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Tuesday, July 20, 2021

कोविड से बेरोज़गारी की मार दुनिया भर में महिलाओं पर ही अधिक

19th July 2021
 कोविड से पुनर्बहाली: कम ही महिलाएँ लौट पाएंगी रोज़गार में 

प्रतीकात्मक फोटो Pexels Photo by Thibault Luycx 

कोविड की महामारी ने आर्थिकता को तहस नहस कर दिया है। यह सब भारत में ही नहीं हुआ बल्कि पूरी दुनिया में हुआ है। भारतीय पंजाब के गाँवों से ले कर अमेरिका तक यही कहानी है। महिलाओं की आत्मनिर्भरता के दर काम हो गई है। निकारागुआ की एक कपड़ा फ़ैक्टरी में  भी यही हल है और पंजाब के गाँवों में चलते छोटे छोटे कारोबारों में भी। इस मामले की रिपोर्ट एक चिंतनीय हकीकत की तरफ इशारा करती है कि कोविड के कारण जिन महिलाओं  से रोज़गार छीन गया था वह अब भी पूरी तरह वापिस नहीं लौट पाएगा।  
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी–ILO एक जानामाना और बहुत ही प्रतिष्ठित संगठन है। इस संगठन की सोमवार को जारी एक नई अध्ययन रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान जो रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज ख़त्म हो गए हैं। संकट से उबरने यानि पुनर्बहाली के प्रयासों के दौरान फिर से रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज हासिल करने वाली महिलाओं की संख्या वहां भी पुरुषों की तुलना में कम होगी। ज़ाहिर है कि कोविड की मार भी महिलाओं पर ही अधिक पद रही है और आगे भी पड़ेगी। कोविड से बेरोज़गारी की मार दुनिया भर में महिलाओं पर ही अधिक  क्यूं है यह अलग से सोचने का विषय है।
Pexels-Photo-by Thibault Luzcx
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन की इस रिपोर्ट में
कहा गया है वर्ष 2019 और 2020 के बीच, दुनिया भर में रोज़गारशुदा महिलाओं की संख्या में 4.2 प्रतिशत की कमी हुई जोकि लगभग 5 करोड़ 40 लाख कामकाजों के बराबर हैं. जबकि रोज़गारशुदा पुरुषों की संख्या में 3 प्रतिशत की कमी देखी गई और ये संख्या 6 करोड़ कामकाजों के बराबर थी। 
इसका अर्थ है कि वर्ष 2019 की तुलना में, वर्ष 2021 में, रोज़गारशुदा महिलाओं की संख्या लगभग 1 करोड़ 30 लाख कम होगी लेकिन रोज़गारशुदा पुरुषों की संख्या में बेहतर पुनर्बहाली होकर दो साल पहले के स्तर पर पहुँच जाने की अपेक्षा है। 
इसका ये भी अर्थ है कि दुनिया भर में कामकाजी उम्र की केवल 43 प्रतिशत महिलाएँ वर्ष 2021 के दौरान रोज़गारशुदा होंगी, जबकि ऐसे पुरुषों की संख्या 69 प्रतिशत होगी। 
यूएन श्रम एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज, अनुपात से अधिक संख्या में ख़त्म होने का एक कारण ये भी नज़र आता है कि ऐसे क्षेत्रों में ज़्यादा महिलाएँ कार्यरत हैं जो तालाबन्दियों के कारण, बहुत अधिक प्रभावित हुए।  रिपोर्ट को आप पढ़ सकते हैं नीचे दिए गए लिंक पर  क्लिक करके भी। 
कोविड से पुनर्बहाली के दौरान, कम ही महिलाएँ लौट पाएंगी रोज़गार में
यूएन श्रम एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज, अनुपात से अधिक संख्या में ख़त्म होने का एक कारण ये भी नज़र आता है कि ऐसे क्षेत्रों में ज़्यादा महिलाएँ कार्यरत हैं जो तालाबन्दियों के कारण, बहुत अधिक प्रभावित हुए। ऐसा तकरीबन हर जगह देखा गया। उदाहरणस्वरूप: आवास, खाद्य सेवाएँ और निर्माण व उत्पादन क्षेत्र। बहुत से क्षेत्रों में यह सब हुआ। 
Pexels-Photo-Vlada Karpovich
क्षेत्रीय अन्तर इस मामले भी दिखा:
महमारी की इस मार में भी दुनिया के सारे क्षेत्र समान रूप से प्रभावित नहीं हुए हैं। मसलन, रिपोर्ट में दिखाया गया है कि महिलाओं के रोज़गार, अमेरिकी क्षेत्र के देशों में सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं जहाँ नौ प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट दर्ज की गई।
उसके बाद, अरब देशों में चार प्रतिशत गिरावट देखी गई और फिर एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के देशों में 3.8 प्रतिशत, योरोपीय देशों में 2.5 प्रतिशत और मध्य एशिया में 1.9 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई। 
अफ़्रीका में, वर्ष 2019 और 2020 के दरम्यान रोज़गारशुदा पुरुषों की संख्या में 0.1 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि रोज़गारशुदा महिलाओं की संख्या में ये गिरावट 1.9 प्रतिशत थी। 
प्रभाव कम करने के प्रयास भी हो रहे हैं:
महामारी के पूरे समय के दौरन, ऐसे देशों में महिलाओं के हालात बेहतर रहे जहाँ उनके रोज़गार ख़त्म होने से रोकने के लिये समुचित उपाय किये गए और कार्यबल में उनकी वापसी जल्द से जल्द कराई गई। उदाहरण के लिये, चिली और कोलम्बिया में, नए रोज़गार दिये जाने वालों को वेतन में कुछ सहायता मुहैया कराई गई जबकि महिलाओं को इस सब्सिडी की दर ज़्यादा रखी गई। इसके अच्छे परिणाम भी सामने आए। कोलम्बिया और सेनेगल भी ऐसे देशों में शामिल रहे जहाँ महिला उद्यमियों के लिये या तो सहायता नए सिरे से शुरू की गई या पहले से जारी सहायता और ज़्यादा बढ़ाई गई। 
इस बीच, मैक्सिको और केनया में सार्वजनिक रोज़गार कार्यक्रमों के ज़रिये महिलाओं को लाभ गारण्टी सुनिश्चित करने के लिये कोटा निर्धारित किये गए। 
भविष्य के लिये निर्माण व उत्पादन
श्रम संगठन का कहना है कि इन असन्तुलनों के समाधान निकालने के लिये, लैंगिक सम्वेदनशील रणनीतियों को, पुनर्बहाली प्रयासों के केन्द्र में जगह देनी होगी। 
यूएन श्रम एजेंसी के अनुसार, देखभाल से जुड़ी अर्थव्यवस्था मे संसाधन निवेश किया जाना बहुत ज़रूरी है क्योंकि स्वास्थ्य, सामाजिक कार्य और शिक्षा क्षेत्र, रोज़गार सृजन के नज़रिये से अहम माने जाते हैं, ख़ासतौर से, महिलाओं के लिये। 
एक व्यापक, पर्याप्त व टिकाऊ सामाजिक संरक्षा तक सभी की पहुँच बनाने की दिशा में काम करके, मौजूदा लैंगिक खाई को कम किया जा सकता है

समान मूल्य के कामकाज के लिये समान वेतन को बढ़ावा देना भी सम्भवतः एक निर्णायक और अहम क़दम है। 

घरेलू हिंसा और कामकाज व लिंग आधारित हिंसा और उत्पीड़न ने, महामारी के दौरान स्थिति को और भी ज़्यादा ख़राब बना दिया. इस कारण, रोज़गार व आय वाली कामकाजी परिस्थितियों में महिलाओं के फिर से लौटने की योग्यता नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है। 

रिपोर्ट में, अभिशाप रूपी इस अन्तर या व्यवधान को तत्काल दूर करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है। 

यूएन श्रम संगठन का कहना है कि निर्णय-निर्माण संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी और ज़्यादा प्रभावशाली सामाजिक संवाद को बढ़ावा देने से, निश्चित रूप से बड़ा बदलाव होगा। इस लिंक को भी देख सकते हैं आप  विषय पर पूरी रिपोर्ट को देखने पढ़ने के लिए। देश और दुनिया के अन्य भागों खास कर गांवों और कस्बों में महिलाओं के रोज़गार की स्थिति पर भी हम आपको बताने की कोशिश करते रहेंगे। ख़ास तौर पर कुटीर उद्योग एक बार फिर से नई उम्मीद बन क्र सामने आ रहे हैं। 


Friday, July 16, 2021

राष्ट्रीय महिला आयोग ने किया विशेष समझौता

 16-जुलाई-2021 17:08 IST 

 पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के साथ करार पर किये हस्ताक्षर 

पुलिस कर्मियों को लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए एक देश-व्यापी प्रशिक्षण कार्यक्रम

लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए लिए प्रयास 

नई दिल्ली: 16 जुलाई 2021: (पीआईबी//विमैन स्क्रीन)::

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने देशभर में पुलिस कर्मियों को लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष सुश्री रेखा शर्मा,  पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के महानिदेशक श्री वी.एस.के. कौमुदी, एडीजी श्री नीरज सिन्हा और डीआईजी (प्रशिक्षण) वंदन सक्सेना ने दिल्ली के महिपालपुर में स्थित बीपीआरएंडडी के मुख्यालय  में किया। दोनों संगठनों के बीच इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्यों और अधिकारियों की उपस्थिति में किए गए।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं से संबंधित कानूनों और नीतियों के संदर्भ में लैंगिक समानता के प्रति पुलिस कर्मियों की संवेदनशीलता को सुनिश्चित करना और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने के दौरान पुलिस अधिकारियों के रवैये और व्यवहार में बदलाव लाना है। महिला शिकायतकर्ताओं का पुलिस पर भरोसा बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय महिला आयोग नियमित रूप से पुलिस अधिकारियों को लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने संबंधी कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। इसी उद्देश्य के साथ राष्ट्रीय महिला आयोग ने लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों पर अधिकारियों को संवेदनशील बनाने और विशेष रूप से लैंगिक आधार पर होने वाले अपराधों के मामलों में पक्षपात एवं पूर्वाग्रह के बिना अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने के लिए उन्हें सशक्त बनाने के इरादे से देशभर में एक कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है।

अपने संबोधन में, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष ने कहा कि विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारकों की वजह से महिला पीड़ितों के प्रति उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में एक अलग रूख रखा जाता है और इसलिए महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा से संबंधित सभी मामलों में पुलिस को लैंगिक दृष्टिकोण से संवेदनशील होकर कार्य करने की जरूरत है। सुश्री शर्मा ने कहा, “महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों से अधिक कारगर ढंग से निपटने के लिए पुलिस अधिकारियों में आवश्यक कौशल और रवैया विकसित करने के लिए यह जरूरी है कि सभी राज्यों के पुलिस संगठन सभी स्तरों पर पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने सहित सभी उपयुक्त पहल करें।”

इस अवसर पर बोलते हुए पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के महानिदेशक श्री वी.एस.के. कौमुदी ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के बीच इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर महिलाओं की सुरक्षा के प्रति पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाने की दिशा में सहयोग के एक नए चरण की शुरुआत है। यह कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों पर पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाना है, पूरी तरह से आयोग द्वारा प्रायोजित किया जाएगा और इसे बीपीआरएंडडी द्वारा अपनी इकाइयों एवं अन्य हितधारकों के साथ समन्वय बनाते हुए एक विशेष मॉड्यूल के जरिए आगे बढ़ाया जाएगा।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को विशेष तौर पर आवासीय मोड में एक लघु गहन पाठ्यक्रम के रूप में कुल मिलाकर 18 - 24 घंटे के अपेक्षित प्रशिक्षण के साथ तीन से लेकर पांच दिनों की अवधि के लिए आयोजित किया जाएगा। इसमें लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों, महिला संबंधी कानूनों, कार्यान्वयन एजेंसियों की भूमिका के साथ-साथ सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

राष्ट्रीय महिला आयोग, भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन महिलाओं के हितों की सुरक्षा और उन्हें बढ़ावा देने वाली राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च संस्था है। 

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एमजी/एएम/आर/डीवी