्षा नहीं है, उन्हें माता-पिता की मौजूदगी नहीं मिली है, उन्हें कोई मददगार और सहारा देने वाला माहौल नहीं मिला है।” इस लिए शिक्षा और रहनसहन दोनों की तरफ ध्यान देना होगा। 

इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि ये युवा भटके हुए हैं और हमें उन्हें सही रास्ते पर लाना है, हमें उनके साथ मिलकर काम करना ही होगा। शायद यही है एकमात्र मार्ग। 

“हमें इन युवाओं के साथ सम्पर्क और सम्वाद स्थापित करना ही होगा, क्योंकि वो ही तो भविष्य हैं।”

सहनशीलता का सन्देश देने के लिए लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन ने ये काम उस संगठन के माध्यम से करने का बीड़ा उठाया है जो उनके दिवंगत बेटे के नाम पर बनाया गया है। यह संगठन  सक्रिय। है। 

इसी मिशन को लेकर वो फ्रांस में अनेक इलाक़ों का दौरा करके, सहनशीलता का सन्देश फैला रही हैं। वो हाई स्कूलों के छात्रों, अभिभावकों और अन्य लोगों तक पहुँचकर, अपनी बात कह रही हैं। इनमें बहुत से अध्यापक और जेलों के निदेशक भी हैं जो उनके पास ये सन्देश फैलाने का अनुरोध लेकर आते हैं। इस संगठन के कार्य तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं। 

इस यादगारी अवसर पर यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने भी ये पुरस्कार संयुक्त रूप से स्वीकार करते हुए एक वक्तव्य में, 5 बच्चों की माँ लतीफ़ा इब्न ज़ायतेन के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा कि लतीफ़ा ने, अत्यन्त गम्भीर निजी सदमे से उबरकर, युवा लोगों को सहारा व समर्थन देने और आपसी समझदारी को बढ़ावा देने के समर्पित प्रयासों की बदौलत, देश-दुनिया में, वाह-वाही बटोरी है। उसके प्रयासों से बहुत से लोगों ने प्रेरणा पाई है। अमन शांति का यह काफिला दिन प्रति दिन मज़बूत होता जा रहा है। 

सुन्दर सपने देखें-इससे शक्ति मिलेगी। सुंदर सपनों  को देखना भी शक्ति अर्जित  करने जैसा ही है।  लतीफ़ा ने एक ऐसे युवा के साथ अपनी मुलाक़ात को याद किया जिसने कहा था कि वो एक ऐसी धरती पर भी उपेक्षित और अलग-थलग महसूस करता है जिसका नारा ही स्वतन्त्रता, समानता और बन्धुत्व है। लतीफ़ा ने उस युवक से कहा कि वो किस तरह एक बन्धुत्व वाले और सामुदायिक फ्रांस का निर्माण करने का सपना देखती हैं, जहाँ हर किसी के लिये अपनी एक जगह हो। इसी धरती  को स्वर्ग बनाने के प्रयासों में तेज़ी लानी होगी। 

युवाओं को आतंकवाद  के जाल में फंसने से रोकना होगा। लतीफ़ा ने उस युवक को कुछ ऐसी सलाह भी दी ताकि वो, मोहम्मद मेराह की तरह, अतिवाद के जाल में ना फँस जाएँ। 

लतीफ़ा ने कहा, “अपने हालात का पन्ना पलटने की कोशिश करो, पढ़ाई करो. किसी ख़ूबसूरत चीज़ के बारे में कोई सपना देखो... और जब तुम इबादत करो, तो अमन-चैन के लिये दुआ माँगो; मुहब्बत की दुआ.”

(जानकारी एवं तस्वीरें संयुक्त  राष्ट्र समाचार से साभार  Input- वीमेन स्क्रीन डेस्क डेस्क)

Tuesday, January 12, 2021

म्हारी दिलेर दादी, ताई-काकी-सब मैदान में हैं

  किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रही है नारी शक्ति  


सोशल मीडिया
: 12 जनवरी 2021: (वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

प्राग पाठक उत्तरप्रदेश के जहांगीरा बाद से सबंधित हैं लेकिन आजकल नोयडा में रह रहे हैं। मेरी उनसे जान पहचान भी नहीं लेकिन किसी न किसी बहाने सोशलमीडिया के किसी न किसी मंच पर उनकी कोई न कोई पोस्ट मिल जाती है जो सोचने को मजबूर करती है। कुछ वर्ष पूर्व सत्ता बदली तो बहुत से लोग सत्ता वालों के पीछे हो लिए। धर्म-कर्म-सिद्धांत सब ताक पर रख कर बस अंध भक्ति करना ही उनका सबसे पहला काम बन गया। ऐसे कलियुगी चलन के बावजूद जो लोग नहीं बदले उनमें प्राग पाठक भी शामिल हैं। गर्व से अपने नाम के साथ ब्रेक्ट में ब्राह्मण लिखते हैं लेकिन विश्वास मानवता में है। अंध भक्तों के खिलाफ तर्कपूर्ण अभियान चलाने वालों में वह बहुत सक्रिय हैं। मामला ट्रम्प की आवभगत का हो या कोई और वह ऐसे तर्क निकालते हैं कि अंधभक्त उसका कोई जवाब ही नहीं दे पाते। आजकल प्राग पाठक खुल कर किसान आंदोलन के साथ हैं। उन्होंने एक ऐसी तस्वीर पोस्ट की है जो नारी शक्ति के मौजूदा रूप और शक्ति को दिखाती है। जो मनुवादी लोग महिला को पूजा में देवी मानते हैं लेकिन में केवल  बच्चे पैदा करने वाली मशीन साबित करने पर तुले रहते हैं और अक्सर कहते हैं कि महिला का काम केवल घर के चौंके चूल्हे तक है उनकी ऑंखें खोलने के लिए प्राग पाठक साहिब ने एक तस्वीर पोस्ट की है महिलाओं की जो ट्रैक्टर चलाते हुए किसानों के समर्थन में सड़कों पर  उत्तर आई हैं। महिलाओं की इस तस्वीर के साथ पराग पाठक साहिब ने कुछ पंक्तिया भी दी हैं जिन्हें पत्रकारिता में कैप्शन कहा जाता है।  पंक्तियों में वह लिखते हैं: 

रसोई चलावे,

सरकार बणावें

जहाज उड़ावे

ट्रैक्टर-कार दौड़ावे

बात जब हक पे आवे,

म्हारी दिलेर दादी, ताई-काकी

साथ खड़ी मैदान भी पावे


Friday, January 1, 2021

भाजपा ने पंजाब में फिर शुरू की सक्रिय विपक्ष की भूमिका

Friday: 1st January 2021 at 6:58 PM

   ईसेवाल सामूहिक बलात्कार मुद्दे पर फिर घेरा सरकार को   


लुधियाना
: 1 जनवरी 2020: (वीमेन स्क्रीन ब्यूरो):: 

किसान आंदोलन को लेकर उलझे हुए  बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने अन्य मुद्दों की तरफ ध्यान देना बंद नहीं किया। दूसरी मुश्किलों के  महिला मुद्दे उठा कर भाजपा ने अपना संघर्षमय विपक्ष वाला रूप भी फिर से दिखाना शुरू कर दिया है। आज भाजपा नेताओं ने बाकायदा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके ईसेवाल गांव में हुए सामूहिक बलात्कार के मुद्दे को भी फिर से उठाया।  महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधिक मामलों की जांच धीमी रफ्तार से करने और उनकी गरिमा की रक्षा करने में विफल रहने को लेकर भाजपा ने कैप्टन सरकार पर जम कर हमला बोला। आने वाले दिनों में ऐसे ऐक्शन बढ़ाए भी। 

     बहुचर्चित ईसेवाल सामूहिक बलात्कार मामले की चर्चा करते हुए प्रदेश भाजपा महासचिव जीवन गुप्ता ने इस सामूहिक गैंगरेप मामले में मुख्य आरोपी जगरूप सिंह को जमानत मिलने पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि इस सब के लिए राज्य के एडवोकेट जनरल के कार्यालय ही मुख्यता जिम्मेदार है। इस मामले में मुख्य आरोपी जगरूप सिंह के साथ चार अन्य लोगों :- सादिक अली, अजय उर्फ बृज नंदन, सैफ अली और सुरमू–तथा एक अन्य जिस पर जुवेनाइल एक्ट के अधीन अलग से मुकदमा चलाया जा रहा है, को भी गिरफ्तार किया गया था । पांचों आरोपियों पर रश्मि शर्मा, जज स्पेशल कोर्ट-कम-अपर सेशन जज की अदालत में 15 मामलों में आरोप लगाए गए हैं, जिसमें गैंगरेप, जबरन वसूली, गलत तरीके से ज़मानत दिलवाने और अन्य अपराध शामिल हैं। इस तरह इस मुद्दे पर चर्चा  गई है। 

        इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लुधियाना जिले के ईसेवल गांव की 20 वर्षीय पीड़ित लड़की अपने और अपने परिवार के सदस्यों सहित गंभीर परिणाम भुगतने की धमकियों का सामना कर रही है। गुप्ता ने कहा, "ऐसे अपराधियों को जमानत मिलना बहुत ही चौंकाने वाला व दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि इन अभियुक्तों पर कई अपराधिक मामले दर्ज हैं।

       श्री गुप्ता ने महाधिवक्ता कार्यालय के खराब प्रदर्शन के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को जिम्मेदार ठहराया और मांग की कि राज्य की न्यायिक मशीनरी गैंगरेप पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए तत्काल कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में केस नहीं लड़ती है तो यह पंजाब में सरकार द्वारा अपराधियों का मनोबल बढ़ाना होगा।