जीडीपी की नॉन लीनियर वृद्धि और समाज की उन्नति
31 July 2018
पॉला मारीवाला, को-प्रेज़िडेंट स्टैनफर्ड एंगल्स एंड इंटरप्रेन्योर्स इंडिया, निदेशक, हिंदीट्रोन ग्रुप, और इसी आलेख पर मेहनत करने वाली दूसरी लेखिका हैं राधिक शाह। उनका भी बहत नाम है। वह हैं एडवाइजर, सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स फिलेंथ्रॉपी प्लेटफॉर्म, को-प्रेज़िडेंट, स्टैनफर्ड एंगल्स एंड इंटरप्रेन्योर्स
विश्व में महिला उद्यमियों की संख्या बढ़ रही है और परिवर्तन का दौर जारी है- व्यापार की यह शैली असामान्य भले हो लेकिन अब जल्द ही एक कायदा बनने जा रही है।
हम मानते हैं कि विशेष रूप से इस डिजिटल दौर में महिलाओं को मजबूत करने तथा उनके लिए रोजगार एवं उद्यमिता का माहौल तैयार करने से लिंग भेद दूर होगा। साथ ही जीडीपी की नॉन लीनियर वृद्धि होगी और सार्वजनिक संपत्ति का निर्माण भी होगा। इसका समाज पर सकारात्मक प्रभाव होगा। दरअसल ऐसा व्यावसायिक मॉडल तैयार किया जाना चाहिए जो लैंगिक समानता को मजबूत करे और महिला नेतृत्व को मंच प्रदान करे।
भले ही यह एक व्यापक अनुमान और पूर्वाग्रह भरा बयान लगे, लेकिन हम इस बात से सहमत हैं कि शीर्ष पदों पर बैठी महिलाएं अक्सर ऐसे गुणों का प्रदर्शन करती हैं जिनसे आज की जटिल दुनिया में सफलता हासिल की जा सकती है, जैसे सहानुभूति और सहयोगपरक नेतृत्व, साथ ही लचीलापन और परस्पर लाभ का दृष्टिकोण। महिलाएं अपने समुदाय से जुड़ी होती हैं और समुदाय तथा विश्व पर अपने संगठन के नकारात्मक और सकारात्मक असर के बारे में अधिक जागरूक होती हैं। यह ऐसा गुण है जो आज के दौर में अधिक प्रासंगिक है। इसके विपरीत प्रबंधन की परंपरागत शैली में एक अकेला अल्फा लीडर टॉप डाउन स्टाइल में एक संगठन को चलाया करता है। वह अकेले फैसले लेता है और उसके सहयोगी कर्मचारियों को सिर्फ उन फैसलों का पालन करना होता है।
यहां कुछ विशेषताओं का उल्लेख किया जा रहा है जिनके जरिए शीर्ष पदों पर बैठी महिलाएं समाज को प्रभावित करने वाले लाभकारी संगठनों की स्थापना कर सकती हैं। साथ ही एक सहयोगपरक अर्थव्यवस्था का भी निर्माण कर सकती हैं।
सहयोगपरक नेतृत्व वाली टीम:
शीर्ष पदों पर बैठी महिलाएं अक्सर अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर काम करती हैं जिससे विभिन्न प्रकार के विचारों का आदान-प्रदान होता है और बेहतर परिणाम निकलते हैं।
एक दूसरे के प्रतिसंवेदना हो तो लोग परस्पर जुड़ते हैं और काम करने के लिए प्रेरित होते हैं: दूसरे के नजरिए से सोचने से किसी व्यक्ति के विचारों को गहराई से समझने में मदद मिलती है और शीर्ष पदों पर बैठी महिलाएं, कंपनी के भीतर कर्मचारियों में और कंपनी के बाहर पार्टनर्स में काम के प्रति उत्साह पैदा कर सकती हैं।
उत्तरदायित्वपूर्ण व्यापारिक मॉडल्स:
ऐसी अनेक महिलाएं हैं जो देश-दुनिया के बारे में सोचती हैं। इसीलिए अक्सर वे ऐसे व्यापारिक मॉडल/दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं जिनका विश्व स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और सार्वजनिक संपत्ति का निर्माण होता है- कई बार ये डबल या ट्रिपल बॉटम लाइन मॉडल्स होते हैं। वे उस माहौल में भी सकारात्मक पहल करती हैं, जहां कोई दूसरे के बारे में नहीं सोचता।
साझेदारीसे परस्पर लाभ की सोच पैदा होती है: सहयोग की इच्छा के कारण ऐसे संयुक्त उपक्रम स्थापित होते हैं जो एक दूसरे को लाभ पहुंचाते हैं। विश्व की कुछ चुनौतियों से निपटना आसान होता है, जीडीपी की नॉन लीनियर वृद्धि होती है और उन नए क्षेत्रों से मुनाफा कमाया जाता है जिनका अब तक अस्तित्व ही नहीं होता।
हम यहां परिवर्तन की अगुवा कुछ भारतीय महिलाओं के उदाहरण पेश कर रहे हैं। उन्होंने अपने रचनात्मक डिजिटल मॉडल्स से उद्योग जगत की तस्वीर ही बदल दी। उनकी कंपनियों ने भरपूर मुनाफा कमाया, कई ने अपने देश में, तो कई ने पूरी दुनिया में परिवर्तन की लहर पैदा कर दी।
1.सामासोर्स की सीईओ लीला जानाह का असर पूरी दुनिया में नजर आता है। सामासोर्स ने डिजिटल माइक्रोवर्क को सिलिकॉन वैली से दक्षिण एशिया, अफ्रीका तक पहुंचाया है और ग्रामीण महिलाओं को गरिमा प्रदान करते हुए उन्हें सशक्त किया है। उनकी कंपनी विभिन्न देशों में स्थानीय संगठनों के साथ काम करती है और महिलाओं को नए किस्म का काम सिखाती है। सामासोर्स ने ग्रामीण महिलाओं की सामाजिक स्थिति को मजबूत किया है। कभी परिवार के सदस्यों पर आर्थिक रूप से निर्भर रहने वाली महिलाएं अब परिवार की सबसे ज्यादा कमाऊ सदस्य बन गई हैं।
2.योरदोस्त की सीईओ ऋचा सिंह ने मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई पहल की। उन्होंने भारत में मनोचिकित्सकों को उन लोगों से ऑनलाइन जोड़ा जिन्हें भावनात्मक मदद और चिकित्सा की जरूरत है। उन्होंने सुनिश्चित किया कि उन लोगों की पहचान सुरक्षित रहे- इंटरनेट के जरिए लोगों को गुमनाम रखना सरल है और ऋचा ने इसका लाभ उठाया। स्वास्थ्यकर्मियों और मरीजों के बीच एक संबंध कायम हुआ- व्यापार का एक नया मॉडल उभरकर सामने आया और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पूर्वाग्रह तोड़ने में मदद मिली।
3.जुम की रितु नारायण सुरक्षित और भरोसेमंद यात्रा मुहैय्या कराती हैं जिनके कारण समाज के संवेदनशील वर्गों जैसे बच्चों और बुजुर्गों को विश्वासपात्र, जानकार और जांचे-परखे ड्राइवर्स के साथ सफर करने का मौका मिलता है। ड्राइवर्स यात्रियों की पूरी देखभाल करते हैं और उन्हें सुरक्षित पिक अप/ड्रॉप सर्विस उपलब्ध कराते हैं।
4.फ्रंटियर मार्केट्स की अजेता शाह ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ ऊर्जा उत्पाद उपलब्ध कराती हैं। इसके लिए उन्होंने ग्रामीण महिलाओं का एक वितरण नेटवर्क सोलर सहेली तैयार किया है जोकि रोजगार सृजन भी करता है। उनकी कंपनी ने 3000 ग्रामीण उद्यमी तैयार किए हैं जिनमें से एक तिहाई महिलाएं हैं। ये सभी मिलकर 380,000 परिवारों को सौर ऊर्जा उपलब्ध कराते हैं और बिजली की समस्या भी दूर होती है।
इन प्रेरणाप्रद महिलाओं ने उत्तरदायित्वपूर्ण और समावेशी नेतृत्व की मिसाल पेश की है। उनके नेतृत्व से समाज पर सकारात्मक असर हुआ। उनके व्यापारिक मॉडल ने मुनाफा कमाने के साथ-साथ समाज की मदद भी की है। इन मॉडल्स ने तकनीक का उपयोग करके नया दृष्टिकोण विकसित किया है और बड़े पैमाने पर लोगों का जीवन बदला है। विश्व में महिला उद्यमियों की संख्या बढ़ रही है और परिवर्तन का दौर जारी है- व्यापार की यह शैली भले ही असामान्य हो लेकिन अब जल्द ही एक कायदा बनने जा रही है।
हम महात्मा गांधी के कथन से इस लेख को समाप्त करते हैं जो आज के डिजिटल युग में भी प्रासंगिक है। वह कहा करते थे-“स्त्रियों को कमजोर बताना उनका अपमान करना है, यह पुरुषों द्वारा महिलाओं के प्रति अन्याय है। अगर शक्ति का अर्थ क्रूरता है तो निस्संदेह स्त्रियां पुरुषों से कम क्रूर हैं। पर अगर ताकत का अर्थ नैतिक शक्ति है तो स्त्रियां पुरुषों से कहीं अधिक श्रेष्ठ हैं। क्या उनमें अधिक अंतर्ज्ञान नहीं होता, क्या वे अधिक आत्म-त्याग नहीं करतीं, क्या उनमें अधिक धीरज नहीं होता, क्या उनमें अधिक साहस नहीं होता? उनके बिना पुरुषों का क्या अस्तित्व है। अगर अहिंसा हमारे अस्तित्व का कारण है, तो भविष्यकाल स्त्रियों के नाम है।”
लेखकों के विषय में
पॉला मारीवाला ने सफलता के लिए किये जाते संघर्ष कोइतना नज़दीक से देखा कि वह संघर्ष का रूप ही हो गई। वह स्टैनफर्ड एंजल्स एंड इंटरप्रेन्योर्स इंडिया की संस्थापक और को-प्रेज़िडेंट हैं। यह स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के एल्यूमनीज़ का समूह है जोकि एंजल इनवेस्टर्स के तौर पर स्टार्टअप कंपनियों में शुरुआती चरण में निवेश करता है। पॉला भारत के प्रमुख अर्ली स्टेज वेंचर कैपिटल फंड सीडफंड की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी हैं। वह देश की सबसे पुरानी आईटी कंपनी हिंदीट्रोन की डायरेक्टर हैं। भारत में हिंदीट्रोन का 25 से अधिक कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम है जोकि उन्हें देश में हाई टेक उपकरणों की बिक्री का मुख्य खिलाड़ी बनाती है। यूएसए और भारत, दोनों देशों की टेक कंपनियों को पॉला के 20 साल के उद्यमिता और ऑपरेशनल अनुभवों का लाभ हासिल हुआ है।
राधिका शाह इसी क्षेत्र की एक अनुभवी लेखिका है। उसने वही लिखा जो उसने जिंदगी में बेहद करीब हो कर देखा। जिंदगी को बहुत ही नज़दीक हो कर देखे बिना इसके रहस्य और सत्य समझ भी नहीं आते। सिलिकॉन वैली की एंजल और इंपैक्ट इनवेस्टर तथा स्टैनफर्ड एंजल्स एंड इंटरप्रेन्योर्स की को-प्रेज़िडेंट हैं। इन पदों पर भी उसने गहरा अनुभव अर्जित किया। यह स्टैनफर्ड के 1200 से अधिक पूर्व विद्यार्थियों, फैकेल्टी और एल्यूमनी का समूह है। वह सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स फिलेंथ्रॉपी प्लेटफॉर्म की एडवाइज़र और पूर्व अशोका सीवी चैप्टर की सह संस्थापक हैं। भारत में एसवी लीडरशिप काउंसिल की सदस्य हैं और इंपैक्ट एक्सपीरियंसेज एंड एल्यूमन कैपिटल की एडवाइजर हैं जो इंपैक्ट फंड्स का एक कोष है। सबसे बड़ी बात इस समय वह आइकॉन की तरह इ। वह इ महिलायों के लिए एक उदाहरण भी है।