33 सामुदायिक विकास ब्लाकों तथा 4891 सामुदायिक केन्द्रों में विस्तार
महिला और बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा तीरथ ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि समेकित बाल विकास सेवा स्कीम (आईसीडीएस) 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा गर्भवती और धात्री माताओं के स्वास्थ्य पोषण और विकास की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। स्कीम के अन्य उद्देश्य बाल विकास को प्रोन्नत करने के लिए उनकी मृत्यु दर, रूग्णता, कुपोषण और स्कूल छोड़ दिए जाने की घटनाओं में कमी तथा विभिन्न् विभागों के बीच नीतियों का प्रभावी समन्वयन और क्रियान्वयन है।
बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आईसीडीएस के अतिरिक्त सरकार द्वारा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत विभिन्न उपाय क्रियान्वित किए जा रहे हैं। इसमें समेकित नवजात तथा बाल्यावस्था रूग्णता प्रबंधन विशेष नवजात देखरेख यूनिट और पोषण पुनर्वास केन्द्रों सहित जननी शिशु सुरक्षा योजना, नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम शामिल है।
अपने परिचालन के 35 वर्षों में, आईसीडीएस जिसका 1975 में चयनित 33 सामुदायिक विकास ब्लाकों तथा 4891 सामुदायिक केन्द्रों में विस्तार किया गया था, 2008-09 में अनुमोदित किए गए सर्वसुलभीकरण के अंतिम चरण के साथ पूरे देश में 7076 अनुमोदित परिययोजनाओं तथा 14 लाख आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से सर्वसुलभीकरण हो गया है। तथापि, इसका अधिकांश विस्तार (50 प्रतिशत से भी अधिक) 2005 के बाद ही हुआ है। अपनी निर्दिष्ट सीमाओं में, कुपोषण की व्यप्तता जो 1998-99 (एनएफएचएस-2) में 42.7 प्रतिशत थी वर्ष 2005-06 (एनएफएचएस-3) में घटकर 40.4 प्रतिशत हो गई। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-3) सहित अनेक अध्ययनों से यह स्पष्ट होता है कि इस कार्यक्रम ने बाल-कुपोषण में कमी, देखरेख की पद्धतियों में आईएमआर और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी, सुधार तथा गुणवत्ता पूर्ण स्कूल-पूर्व शिक्षा सहित उन्नत प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास परिणामों जैसे कुछेक प्रमुख कार्यक्रम के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में सकारात्मक योगदान दिया है। (PIB) 14-दिसंबर-2012 15:39 IST
मीणा/बिष्ट/चन्द्रकला-6107
महिला और बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा तीरथ ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि समेकित बाल विकास सेवा स्कीम (आईसीडीएस) 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा गर्भवती और धात्री माताओं के स्वास्थ्य पोषण और विकास की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। स्कीम के अन्य उद्देश्य बाल विकास को प्रोन्नत करने के लिए उनकी मृत्यु दर, रूग्णता, कुपोषण और स्कूल छोड़ दिए जाने की घटनाओं में कमी तथा विभिन्न् विभागों के बीच नीतियों का प्रभावी समन्वयन और क्रियान्वयन है।
बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आईसीडीएस के अतिरिक्त सरकार द्वारा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत विभिन्न उपाय क्रियान्वित किए जा रहे हैं। इसमें समेकित नवजात तथा बाल्यावस्था रूग्णता प्रबंधन विशेष नवजात देखरेख यूनिट और पोषण पुनर्वास केन्द्रों सहित जननी शिशु सुरक्षा योजना, नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम शामिल है।
अपने परिचालन के 35 वर्षों में, आईसीडीएस जिसका 1975 में चयनित 33 सामुदायिक विकास ब्लाकों तथा 4891 सामुदायिक केन्द्रों में विस्तार किया गया था, 2008-09 में अनुमोदित किए गए सर्वसुलभीकरण के अंतिम चरण के साथ पूरे देश में 7076 अनुमोदित परिययोजनाओं तथा 14 लाख आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से सर्वसुलभीकरण हो गया है। तथापि, इसका अधिकांश विस्तार (50 प्रतिशत से भी अधिक) 2005 के बाद ही हुआ है। अपनी निर्दिष्ट सीमाओं में, कुपोषण की व्यप्तता जो 1998-99 (एनएफएचएस-2) में 42.7 प्रतिशत थी वर्ष 2005-06 (एनएफएचएस-3) में घटकर 40.4 प्रतिशत हो गई। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-3) सहित अनेक अध्ययनों से यह स्पष्ट होता है कि इस कार्यक्रम ने बाल-कुपोषण में कमी, देखरेख की पद्धतियों में आईएमआर और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी, सुधार तथा गुणवत्ता पूर्ण स्कूल-पूर्व शिक्षा सहित उन्नत प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास परिणामों जैसे कुछेक प्रमुख कार्यक्रम के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में सकारात्मक योगदान दिया है। (PIB) 14-दिसंबर-2012 15:39 IST
मीणा/बिष्ट/चन्द्रकला-6107
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