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Wednesday, March 13, 2024

बहुत फायदेमंद हैं प्लास्टिक वाले चावल-पीजीआई से पता चली हकीकत

डा. पंकज मल्होत्रा ने ‘चावल किलेबंदी’ पर बताए महत्वपूर्ण रहस्य 

"महिलाओं और बच्चों के जीवन में एनीमिया" की चुनौती से लड़ने में कारगर है यह  


चंडीगढ़
: 22 फरवरी 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//महिला स्क्रीन डेस्क)::

पिछले कुछ अरसे से यह अफवाह ज़ोरों पर है कि चावलों में प्लास्टिक के बने नकली चावल मिला कर बाज़ार में बिकने लगे हैं जो मानव शरीर में जा कर बेहद नुक्सान करते हैं। पीजीआई  के एक खास आयोजन में पता चला कि वास्तविकता इस अफवाह के बिलकुल ही विपरीत है। जिन चावलों को प्लास्टिक मिले चावल कह कर बदनाम किजा जाता है वे चावल वास्तव में फोर्टीफाईड राईस हैं। किलेबंदी की तरह सुरक्षित चावल जो आपके शरीर को भी मज़बूती से किलेबंदी जैसा ही बना देते हैं। जी हां-राईस फोर्टीफिकेशन-की तकनीक बेहद लोकप्रिय होती जा रही है। जिसे आप चावलों के साथ  होने वाली स्वास्थ्य किलेबंदी भी कह सकते हैं आजकल के दौर में यह  सब एक महत्वपूर्ण अविष्कार की तरह सामने आया है।  

गौरतलब है कि यह चावल भी आज के दौर का एक विशेष सप्लीमेंट जैसा ही होता है। किलेबंदी जैसा चावल या फिर फोर्टीफाइड राइस का मतलब है, बहुत ही अच्छा पोषणयुक्त चावल। इस विशेष किस्म के चावल में आम चावल की तुलना में आयरन, विटामिन बी-12, फॉलिक एसिड की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके अलावा जिंक, विटामिन ए, विटामिन बी वाले फोर्टिफाइड राइस भी विशेष तौर पर तैयार किए जा सकते हैं। 

इस  Fortified rice को आम चावल में मिलाकर खाया जाता है। इसके फायदों से अनजान लोग इसकी हकीकत नहीं जानते इस लिए वे अफवाहों का शिकार हो जाते हैं। इसकी एक वजह यह भी कि Fortified rice देखने में बिल्कुल आम चावल जैसे ही लगते हैं। अंतर कर पाना नामुमकिन नहीं तो बेहद कठिन ज़रूर होता है। इनका स्वाद भी बेहतर होता है और रंग भी।  भारत के फूड सेफ्टी रेग्युलेटर FSSAI के मुताबिक Fortified rice खाने से भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है.

अब सवाल उठता है कि फोर्टिफाइड राइस कैसे तैयार किया जाता है? तो जवाब यह है की इसे पूर्ण सुरक्षित ढंग से बनाया जाता है। फोर्टिफाइड चावलों को मिलों में बनाया जाता है. इस दौरान इनमें सूक्ष्म पोषक तत्वों, विटामिन और खनिजों की मात्रा को कृत्रिम तरीके से बढ़ाया जाता है. इसके लिए कोटिंग, डस्टिंग और एक्सट्रूजन (उत्सारण) जैसी तकनीक अमल में लाई जाती हैं. पहले सूखे चावल को पीसकर आटा बनाया जाता है. फिर उसमें सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाए जाते हैं. पानी के साथ इन्हें अच्छे से मिक्स किया जाता है. फिर मशीनों की मदद से सुखाकर इस मिक्स्चर को चावल का आकार दिया जाता है, जिसे फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) कहा जाता है. तैयार होने के बाद इन्हें आम चावलों में मिला दिया जाता है. FSSAI के नियम कहते हैं कि इसे 1:100 के अनुपात में मिलाया जाता है, मतलब 1 किलो चावल में 10 ग्राम फोर्टिफाइड राइस मिलाए जाते हैं.    

20 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के सहयोग से चंडीगढ़ के स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान संस्थान में हेमटोलॉजी विभाग द्वारा तकनीकी सहायता इकाई के तहत ‘चावल किलेबंदी ’ पर एक सार्वजनिक व्याख्यान आयोजित किया गया था। 2024. 

डॉ. रीना दास, प्रो और हेड, हेमटोलॉजी विभाग, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ ने अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत किया. मुख्य अतिथि डॉ. अनीता खारब, संयुक्त निदेशक, खाद्य विभाग, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले, हरियाणा सरकार. गेस्ट ऑफ ऑनर डॉ. सुनीधि करोल, एनीमिया कार्यक्रम के तहत कार्यक्रम अधिकारी और आकांक्षात्मक जिले के लिए नोडल अधिकारी, हरियाणा सरकार. डॉ. सुनीधी ने महिलाओं और बच्चों के बीच एनीमिया के बढ़ते प्रसार और सुरक्षा कार्यक्रमों के तहत भारत सरकार द्वारा सभी कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला. डॉ. शरीयत यूनुस, यूनिट एंड प्रोग्राम ऑफिसर (स्वास्थ्य और पोषण) के प्रमुख, विश्व खाद्य कार्यक्रम ने भारत में चावल के किलेबंदी पर एक व्याख्यान दिया. 

उन्होंने उल्लेख किया कि केवल इस तरह की पोषणयुक्त किलेबंदी ही एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का मुकाबला करने का आसान और सुरक्षित तरीका उपलब्ध है। डॉ. रीना दास ने विस्तार से बताया कि यह अकादमिक सार्वजनिक व्याख्यान राइस फोर्टिफिकेशन पर उनकी पहली सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन संचार (SBCC) गतिविधि है जिसका उद्देश्य हमारी चिकित्सा बिरादरी को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें सामुदायिक जागरूकता गतिविधियों में शामिल करना और संलग्न करना है. 

यह गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है जिसके साथ निपटने के लिए इसी अभियान के तहत एनीमिया हो जाने के बाद से कमजोर आबादी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और एनीमिया से निपटने के लिए पहल की जाती है। उन्होंने हीमोग्लोबिनोपैथियों के मरीजों के बीच लोहे के गढ़ वाले  शक्तिशाली चावल की सुरक्षा पर भी चर्चा की। डब्ल्यूएफपी के वरिष्ठ कार्यक्रम एसोसिएट सुश्री प्रीप्सा सैनी ने भारत में गढ़ वाले चावल की गुठली और चावल की स्थिति–मिथकों और गलतफहमी की तैयारी के चरणों के महत्व पर एक प्रस्तुति दी।  

पीजीआईएमईआर से क्लिनिकल हेमेटोलॉजी और मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. पंकज मल्होत्रा ने प्रतिभागियों को बताया कि एनीमिया विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के बीच एक प्रमुख मुद्दा है. उन्होंने उल्लेख किया कि आपके हीमोग्लोबिन को नियमित रूप से जांचना और उचित चिकित्सा लेना आवश्यक है ताकि रुग्णता कम हो सके. 

कार्यक्रम का समापन विभाग और संस्थान की ओर से धन्यवाद के एक वोट द्वारा किया गया था जिसकी औपचारिकता संस्थान के आधार पर हेमटोलॉजी विभाग, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के सहायक प्रोफेसर  प्रवीण शर्मा ने निभाई। 

Thursday, March 7, 2024

दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करवाने महिला को थाने न जाना पड़े

 7th March 2024 at 10:45 AM rkgm

*एल.एस. हरदेनिया ने महिला दिवस पर महिलाओं के हित में फिर जारी की विशेष अपील


भोपाल7 मार्च 2024: (मीडिया लिंक//वीमेन स्क्रीन डेस्क):: 

एक जो बेहद दुखद बात है कि महिलाओं को अभी तक पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकी। दुष्कर्म और बलात्कार जैसी जघन्य घटनाएं दुनिज़ा के दुसरे देशों में भी होने की खबरें आती रहती हैं लेकिन हमारा देश और समाज इसलिए भी महान गिना जाता है कि ज़हन हम शक्ति की पूजा अर्चना देवी के नौ रूपों को सामने रख कर करते हैं। हमारा अतीत, हमारा धर्म और हमारे  रीति रिवाज बताते हैं कि जब जब नारी का अपमान हुआ तब तब महाभारत जैसे हालात बनते रहे हैं। इस हकीकत के बावजूद नारी का अपमान लगातार जारी है। कही उसे जलाया  जा रहा है, कहीं उसकी बेरहमी से हत्या हो रही है और कहीं इसी तरह का कुछ और भी। इस तरह की घटनाओं को लेकर जानेमाने समाज सेवी और बहुत से मुद्दों पर बार बार  जागरूकता लाने के प्रयासों में तेज़ी लाते हुए जनाब एल एस हरदेनिया ने एक बार फिर से अपनी आवाज़ बुलंद की है। इस वृध्दा अवस्था में भी वह युवाओं को जगाने में जुटे हुए हैं। 

श्री हरदेनिया कहते हैं कि 8 मार्च सारी दुनिया में महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी देशों  में महिलाओं से सम्बन्धित समस्याओं पर चर्चा होती है। इस अवसर पर मैं दो समस्याओं पर चर्चा करना चाहूंगा। इन दोनों समस्याओं पर मैं पहले भी चर्चा कर चुका हूँ। वर्तमान  में यदि कोई महिला या बच्ची दुष्कर्म की शिकार होती है तो उसे शिकायत करने के लिए पुलिस थाने जाना पड़ता है। जो महिला या बच्ची दुष्कर्म की शिकार होती है तो वह मानसिक और शारीरिक रूप से इस स्थिति में नहीं होती है कि वह पुलिस थाने जा सके और अपनी शिकायत दर्ज करवा सके। इसके अतिरिक्त पुलिस थानों में प्रायः ऐसा वातावरण नहीं रहता है कि वह खुले रूप से अपनी शिकायत रख सके। इसलिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि दुष्कर्म से पीड़ित महिला या बच्ची को थाने न जाना पड़े और पुलिस अधिकारी स्वयं उसकी शिकायत दर्ज करने उसके निवास पर जायें। यदि 8 मार्च को इस तरह का फैसला होता है तो अत्यधिक महिलाओं के हित में होगा। इसलिए मैं आज फिर 8 मार्च को अपनी यह माँग दोहरा रहा हूँ। आशा है कि मेरी इस माँग को लोगों का समर्थन मिलेगा।

दूसरी जो समस्या है उसका सम्बन्ध अंधविश्वास से है। अंधविश्वास से भी बड़े पैमाने पर महिलाएँ ही पीड़ित होती हैं। यह देखा गया है कि तांत्रिक विशेषकर महिलाओं को ही टार्गेट करते हैं। अंधविश्वास सम्बंधी गतिविधियों को देश के अनेक राज्यों में प्रतिबंधित कर दिया गया है परंतु मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं हुआ है। यह भी देखा गया है कि आदिवासी अंधविश्वास से ज्यादा सताये जाते हैं। हमारे प्रदेश में आदिवासियों की संख्या दूसरे प्रदेशों से ज्यादा है इसलिए यहाँ यह कदम उठाना आवश्यक है।

दोनों मामलों में मेरा शासन से निवेदन है कि वे शीघ्र ही इस संबंध में आवश्यक कदम उठायें। आशा है मुख्यमंत्री समेत शासन में बैठे लोगों तक मेरी यह बात पहुंच रही होगी।              

*एल.एस. हरदेनिया राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक हैं और समाज के लिए अभिशाप बने मुद्दों पर अक्सर  मीडिया में कुछ न कुछ प्रसारित करते रहते हैं। इसके साथ ही समाज के सक्रिय लोगों, बुद्धिजीवियों, लेखकों और पत्रकारों को बुला कर बहुत बार कुछ न कुछ विशेष आयोजन भी करते रहते हैं। इन आयोजनों के मकसद और रिपोर्ट भी वह मीडिया में लाते रहते हैं। उनका मोबाईल नंबर है: +91  9425301582 इस पोस्ट पर भी आपके विचार और टिप्पणियां आमंत्रित हैं। 

L.S. Herdenia is a journalist by profession and a well-known activist & fighter for the cause of

Wednesday, January 17, 2024

जीजाबाई-जिसने संघर्षों से जीती ज़िंदगी की हर जंग

 17 जनवरी 2024//महिलाएँ//भारत 

बाधाओं से लड़ती अकेली माँ का सहारा बनी यूएनडीपी परियोजना


महिला संसार के संघर्षों की एक और सच्ची कहानी 

संयुक्त राष्ट्र संघ:17 जनवरी 2024: (UNDP India//वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

जीवन एक निरंतर संग्राम ही तो है। एक गीत भी बहुत लोकप्रिय हुआ था--ज़िंदगी हर कदम इक नई जंग है। वास्तव में हम सभी को जीवन में कदम कदम पर चुनौतियों का सामना करना ही पड़ता है। संघर्षों के इस तूफ़ान में मदद के हाथ भी उठते हैं। कभी सरकार की मदद तो कभी समाज की मदद। कोविद में भी बहुत से लोगों का जीवन कठिन हो गया था।  

कोविड-19 के दौरान सफ़ाई साथियों के लिए आरम्भ की गई, यूएनडीपी की उत्थान पहल, 2022 के बाद से लगभग साढ़े 11 हज़ार सफ़ाई साथियों को, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँचाने में सफल हुई है। इस कार्यक्रम से लाभ उठाने वाली एक महिला सफ़ाई कर्मी-जीजाबाई अशोक मकासरे की कहानी। 

54 वर्षीय जीजाबाई अशोक मकासरे, चार बच्चों की माँ और अकेली अभिभावक हैं. उनके पति भी सफ़ाई साथी थे. ''हम दोनों कचरा बीनने का काम करते थे।  हमने साथ मिलकर बहुत कठिन समय गुज़ारा. उनके निधन के बाद मेरी यही इच्छा है कि मैं बच्चों को उत्कृष्ट सुविधाएँ प्रदान कर सकूँ।"

जीजाबाई, महाराष्ट्र के जलना गाँव में अकाल पड़ने पर युवावस्था में ही अपने परिवार के साथ मुम्बई आ गई थीं। 

उनके पिता ने शहर आकर कूड़ा बीनने का काम शुरू किया, लेकिन गुज़ारा मुश्किल से होने के कारण जीजाबाई भी इसी काम में लग गईं।  

"मैं पढ़ी-लिखी नहीं थी, और हमें जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था, इसलिए मैंने भी अपने पिता के साथ काम पर जाना शुरू किया और फिर ख़ुद भी यही पेशा अपना लिया।”

जीजाबाई, स्वयं सहायता समूह की चर्चाओं में हिस्सा लेने लगीं और बाद में  नए सफ़ाई साथियों को कचरे से खाद बनाना सिखाने लगीं। 

चूँकि मैं इतने लम्बे समय से काम कर रही हूँ, नए सफ़ाई साथियों को कुछ हुनर ​​सिखा सकती हूँ. जैसेकि अपशिष्ट से मिट्टी किस तरह बनाई जाती है या फिर कामकाज के दौरान अपने-आप को ख़तरों से सुरक्षित कैसे रखा जाए।"

“मैं काफ़ी समय तक अस्वस्थ रही, काम छूट गया था और मेरे पास ज़्यादा बचत भी नहीं थी. उम्मीद है कि स्वास्थ्य कार्ड और बीमा योजना के कारण अब कभी मुझे दोबारा ऐसा बुरा वक़्त नहीं देखना पड़ेगा।”

जीजाबाई स्वयं सहायता समूह की चर्चाओं में भाग लेती हैं और अन्य सफ़ाई साथियों को कचरे से ख़ाद बनाना भी सिखाती हैं। 

जीजाबाई ने बताया कि काम के दौरान, किस तरह कई बार उन्हें आवारा कुत्तों ने काट लिया, या फिर काँच के टुकड़ों या अन्य चीज़ों पर पैर पड़ने से कई दुर्घटनाएँ घटीं। 

“यह आसान काम नहीं है. काम करते समय पता नहीं चलता कि अगले पल क्या होने वाला है. आप केवल इतना कर सकते हैं कि तैयार और सतर्क रहें।”

जीजाबाई को उत्थान के बारे में स्त्री मुक्ति संगठन से पता चला, जिसने मुम्बई में सफ़ाई साथियों के बीच जागरूकता का नेतृत्व किया है। 

उसने एक नया बैंक खाता खोला और उसे अनिवार्य दस्तावेज़ों के साथ जोड़ा। 

उन्होंने पैन व आधार कार्ड, तथा ई-श्रम के लिए नामांकन कराया और वो प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में भी धनराशि जमा कर रही हैं। 

जीजाबाई का कहना है, “उत्थान सदस्यों की मदद से, मैंने सभी सामाजिक कल्याण योजनाओं का विकल्प चुना, ताकि हमारे बच्चे भी सीखकर आगे बढ़ें और ख़ुद की रक्षा करने में समर्थ हों।"

Friday, December 1, 2023

अंतर्राष्ट्रीय महिला कैंसर सम्मेलन-2023 शुरू

Friday 1st December 2023 at 18:19

200 से अधिक डॉक्टरों और 100 नर्सों ने भाग लिया


चंडीगढ़: 01 दिसंबर 2023: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)::

अंतर्राष्ट्रीय महिला कैंसर सम्मेलन-2023 का पहला दिन  जोशो-खरोश की सफलता वाला था। पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च और अमेरिकन सोसाइटी ऑफ क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी (एएससीओ) द्वारा आयोजित सम्मेलन की शुरुआत आयोजन सचिव डॉ. गौरव प्रकाश के स्वागती भाषण से हुई। 

इस कॉन्फ्रेंस में चंडीगढ़ और पड़ोसी राज्यों से 200 से ज्यादा डॉक्टर और 100 नर्सें शामिल होने आईं।  जिज्ञासा बहुत कुछ और साँझा करने की भी थी। तेज़ी से आम होते जा रहे महिला कैंसर को लेकर मेडिकल विज्ञानं पूरी तरह सतर्क है और इस दिशा में आगे कदम भी बढ़ा रहा है। 

पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रोफेसर विवेक लाल ने इस ऐतिहासिक सम्मेलन को संबोधित किया और एएससीओ के साथ सहयोग की सराहना भी की।  इसके साथ ही कैंसर रोगियों की सर्वोत्तम देखभाल के लिए इस सहयोग का उपयोग करने का आश्वासन भी दिया।

एएससीओ के रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट प्रो. ओनीनी बालोगुन ने दुनिया भर में महिलाओं के कैंसर की निगरानी की और बहु-विषयक कैंसर क्लिनिक के महत्व पर जोर दिया। कैंसर पर उनके विचार बहुत ही जानकारी भरे थे। दुनिज़ा भर में गंभीर होते जा रहे इस विषज पर आईजीआई चंडीगढ़ के सम्मेलन में बहुत कुछ कहा सुना गया। 

गौरतलब है कि स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर,फेफड़ों का कैंसर, स्मोकिंग के दौरान छोड़ा जाने वाला धुआं जो सांस के द्वारा दूसरों के भीतर जाता है:थायराइड कैंसर,थायराइड कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैंः ओवेरियन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर उन में प्रमुख हैं जिनका खतरा काफी गंभीर गिना जाता है। 

एसोसिएशन ऑफ गायनोकोलॉजिकल ऑन्कोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया (एजीओआई) के अध्यक्ष डॉ. रूपिंदर सेखों ने भारत में विभिन्न कैंसर के लिए महिलाओं की जांच के महत्व और सीमाओं पर जोर दिया। इस संबंध में उठाए जा रहे कदमों और नई खोजों की भी  चर्चा हुआ। 

प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख और आयोजन अध्यक्ष प्रोफेसर वनिता सूरी ने बहु-विषयक कैंसर देखभाल के महत्व पर प्रकाश डाला। उनका भाषण बहुत हजी जानकारी भरा था। उन्होंने इस संबंध में बहुत सामने रखा। 

इसी सम्मेलन में एएससीओ के प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय संकाय, डॉ. मैरी मैककॉर्मैक और डॉ. चार्ल्स डनटन ने भी भाग लिया। विभिन्न विचार-विमर्शों में स्तन कैंसर में साक्ष्य आधारित सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में चर्चा की गई। युवा शोधकर्ताओं ने ई-पोस्टर के माध्यम से अपना शोध प्रस्तुत किया। 

क्विज़ के प्रारंभिक दौर में नौ मेडिकल कॉलेजों का प्रतिनिधित्व करने वाली 14 टीमों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई। कुल मिलाकर सम्मेलन का वह पहले दिन अपने आप में एक शैक्षणिक दावत जैसा था।इस मौके बहुत कुछ नया सीखने को मिला। 

Thursday, November 23, 2023

महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए फंड की कमी

  Thursday: 23rd November 2023 at 1:34 AM

मीडिया को जारी अधिकृत  प्रेस विज्ञप्ति                                       22 नवंबर 2023

 यूएन वीमेन ने किया साहसिक निवेश का आह्वान 

2022 में, दुनिया भर के देशों ने विदेशी विकास सहायता में 204 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए - उस बड़ी राशि में से केवल एक प्रतिशत का पांचवां हिस्सा लिंग आधारित हिंसा (जीबीवी) को रोकने पर खर्च किया गया


न्यूयॉर्क
23 नवम्बर 2023: (यूएन वीमेन//
वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस से पहले, एक रिपोर्ट जारी की गई है।   व्हाटस काउंट में आप यहां क्लिक कर के अधिक विवरण भी देख सकते हैं। "व्हाट काउंट्स?"  में आपको मिलेगा पूरा विवरण जिसे देख कर समस्या का पूर्ण स्वरूप समझना आसान होगा। इसी तरह जीबीवी पर जेनरेशन इक्वेलिटी एक्शन कोएलिशन की सामूहिक प्रतिबद्धता के तहत संयुक्त राष्ट्र महिला साझेदार समानता संस्थान और जीबीवी रोकथाम के लिए एक्सेलेरेटर द्वारा महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम के लिए वित्त पोषण की स्थिति एक चिंताजनक वास्तविकता को उजागर करती है: लिंग आधारित हिंसा, चिंताजनक अनुपात का मुद्दा है, जो वैश्विक सहायता और विकास निधि का केवल 0.2% ही जुटाती है।

यह रिपोर्ट तब आई है जब दुनिया संयुक्त राष्ट्र महासचिव के यूएनआईटीई अभियान द्वारा निर्धारित वैश्विक विषय के तहत 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ 16 दिनों की सक्रियता की शुरुआत कर रही है, "एकजुट हो जाओ!" महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए निवेश करें।”

जैसा कि दुनिया सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के आधे पड़ाव को चिह्नित करती है, महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने की तात्कालिकता कभी इतनी अधिक नहीं रही है। संयुक्त राष्ट्र महिला लिंग स्नैपशॉट 2023 रिपोर्ट से पता चलता है कि 245 मिलियन महिलाओं और लड़कियों को हर साल अपने अंतरंग सहयोगियों से शारीरिक और/या यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है। चौंका देने वाली बात यह है कि 86 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियां हिंसा के खिलाफ मजबूत कानूनी सुरक्षा के बिना या ऐसे देशों में रहती हैं जहां डेटा उपलब्ध नहीं है।

इसके अतिरिक्त, आर्थिक संकटों, संघर्षों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने महिलाओं और लड़कियों की हिंसा के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा दी है।

“अब समय आ गया है कि हम गंभीर हो जाएं और महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए जो कुछ भी हम जानते हैं उसे वित्त पोषित करें। कानूनों और बहुक्षेत्रीय नीतियों में सुधार और कार्यान्वयन में निवेश करें। जीवित बचे लोगों को सेवाएँ प्रदान करें। साक्ष्य-आधारित रोकथाम हस्तक्षेपों को बढ़ाएं। सभी हितधारकों और क्षेत्रों की इच्छा और योगदान से, हम वित्तपोषण को अनलॉक कर सकते हैं, बजट आवंटन को ट्रैक कर सकते हैं और लिंग-उत्तरदायी बजटिंग को बढ़ा सकते हैं। हमारे पास अपने जीवनकाल में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के समाधान और संसाधन हैं। यह हमारी पसंद है,'' संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यकारी निदेशक सिमा बाहौस ने न्यूयॉर्क में महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के आधिकारिक स्मरणोत्सव कार्यक्रम में कहा।

एक मजबूत और स्वायत्त नारीवादी आंदोलन भी समाधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। महिला अधिकार संगठन हिंसा को रोकने, नीति परिवर्तन की वकालत करने और सरकारों को जवाबदेह बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, जीबीवी की जवाबदेही रिपोर्ट पर एक्शन गठबंधन के अनुसार, वे गंभीर रूप से अल्प वित्त पोषित हैं, और इस क्षेत्र में काम करने वाले महिला अधिकार संगठनों के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है।

साथ ही, आज यूएनओडीसी और यूएन वीमेन द्वारा संयुक्त रूप से तैयार महिलाओं और लड़कियों की लिंग संबंधी हत्याओं पर अनुमानों के साथ एक नया शोध संक्षिप्त लॉन्च किया गया, जिससे पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर, 2022 में लगभग 89,000 महिलाओं और लड़कियों को जानबूझकर मार दिया गया, जो कि दर्ज की गई सबसे अधिक वार्षिक संख्या है। पिछले दो दशकों में, यह संकेत मिलता है कि महिला हत्याओं की संख्या कम नहीं हो रही है। महिलाओं और लड़कियों की अधिकतर हत्याएं लिंग प्रेरित होती हैं। 2022 में, महिलाओं की 55 प्रतिशत जानबूझकर हत्याएं (लगभग 48,800) अंतरंग भागीदारों या परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा की गईं। इसका मतलब यह है कि, औसतन हर दिन 133 से अधिक महिलाओं या लड़कियों को उनके ही परिवार में किसी ने मार डाला।

दुनिया भर में सक्रियता के 16 दिन

16 दिनों के सक्रियता अभियान के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र महिलाएँ विभिन्न प्रकार की महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए काम करने वाले महिला अधिकार संगठनों के लिए राज्यों, निजी क्षेत्र, फाउंडेशनों और अन्य दानदाताओं से दीर्घकालिक, टिकाऊ निवेश बढ़ाने का आह्वान करेंगी।

22 नवंबर को, न्यूयॉर्क में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के आधिकारिक स्मरणोत्सव कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव का उद्घाटन भाषण और संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यकारी निदेशक की टिप्पणी शामिल होगी, और आवाजें एक साथ आएंगी। सदस्य राज्यों, महिला नागरिक समाज संगठनों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और लिंग आधारित हिंसा पर जनरेशन इक्वेलिटी एक्शन गठबंधन के नेताओं और प्रतिबद्धता निर्माताओं की। इस वर्ष की थीम के अनुरूप, यह आयोजन महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए निवेश की सर्वोत्तम प्रथाओं, अंतरालों और चुनौतियों और आगे के रास्ते पर प्रकाश डालेगा।

संयुक्त राष्ट्र महिलाएँ #NoExcuse और #16Days का उपयोग करके लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ बोलने के लिए एक वैश्विक सोशल मीडिया अभियान का नेतृत्व भी करेंगी।

रवांडा में एक फिल्म महोत्सव से लेकर, श्रीलंका में युवा महिलाओं के लिए संवाद और मिस्र और मोरक्को में फिल्म स्क्रीनिंग तक, 16 दिनों की सक्रियता के दौरान आयोजित दर्जनों कार्यक्रमों का उद्देश्य महिलाओं के लिए हिंसा मुक्त भविष्य सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करना होगा। लड़कियों का प्रतीक नारंगी रंग है।

पिछले वर्षों की तरह, 16 दिनों की सक्रियता के दौरान दुनिया भर की प्रतिष्ठित इमारतों को नारंगी रंग में रोशन किए जाने की उम्मीद है, जिसमें ब्रुसेल्स, बेल्जियम में ग्रैंड प्लेस सिटी हॉल होटल डे विले, डकार, सेनेगल में यूएन हाउस, त्बिलिसी टीवी टॉवर शामिल हैं। त्बिलिसी, जॉर्जिया और स्वीडन, पाकिस्तान और अन्य देशों की अन्य ऐतिहासिक इमारतों में।

Friday, April 21, 2023

तेजी सेठी ने अपनी रचना में उठाया है महत्वपूर्ण मुद्दा

किस असुरक्षा के चलते नारी के मन में होती है पुत्र की चाह?

मुनाफाखोरी की सोच से भरे सिस्टम की या है भूमिका 

नारीवाद के साथ साथ नारी की कलम में ज़ोर भी बढ़ रहा है और बेबाकी भी। सदियों से चले आ रहे शोषण के खिलाफ बुलंद होती आवाज़ अब इस मामले में नारी द्वारा होते शोषण को भी नज़र अंदाज़ नहीं करती। नारी जब खुल कर बेबाकी से लिखती है तो नारी भी उसके निशाने पर रहती है। ऐसी ही एक रचना इन्हीं दिनों सोशल मीडिया पर भी नज़र आई। तेजी सेठी जी द्वारा पोस्ट इस रचना में शोषण की जड़ों तक पहुंचने का प्रयास किया गया है।   

उन्होंने आल इंडिया इंसीचियूट ऑफ़ मेडिकल साइंसिज़ में शिक्षा पाई और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुडी हुई हैं। उनकी लेखनी में विज्ञान का स्वर गहराई से सुनाई देता है। ज़्यादातर साहित्य अंग्रेज़ी में रचा इसलिए उनका अध्यन, सोच और दायरा भी एक तरह से ग्लोबल ही हो गया। 

मात्रभाषा और स्वदेश भाषायो से लगाव उन्हें वापिस इनके पास भी ले आया। हिंदी में भी उन्होंने उच्च कोटि की उत्कृष्ट रचनाएँ लिखी हैं जो सोचने पर मजबूर करती हैं। जिस कविता को यहाँ दिया जा रहा है वह भी सोचने को मजबूर करती है। 


स्त्रियां 

चाहती हैं अपनी कोख से पुत्र

ताकि वक्त आने पर 

दूध का मोल  सकें 

और मां बनने से पहले 

 बन बैठती हैं व्यापारी 

फिर उसी रक्त उपजता है एक पुरुष

जो अपनी स्त्री का लगता है मौल 

अपर यह कोई समझ नहीं पाता 

कि यह सोच उस  तक पहुंची है 

गर्भ नाल से 

और उस पहली स्त्री की अपेक्षाओं का बोझ 

ढोती है दूसरी स्त्री 

यहाँ हर स्त्री 

यहां हर स्त्री किसी दूसरी स्त्री की 

मज़दूरी कर रही है 

और खड़ी कर रही है पितृसत्ता की दीवार 

                        ------------तेजी 

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Monday, October 31, 2022

मध्यप्रदेश:आत्म-निर्भर होते गाँव-सशक्त होती महिलाएँ-महेन्द्र सिंह सिसोदिया

Bhopal: Monday: 31st October 2022 at 19:57 IST

 प्रदेश में महिलाओं के 4 लाख से अधिक स्व-सहायता समूह हैं 

संकेतक तस्वीरें 

भोपाल: सोमवार: 31 अक्टूबर 2022: (वीमेन स्क्रीन डेस्क// इनपुट कार्तिका सिंह)::

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री
मध्यप्रदेश शासन: 
महेन्द्र सिंह सिसोदिया

हालांकि महिलाओं ने अंतरिक्ष पर भी विजय प्राप्त कर ली है। शायद ही कोई क्षेत्र हो जहाँ महिलाओं की पहुंच न हो चुकी हूँ लेकिन इस सब के बावजूद महिलाओं के लिए घर परिवार की रसोई और अन्य खर्चे चलाना आसान नहीं हो सका। महिला के अपने हाथ में पैसा आए बिना उनका सशक्तिकरण पूरा नहीं हो सकेगा। यह सिथति अमीरी वर्ग की भी है, मध्यवर्ग की भी और गरीब वर्ग की भी। देश के विभिन्न हिस्सों में महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत कुछ हो भी रहा है। बहुत सी योजनाएं सक्रियता से चल भी रही हैं। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और दक्षिण भारत में भी बहुत से कदम उठाए गए हैं। आज हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश की जहाँ महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने के प्रयास ज़ोरशोर से हो रहे हैं। उनकी व्यक्तिगत आमदनी उनकी मेहनत की कमाई से बढ़ रही है।  मध्यप्रदेश में सक्रिय स्व-सहायता समूह ४५ लक्ष से भी अधिक परिवारों को आर्थिक तौर पर मज़बूत बनाने में जुटे हुए हैं। इस  तरह के आने स्वस्थ समाज का निर्माण तेज़ी से हो रहा है जो आत्म निर्भरता के अभियान को मज़बूत बनाने में जुटा हुआ है। इस आत्म निर्भर समाज की अधिकतर महिलाएं अब स्वयं भी पूरी तरह से पूरी तरह से पूर्ण सशक्तिकरण की तरफ बढ़ रही हैं। 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ग्राम स्वराज की अवधारणा मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में मूर्त रूप ले रही है। प्रदेश के गाँव आत्म-निर्भर स्वायत्त इकाई के रूप में विकसित हो रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से अनेक की कमान महिलाओं के हाथ में है। प्रदेश में महिलाओं के 4 लाख से अधिक स्व-सहायता समूह हैं, जिनसे जुड़े 45 लाख से अधिक परिवार विभिन्न गतिविधियों से न केवल अपने परिवारों को आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर बना रहे हैं, अपितु महिलाएँ भी सामाजिक रूप से सशक्त हो रही हैं।

प्रदेश की 23 हजार 12 ग्राम पंचायत, 313 जनपद पंचायत और 52 जिला पंचायत के लिये हुए निर्वाचन में 630 सरपंच, 157 जनपद सदस्य और एक जिला पंचायत सदस्य निर्विरोध निर्वाचित हुए थे, जिनमें 415 महिला सरपंच हैं। विगत वर्षों में पंचायतों द्वारा स्वयं की आय के कर एवं गैर-कर राजस्व के स्रोतों को प्रभावी रूप से क्रियान्वित करते हुए स्वयं की आय के रूप में लगभग 189 करोड़ रूपये अर्जित किये गये हैं। साथ ही पंचायतें नवाचार में भी आगे हैं। “सूर्य शक्ति अभियान’’ में पंचायतों की विद्युत खपत को सौर ऊर्जा पर अंतरित किया जा रहा है। इससे पंचायतें अतिरिक्त वित्तीय संसाधन भी जुटा सकेंगी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा प्रदेश के लिये तैयार किये गये आत्म-निर्भरता के रोडमेप पर कार्य करते हुए हमारा विभाग (पंचायत एवं ग्रामीण विकास) ग्रामीण क्षेत्रों को आत्म-निर्भर बनाने की दिशा में तेज गति से काम कर रहा है। ग्रामों में न केवल अधो-संरचना विकास, बुनियादी सुविधाएँ, रोजगार, स्वच्छता के क्षेत्र में निरंतर कार्य हो रहे हैं, अपितु प्रत्येक परिवार को पक्का आवास भी सुनिश्चित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना में विद्यार्थियों को पौष्टिक आहार दिलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में इस वित्त वर्ष में 152 करोड़ रूपये की लागत से प्रदेश में 125 अमृत सरोवर बनाये जा रहे हैं।

प्रदेश में महात्मा गाँधी नरेगा योजना में इस वित्त वर्ष में 36 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार दिलाया गया और 14 करोड़ 93 लाख से अधिक मानव दिवस सृजित हुए। अनुसूचित जनजाति के परिवारों को रोजगार दिलाने में हमारा प्रदेश देश में अग्रणी है। प्रदेश में इस वित्त वर्ष में अनुसूचित जनजाति के 12 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार दिलाया गया और 4 करोड़ 79 लाख मानव दिवस सृजित हुए। इसी योजना से "कैच द रेन'' अभियान में ग्रामों में 2 लाख 70 हजार जल-संरचनाओं का निर्माण भी किया गया है।

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में प्रदेश में 52 जिलों के 47 हजार 22 गाँव में कार्य किया जा रहा है। मिशन में अब तक 4 लाख 3 हजार 172 स्व-सहायता समूह का गठन कर 45 लाख 5 हजार परिवार को जोड़ा गया है। इन्हें बैंकों से 4 हजार 408 करोड़ रूपये का ऋण वितरित किया गया है। मिशन के माध्यम से इन परिवारों के 529 करोड़ 43 लाख रूपये के उत्पादों का विक्रय किया गया है। स्व-रोजगार कार्यक्रमों में 73 हजार ग्रामीण युवाओं को विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षित कर रोजगार मेलों से रोजगार दिलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ-विक्रेता योजना में 3 लाख 81 हजार ग्रामीण लाभान्वित हुए हैं।

स्वच्छ भारत मिशन के प्रथम चरण में हमारे गाँवों द्वारा निर्धारित अवधि के एक वर्ष पूर्व 2 अक्टूबर, 2018 को ही खुले में शौच मुक्ति (ओडीएफ) का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। मिशन (ग्रामीण) के द्वितीय चरण में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश में अब तक 3 लाख 41 हजार व्यक्तिगत शौचालय और 16 हजार 274 स्वच्छता परिसर बनाये गये हैं। साथ ही 15 हजार 164 ग्राम में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और 15 हजार 919 गाँव में तरल अपशिष्ट प्रबंधन किया गया है। प्रदेश के 15 हजार 525 ग्राम को ओडीएफ प्लस बनाया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा 2 अक्टूबर, 2022 को हमारे प्रदेश को विभिन्न श्रेणियों में अग्रणी राज्य का पुरस्कार दिया गया है।

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यमंत्री श्री चौहान के "सबके लिये पक्का आवास'' के संकल्प को पूरा करने के लिये तेज गति से कार्य हो रहा है। प्रतिमाह लगभग एक लाख प्रधानमंत्री आवास बनाये जा रहे हैं। योजना में अब तक प्रदेश में 38 लाख आवास स्वीकृत हुए हैं, जिनमें 29 लाख आवास पूरे कर लिये गये हैं। इन पर 35 हजार करोड़ रूपये से अधिक की लागत आई है। इस वर्ष 6 माह में ही लगभग 4 लाख 51 हजार आवास पूर्ण किये गये और धनतेरस के पवित्र अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हमारे ग्रामीण हितग्राहियों को वर्चुअल माध्यम से गृह-प्रवेश कराया गया।

ग्रामीण अधो-संरचना विकास के कार्य भी प्रदेश में निरंतर हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ग्राम-सड़क योजना में 8 हजार 942 गाँव को जोड़ने के लिये 20 हजार 89 किलोमीटर लम्बाई की 8 हजार 714 सड़क स्वीकृत की गई हैं, जिनमें अभी तक 19 हजार 135 किलोमीटर की 8 हजार 292 सड़क बनाई जा चुकी हैं। प्रदेश के 8 हजार 456 गाँव को बारहमासी एकल सम्पर्कता से जोड़ा जा चुका है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के क्रियान्वयन में गत 3 वर्ष में प्रदेश में 9 हजार 127 किलोमीटर सड़क का निर्माण गुणवत्ता के साथ किया जाकर देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया गया है।

इस स्टोरी के बड़े हिस्से की जानकारी लेखक पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री मध्यप्रदेश शासन श्री महेंद्र सिसोदिया ने दी है।