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Sunday, June 23, 2019

विधवा महिलाओं के उदास और कठिन जीवन के लिए उठायें आवश्यक कदम

23 जून 2019 अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस विशेष 
 जिन देशों में अच्छी पेंशन है वहां भी इनको निर्धनता का सामना  
अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस हमें उन आर्थिक कठिनाइयों और बढ़ती संवेदनशीलता पर विचार करने पर विवश करता है जिनका सामना ये शोक संतप्त महिलाएं कर रही हैं।
Image Courtesy: A Widow's Heart
सामाजिक और कानूनी संरक्षण के अभाव में इन विधवा महिलाओं की जीवन भर की कमाई और बचत अक्सर गरीबी से संघर्ष के लिए अपर्याप्त होती हैं। जिन देशों में अच्छी पेंशन प्रणाली है, वहां भी इन महिलाओं को वृद्धावस्था पुरुषों के मुकाबले निर्धनता का सामना अधिक करना पड़ता है। वृद्ध विधवाओं के लिए विशेष रूप से सामाजिक सेवाएं अधिक महत्वपूर्ण हैं जो अकेली रह जाती हैं या जिन्हें वृद्धावस्था में देखभाल सेवाओं की ज्यादा जरूरत पड़ती है।
अनेक देशों में महिलाओं को पुरुषों के समान पैतृक अधिकार नहीं हैं। इसका अर्थ यह है कि उन्हें अक्सर ज़मीन, संपत्ति और अपने खुद के बच्चों के जीवन से बेदखल कर दिया जाता है। जिन देशों के क़ानूनों में महिलाओं-पुरुषों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता, वहां भी व्यवहार में महिलाएं पुरुषों की तरह अपने अधिकारों का उपयोग नहीं कर पातीं।
इसके अतिरिक्त कुछ समाजों में विधवाओं को यौन शोषण एवं उत्पीड़न या जबरन विवाह, दुर्व्यवहार और हिंसा का शिकार बनाया जाता है। इन परिस्थितियों को बदला जाना चाहिए और उन नियमों में भी परिवर्तन किया जाना चाहिए जोकि ऐसी भेदभावकारी रीतियों और हिंसा का समर्थन करते हैं।
संघर्ष और प्राकृतिक आपदाओं में विधवाओं की स्थिति और गंभीर हो जाती है। ऐसी स्थितियों में विधवाओं की संख्या बढ़ती है, क्षति एवं विस्थापन के कारण वे अधिक संवेदनशील स्थिति में आती हैं और सामाजिक एवं कानूनी संरक्षण अक्सर कमज़ोर पड़ जाते हैं।
आइए, इस अंतरराष्ट्रीय दिवस पर सभी विधवाओं को सहयोग देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराएं- भले ही उनकी उम्र कोई भी हो, वे किसी भी स्थान पर रहती हों या किसी भी कानूनी प्रणाली के दायरे में आती हों। आइए यह सुनिश्चित करें कि वे किसी से न पिछड़ें।