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Wednesday, November 13, 2024

प्रेगनेंसी में महिलाओं को कितनी कैलोरी लेनी चाहिए//*डॉ अर्चिता महाजन

 Wednesday: 13th November 2024: Dr. Archita Mahajan//WhatsApp//Hindi//Women Health

सलाह:कैलोरी स्वस्थ्य फूड से पूरी करें ना कि मिठाई या जंक फूड से 


गुरदासपुर
: 13 नवंबर 2024: (वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

प्रेगनेंसी में महिला स्वास्थ्य पर *डा. अर्चिता महाजन बता रही हैं  कुछ विशेष बातें जिनका ध्यान रख कर सबंधित महिलाएं स्वास्थ्य से जुड़ी बहुत सी मुसीबतों से बच सकती हैं।  

डा. अर्चिता महाजन 
डा. अर्चिता महाजन ने बताया है कि अक्सर महिलाओं को जो उलझन रहती है कि प्रेगनेंसी के दौरान आम भूख से डबल खाना चाहिए ऐसा शायद इसलिए कहा गया होगा कि किसी तरह से गर्भवती बहू को ज़्यादा खाने के लिए प्रेरित किया जा सके। 

डबल तो किसी हालत में खाया ही नहीं जा सकता। परंतु इसके साथ-साथ कैलोरी का भी ध्यान रखना होगा कि आप कैलोरीज़ कहां से ले रहे हैं। कोल्ड ड्रिंक पीने से आपकी कैलोरी की जरूरत पूरी हो जाएगी परंतु वह आपके बच्चे को जरूरत के अनुसार पोषण नहीं दे पाएगी और कई तरह के विकार उत्पन्न होंगे।

पहली तिमाही में आपको कोई अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत नहीं होती। दूसरी तिमाही में, आपको प्रतिदिन 340 अतिरिक्त कैलोरी और तीसरी तिमाही में 450 अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत हो सकती है। ज़्यादा एक्टिव रहने वाली महिलाओं को 350-450 अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत पड़ सकती है। वहीं, जो महिलाएं ज़्यादा काम नहीं करतीं, उन्हें 200-300 अतिरिक्त कैलोरी लेनी चाहिए। 

अतिरिक्त कैलोरी को स्वस्थ खाद्य पदार्थों से लेना चाहिए। मिठाई या जंक फ़ूड से मिलने वाली अतिरिक्त कैलोरी से बच्चे को ज़रूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इससे आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। 

सुबह खाली पेट दलिया, ओट्स और ब्राउन ब्रेड का सेवन कर सकती हैं। इनमें फाइबर अधिक होता है, इससे आप कब्ज और गैस की समस्या से बच सकती हैंएक चम्मच (16 ग्राम) क्रीमी पीनट बटर से लगभग 100 कैलोरी और 3.5 ग्राम प्रोटीन मिलेगा।

आपको डा. अर्चिता महाजन ने स्वास्थ्य से सबंधित दिशा निर्देश और सलाह बहुत ही सादगी से और संक्षिप्त रहते हुए दिए हैं।   आपको यह पोस्ट कैसी लगी अवश्य बताएं। 

*डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्मा भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित

Tuesday, October 8, 2024

पीएयू के विद्यार्थियों ने महिला सशक्तिकरण शिविर आयोजित किया

PAU Ludhiana//Tuesday 8th Oct 2024 at 10:40 AM//Women empowerment//पंजाब कृषि विश्वविद्यालय

इस अभियान के अंतर्गत  पीएयू पहले भी कुछ कर के दिखा चुकी है 

पीएयू की तरफ से महिला सशक्तिकरण कैंप का एक दृश्य
लुधियाना: 8 अक्टूबर, 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

महिला सशक्तिकरण को और अधिक बढ़ाने के लिए काफी समय से पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) भी लगातार सक्रिय है। इस मकसद के लिए यूनिवर्सिटी ने पहले भी बहुत से प्रयास किए हैं। सेल्फ रिलायंस अभियान के अंतर्गत पीएयू ने बहुत सी महिलाओं को कई तरह के घरेलू उद्योगों  ट्रेनिंग दे कर अपने पांवों पर खड़ा किया है। ऐसी महिलाओं से जुड़े सशक्त परिवार पंजाब और पंजाब से बाहर भी फैले हुए हैं। इस तरह के खुशहाल परिवार और इलाके अब इन महिलाओं पर गर्व करते हैं। 

इसी अभियान को अब और आगे बढ़ा रही है पीएयू। इस बार एक नया अभियान फिर सामने है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के बीएससी बागवानी (2024-25) के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा ग्रामीण जागरूकता कार्य अनुभव (आरएडब्ल्यूई) कार्यक्रम के तहत लुधियाना के गांव गहौर में महिला सशक्तिकरण शिविर का आयोजन किया गया। 

इस शिविर का आयोजन कार्यक्रम समन्वयक डॉ जसविंदर सिंह बराड़, प्रमुख फल वैज्ञानिक और पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ सिमरत सिंह, वैज्ञानिक, फ्लोरीकल्चर और लैंडस्केपिंग विभाग, पीएयू के मार्गदर्शन में किया गया। शिविर का प्राथमिक उद्देश्य महिला उद्यमियों को अपने हस्तशिल्प वस्तुओं का प्रदर्शन करने और बागवानी और संबद्ध उद्यमों में कौशल वृद्धि के अतिरिक्त अवसरों का पता लगाने के लिए एक मंच प्रदान करना था।

शिविर के दौरान चेतना और जशन ने प्रतिभागियों को कौशल विकास केंद्र, पीएयू में दिए जा रहे विभिन्न लघु अवधि पाठ्यक्रमों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से अवगत कराया, ताकि बागवानी और इससे जुड़ी सहायक सामग्री जैसे जैम, कैंडी, स्क्वैश, अचार आदि बनाने में आवश्यक कौशल बढ़ाया जा सके और ज्ञान प्रदान किया जा सके। इसके अलावा, जाह्नवी और रिया ने स्टार्टअप के लिए उपलब्ध विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी। गुरप्रीत ने प्रतिभागियों को महिला उद्यमियों के लिए सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए स्वयं सहायता समूह बनाने के महत्व के बारे में शिक्षित किया।

श्रीमती सुखविंदर कौर, श्रीमती हरजोत कौर और श्रीमती गुरमीत कौर नामक कृषक महिलाओं द्वारा स्थानीय स्तर पर निर्मित हस्तशिल्प की प्रदर्शनी लगाई गई। यह प्रदर्शनी इन महिलाओं के हुनर को खुद ब दिखा  रही थी। इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित चीज़ें इन्हें बनाने वाले हाथों के हुनर का पता दे रहीं थीं।  

इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित की गई बहुत सी चीज़ों में कढ़ाई, हाथ से बुने हुए फोल्डिंग पंखे, टेबल फैब्रिक कवर, बुने हुए स्वेटर आदि उत्पादों की विविध रेंज शामिल थी। इनका अंदाज़ ही कुछ  अलग था।  

इस शिविर के सफल आयोजन के लिए RAWE कार्यक्रम के साक्षी, हर्षदीप कौर, विष्णवी, हिम्मत सिंह, रंजीत सिंह और मुस्कान नामक छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

Wednesday, October 2, 2024

लड़कियों को उनके स्वयं के पांवों पर खड़ा करता है बेकरी उद्योग

पंजाब, नागालैंड, दिल्ली और गुजरात तक हर जगह है इसकी डिमांड 


मोहाली
//लुधियाना: 2 अक्टूबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

पढ़ाई लिखाई और शादी ब्याह के इलावा भी बहुत कुछ ऐसा होता है जिसकी ज़रूरत ज़िंदगी में कदम कदम पर पड़ती है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण  है नेक कमाई से कमाया हुआ पैसा जो आर्थिक रीढ़ को भी मज़बूत करता है और समाज में स्वयं के पांवों को भी बहुत ही अच्छी तरह से जमा भी देता है। इसी से शुरू होता है जीवन में अन्य सफलताओं का लगातार चलने वाला सिलसिला।   

बेकिंग की दुनिया में सक्रिय लड़कियों को हमारी टीम ने बहुत पहले देखा था पंजाब के शाही शहर पटियाला में। यह लड़कियां अपने  परिवारों साथ वहां लगे हुए किसान मेले में आई।  इन लड़कियों की बहन, भाई और माता-पिता सभी इनके साथ बहुत ही उत्साह से काम करवा रहे थे। इनके स्टाल पर इनके बनाए केक, बिस्कुट, पेस्ट्रियां  और बहुत कुछ दूसरा बेकिंग सामान भी हाथों हाथ बिक रहा था। इन्होने यह सारी ट्रेनिंग पंजाब कृषि विश्व विद्यालय लुधियाना से ली थी जिसने इन्हें पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया। 

काम शुरू करने के लिए परिवार ने थोड़ा सा इन्वेस्टमेंट किया और  सरकार विभागों ने इन्हें सब्सिडी जैसी मदद भी दे दी। बस देखते ही देखते काम चल निकला।  लिए घर  की ज़रूरत भी पड़ने लगी। डेढ़ दो बरस में ही इन लड़कियों का इन्वेस्टमेंट ही नहीं लौटा बल्कि मुनाफा भी आने लगा। क्यूंकि प्रोडक्टस साफ सुथरे, ताज़े और स्वादिष्ट  लोकप्रियता भी बढ़ने लगी। शादी, विवाह और अन्य आयोजनों के  बड़े आर्डर आने लगे। नौकरी करने वाली जॉब की इच्छा कब पीछे छूट गई इन्हें खुद भी याद नहीं रहा। 

आज भी बेकिंग की दुनिया में, लड़कियों का एक उल्लेखनीय समूह है जो न केवल अपने जुनून का पीछा कर रही हैं, बल्कि इसे घरेलू व्यवसायों में भी बदल रही हैं। उनकी यात्रा कड़ी मेहनत, रचनात्मकता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। ये युवा उद्यमी रणनीतिक निवेश और अभिनव विपणन तकनीकों के माध्यम से अपने बेकिंग सपनों को वास्तविकता में बदल रहे हैं। 

नागालैंड से भी ऐसी लड़कियों की ऐसी ही सफलताओं की खुशखबरियां सामने आई हैं। वहां भी इनके लिए उचित शिक्षा और ट्रेनिंग का प्रबंध किया गया है। दिल्ली, मुंबई, गुजरात और अन्य हिस्सों में भी इसकी बहुत ज़्यादा डिमांड है। नागालैंड की लड़कियां भी इस तरफ तेज़ी से बढ़ रही हैं। 

नागालैंड में बेकरी इंडस्ट्री की तरफ बढ़ रहा है लड़कियों का इंटरेस्ट 

शिक्षा हर मामले में  मार्गदर्शन करती है और उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कई लोगों ने कार्यशालाओं और पाठ्यक्रमों की भी तलाश की है जो उनके कौशल को बढ़ाते हैं और व्यवसाय परिदृश्य की उनकी समझ को व्यापक बनाते हैं। वे मज़बूत टीम बनाते हैं, अंतर्दृष्टि साझा करने और एक-दूसरे के प्रयासों का समर्थन करने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं। विभिन्न साधनों का उपयोग करके-चाहे वह मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म हो या वित्तीय प्रबंधन के लिए बजटिंग टूल-वे एक ऐसा रास्ता तैयार कर रहे हैं जो दूसरों को प्रेरित करता है।

यह देखना उत्साहजनक है कि बेकिंग उद्योग में चुनौतियों का सामना करते हुए ये लड़कियाँ एक-दूसरे का उत्थान कैसे करती हैं। उनकी कहानियां हमें याद दिलाती हैं कि जुनून, शिक्षा और टीम वर्क के साथ, सपने वास्तव में ताज़ी बेक्ड ब्रेड की तरह खूबसूरती से उग सकते हैं!

सफलता की इन सच्ची कहानियों ने एक नया इतिहास रचा है।  एक नया अध्याय लिखा है। एक नया मार्ग दिखाया है। यह मार्ग उन मंज़िलों की तरफ ले जाता है जहां अपना हाथ जगन्नाथ वाली कहावत सच साबित होने लगती है। 

आप भी  इनसे प्रेरणा लें। आप नौकरी मांगने वालों की भीड़ में से निकल कर नौकरी देने वालों के वर्ग में आ जाएंगी। बेकरी केवल एक क्षेत्र है जिसकी हमने चर्चा की है। बहुत से और फील्ड भी खुले हैं जिनके रास्ते भी आपको बुला रहे हैं और मंज़िलें भी। 

लगातार बने रहिए वीमेन स्क्रीन के साथ। 

Monday, September 16, 2024

दुनिया में लैंगिक अंतर अभी भी गंभीर चिंता का विषय है-UN

 सोमवार 16 सितंबर 2024 को सुबह 9:14 बजे               Monday 16th September 2024 at 9:14 AM

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने तुरंत वैश्विक कार्रवाई के लिए किया अलर्ट  

न्यूयॉर्क: 16 सितंबर 2024: (मीडिया लिंक//वूमेन स्क्रीन डेस्क)::

संयुक्त राष्ट्र की हाल ही में आई एक रिपोर्ट बेहद महत्वपूर्ण है। अभी तक जारी लैंगिक अंतर पर इस रिपोर्ट ने जहां चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही इस रिपोर्ट ने इस अंतर को दूर करने के लिए तत्काल वैश्विक कार्रवाई के लिए अलर्ट किया है। रिपोर्ट कहती है की लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण में प्रगति के बावजूद, अब चार में से एक संसदीय सीट पर महिलाओं का कब्जा है और बहुत कम महिलाएं अत्यधिक गरीबी में जी रही हैं, लेकिन समस्या तो लगातार बानी हुई है। यह सिसला पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। रिपोर्ट से पता चलता है कि सतत विकास लक्ष्य 5- लैंगिक समानता प्राप्त करना- के लिए कोई भी संकेतक काम तक पूरा नहीं हो रहा है। इसमें युर तेज़ी लाए बिना बात नहीं बनेगी। 

वर्तमान गति से, संसदों में लैंगिक समानता प्राप्त करना 2063 तक नहीं हो पाएगा, और सभी महिलाओं और लड़कियों को गरीबी से बाहर निकालने में आश्चर्यजनक रूप से 137 साल लगेंगे। चार में से एक लड़की अभी भी बचपन में ही विवाहित है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। लगातार संघर्ष और म्हणत की ज़रूरत अभी भी बानी हुई है।  

इस ख़ास रिपोर्ट में लैंगिक असमानता की चौंका देने वाली लागत पर जोर दिया गया है, जिसमें अपर्याप्त शिक्षा के कारण देशों को सालाना 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हो रहा है और अगर डिजिटल लैंगिक अंतर जारी रहता है तो अगले पांच वर्षों में अतिरिक्त 500 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा।

मुख्य सिफारिशें:

-निवेश बढ़ाएँ: महिला सशक्तिकरण और शिक्षा का समर्थन करने के लिए धन जुटाएँ

-भेदभाव समाप्त करें: महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और हिंसा को रोकने के लिए कानून बनाएँ और लागू करें

-कानूनी सुधार: अंतरंग साथी हिंसा को कम करने के लिए घरेलू हिंसा कानून लागू करें

विश्व नेताओं से आग्रह किया जाता है कि वे 22-23 सितंबर को होने वाले भविष्य के शिखर सम्मेलन और 2025 में बीजिंग घोषणा और कार्रवाई के लिए मंच की 30वीं वर्षगांठ पर इन महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए निर्णायक कार्रवाई करें।

जैसा कि यूएन महिला कार्यकारी निदेशक सिमा बहौस ने जोर दिया, "प्रगति प्राप्त करने योग्य है, लेकिन यह पर्याप्त तेज़ नहीं है। हमें लैंगिक समानता के लिए आगे बढ़ते रहना चाहिए"

Monday, September 2, 2024

केंद्रीय मंत्री ने SHe-Box पोर्टल लॉन्च किया

पोस्ट किया गया: Monday 02nd September 2024 at 12:06 PM--महिला एवं बाल विकास मंत्रालय--PIB--प.सू.का.

महिला सशक्तिकरण के लिए कार्यस्थल सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव


नई दिल्ली
:02 सितंबर 2024: (पी.आई.बी//वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

महिलाओं के लिए कार्यस्थल सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, केंद्रीय मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 29 अगस्त, 2024 को उन्नत SHe-Box पोर्टल लॉन्च किया। यह उन्नत प्लेटफ़ॉर्म कार्यस्थलों में यौन उत्पीड़न की शिकायतों के पंजीकरण और ट्रैकिंग को सुव्यवस्थित करते हुए देश भर में आंतरिक समितियों (IC) और स्थानीय समितियों (LC) के बारे में जानकारी को केंद्रीकृत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

संशोधित SHe-Box अब महिलाओं को अपनी पसंद के संबंधित IC या LC को सीधे शिकायत दर्ज करने की अनुमति देता है, जिससे देरी में काफी कमी आती है और शिकायत समाधान प्रक्रिया में मानवीय हस्तक्षेप कम से कम होता है। सभी मंत्रालयों, विभागों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और निजी क्षेत्रों की जानकारी के साथ पूरी तरह से अपडेट होने के बाद, प्लेटफ़ॉर्म पूरी क्षमता से काम करेगा। मंत्रालय का वर्तमान लक्ष्य अक्टूबर 2024 तक सभी केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के नोडल अधिकारियों और आईसी का विवरण शामिल करना है। इस कार्यक्रम में मंत्रालय की नई डिज़ाइन की गई वेबसाइट का अनावरण भी किया गया, जो इसके डिजिटल आउटरीच में एक नया अध्याय है।

यह शी बॉक्स वास्तव में क्रन्तिकारी साबित हो सकता है। कार्यस्थल उत्पीड़न रोकथाम में इसकी भूमिका एक गेम-चेंजर वाली  है। शी-बॉक्स पोर्टल कार्यस्थल उत्पीड़न को खत्म करने के सरकार के मिशन में एक आधारशिला है। विभिन्न क्षेत्रों में आईसी और एलसी सूचनाओं के केंद्रीकृत भंडार के रूप में कार्य करके, यह महिलाओं को शिकायत दर्ज करने, उनकी प्रगति को ट्रैक करने और संबंधित अधिकारियों द्वारा समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एक एकीकृत मंच प्रदान करता है।

लॉन्च इवेंट में, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने महिलाओं को कार्यस्थल पर उत्पीड़न से निपटने के लिए एक अधिक कुशल, पारदर्शी और सुरक्षित तरीका प्रदान करने में पोर्टल की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "यह पहल भारत भर में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित, अधिक समावेशी कार्यस्थल बनाने की हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।" मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि शिकायतकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के लिए सख्त सुरक्षा उपायों के साथ गोपनीयता और गोपनीयता सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है।

शी- बॉक्स का हमारे दरम्यान आना साबित करता है कि अब शताब्दी का सफर पूर्ण करके भारत 2047 की ओर अग्रसर है। ऐसे में महिलाओं को सशक्त बनाना अत्यंत आवश्यक भी है। भारत 2047 में अपनी शताब्दी के करीब पहुंच रहा है, ऐसे में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने महिला सशक्तिकरण को अपने विकास एजेंडे के केंद्र में रखा है। आर्थिक विकास को गति देने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, सुरक्षित और सक्षम कार्यस्थल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जहाँ महिलाएँ फल-फूल सकें। कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 इस प्रयास का आधार रहा है।

वास्तव में शी-बॉक्स का शुभारंभ इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में एक महत्वपूर्ण छलांग है। शिकायत पंजीकरण से परे, यह सक्रिय निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करता है, जो सभी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण की नींव रखता है।

इस नए तकनीकी सिस्टम का आना वास्तव में मंत्रालय के लिए एक नया डिजिटल चेहरा है जिसका असर दूर दूर तक महसूस किया जाएगा। शी-बॉक्स के साथ, मंत्रालय ने अपनी नई डिज़ाइन की गई वेबसाइट का अनावरण किया, जिसे सरकार की डिजिटल भागीदारी को बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। चूंकि डिजिटल प्लेटफॉर्म नागरिकों के लिए बातचीत का प्राथमिक बिंदु बनते जा रहे हैं, इसलिए नई वेबसाइट का उद्देश्य राष्ट्रीय और वैश्विक दर्शकों के साथ पहुंच और बातचीत में सुधार करते हुए एक सुसंगत दृश्य पहचान बनाना है।

इसके साथ ही अब डिजिटल नवाचार के माध्यम से अंतर को भी पाटना होगा। इस मकसद को भी इसी  ज़रिए पूरा किया  किया जा सकेगा। SHe-Box पोर्टल महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए डिजिटल नवाचार का उपयोग करने के सरकार के व्यापक दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है। यौन उत्पीड़न की शिकायतों को दर्ज करने के लिए एक सहज, एकल-खिड़की प्रणाली प्रदान करके, पोर्टल सभी महिलाओं के लिए प्रक्रिया को आसान और अधिक सुलभ बनाता है, चाहे उनकी कार्य स्थिति या क्षेत्र कुछ भी हो। चाहे वे संगठित या असंगठित क्षेत्र, सार्वजनिक या निजी संस्थानों या यहां तक ​​कि घरेलू कामगारों में कार्यरत हों - SHe-Box हर महिला के लिए एक उपकरण है।

इसके अलावा, पोर्टल में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 से जुड़े संसाधनों का भंडार शामिल है, जैसे कि पुस्तिकाएं, प्रशिक्षण मॉड्यूल और सलाहकार दस्तावेज, जो सभी हिंदी और अंग्रेजी में मुफ्त में उपलब्ध हैं। पोर्टल अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से शैक्षिक वीडियो भी प्रदान करता है।

कुल मिला कर निष्कर्ष निकला जा सकता कि शी-बॉक्स पोर्टल का शुभारंभ भारत में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित, अधिक न्यायसंगत कार्यस्थल बनाने के लिए सरकार के चल रहे मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम है।  महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी वहीं उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। 

कानूनी ढाँचों के साथ प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके, पोर्टल महिलाओं को अपनी शिकायतों को आवाज़ देने के लिए एक विश्वसनीय और सुरक्षित मंच प्रदान करता है। नई वेबसाइट के साथ, ये पहल महिलाओं के लिए एक सहायक, समावेशी वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है क्योंकि भारत 2047 में अपने शताब्दी मील के पत्थर की ओर बढ़ रहा है।

आपको यह नया अविष्कार कैसा लगा अवश्य बताएं। इसमें क्या क्या और जोड़ा जाए इस पर भी आपके विचारों की इंतज़ार तो रहेगी ही। आपको इससे क्या क्या अपेक्षाएं हैं यह भी बताएं और आप अपने सुझाव भी दें।  


Thursday, August 15, 2024

इस बार फोकस में अफगान महिलाएँ और लड़कियाँ

तालिबान के 3 साल के शासन में महिलाओं का संघर्ष जारी 


अफ़गानिस्तान: 12 अगस्त 2024: (यूएन वूमेन//द वूमेन स्क्रीन डेस्क)::

अगस्त 2021 में जब से तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा किया है, तब से महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों और स्वतंत्रता पर गंभीर हमले हो रहे हैं। तालिबान शासन ने 70 से ज़्यादा ऐसे आदेश और निर्देश लागू किए हैं जिनका उद्देश्य विशेष रूप से अफ़गान महिलाओं की स्वायत्तता और रोज़मर्रा की ज़िंदगी को सीमित करना है। ये प्रतिबंध शिक्षा, रोज़गार, प्रजनन अधिकार, मातृ स्वास्थ्य देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में फैले हुए हैं।

अफ़गान महिलाएँ इन भारी चुनौतियों के बावजूद असाधारण लचीलापन और साहस का प्रदर्शन करती रहती हैं। समानता और सम्मान के लिए लड़ने का उनका दृढ़ संकल्प उनके रोज़मर्रा के जीवन में स्पष्ट दिखाई देता है - अपने घरों को छोड़ने के सरल से लगने वाले काम से लेकर व्यवसाय चलाने, समुदायों को संगठित करने और अपने अधिकारों की वकालत करने के जटिल प्रयासों तक। दबे होने के बजाय, उनका संकल्प मज़बूत होता दिख रहा है।

यूएन वूमेन अफ़गानिस्तान में ज़मीनी स्तर पर एक दृढ़ सहयोगी बनी हुई है, जो हर दिन अफ़गान महिलाओं और लड़कियों के साथ खड़ी है। हमारी रणनीति विभिन्न पहलों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित है, जिसमें महिला संगठनों के लिए समर्थन बढ़ाना, जीवन रक्षक सेवाएँ प्रदान करने वाली महिला मानवीय कार्यकर्ताओं का समर्थन करना और महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों में निवेश करना शामिल है। यह महत्वपूर्ण कार्य हमारे अफ़गान महिला कर्मचारियों के अमूल्य योगदान के माध्यम से संभव हुआ है, जो हमारे मिशन के केंद्र में हैं।

जैसे-जैसे संघर्ष जारी है, अफ़गान महिलाओं की अटूट भावना वैश्विक एकजुटता और समर्थन के महत्व की एक शक्तिशाली याद दिलाती है। फोटो: यूएन वूमेन/सैयद हबीब बिडेल

Tuesday, August 13, 2024

26 वर्षीय अफ़गान पत्रकार लीना की कहानी देती है प्रेरणा

 खतरों भरे माहौल में भी चलाती है महिला रेडियो स्टेशन  

फोटो साभार: यूएन विमेन/ सईद हबीब बिडेल  Photo credit: UN Women/ Sayed Habib Bidell
अंतर्राष्ट्रीय फीचर डेस्क//चंडीगढ़//12 अगस्त 2024:(वीमेन स्क्रीन)::

सन 1985 में एक हिंदी फिल्म आई थी-मेरी जंग-जिसमें एक गीत था--ज़िंदगी हर कदम इक नई जंग है। इस गीत के इस मुखड़े में जो सच्चाई छिपी है वह सच्चाई ज़िन्दगी के हर क्षेत्र में एक हकीकत की तरह नज़र आती महसूस है। उस फिल्म की दुनिया बेशक भारत वर्ष की ज़मीन थी लेकिन भारत से बाहर भी यह जंग सचमुच ज़रूरी होती चली जा रही है। घर हो या बाहर, गली हो या बाजार, कॉलेज हो या अस्पताल..हर जगह हर कदम इक नई जंग है। जंग का मैदान अपना देश हो या विदेश लड़नी ही पड़ती है। आज हम बात कर रहे हैं अफगानिस्तान की। 


कदम कदम पर खतरों और सख्तियों के बावजूद
अफ़गानिस्तान में महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना बंद नहीं किया है, और न ही हमें करना चाहिए। अफ़गानिस्तान में तालिबान के कब्जे के तीन साल बाद, यूएन महिलाएँ अफ़गान महिलाओं और लड़कियों के साथ काम करना जारी रखती हैं जो अपनी आज़ादी और अधिकारों के लिए लगातार अनथक संघर्ष कर रही हैं।

पश्चिमी अफगानिस्तान में फराह दरिया के किनारे एक पश्तो इलाका है जो बहुत महत्व का भी है। इसकी सीमा ईरान से लगती है। इसी ख़ास शहर फराह की 26 वर्षीय अफ़गान पत्रकार लीना सचमुच बहुत बहादुर है। उसने खतरों के संसार को नज़दीक से देखा है। वह बताती है-"मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई की थी और एक पत्रकार के रूप में सात साल तक लगातार काम भी किया। यह सब आसान नहीं था लेकिन मैंने इसे जारी रखना ही उचित समझा। इस संकल्प के बावजूद जब यह मुल्क तालिबान के कब्जे में आ गया तो मैंने अपने काम से छुट्टी ले ली।  शायद मुझे डर लग रहा था।"

हालांकि लीना को कभी भी सीधे तौर पर धमकियों का सामना नहीं करना पड़ा था लेकिन 15 अगस्त 2021 को तालिबान के अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने और "वास्तविक अधिकारी" (DFA-The Taliban (referred to as the de facto authorities) बनने के बाद से कई अन्य महिलाओं को धमकियों का सामना करना पड़ा। 

इससे नज़र आने लगा था कि हालात कितने भयावह होने लगे हैं। स्थिति लैंगिक समानता पर दशकों की प्रगति तालिबान द्वारा पेश किए गए 70 से अधिक आदेशों, निर्देशों और बयानों के ढेर से मिट गई। इसमें देर नहीं लगी। प्रगति अतीत की बात होती चली गई। गौरतलब है कि तालिबान के बयान और नीतियां महिलाओं और लड़कियों के जीवन के लगभग हर पहलू में उनके अधिकारों को प्रतिबंधित करते हैं। 

इसके बावजूद अफगानिस्तान में कहीं न कहीं  महिला संकल्पों ने अपनी मज़बूती का अहसास कराया। इस पोस्ट के साथ जो यह छवि आप देख रहे हैं यह एक महिला संचालित रेडियो स्टेशन के स्टूडियो के अंदर क्लिक की गई है। यह रेडियो चेतने जगाता रहता है। 

यह रेडियो स्टेशन तमाम सख्तियों और खतरों के बावजूद अफ़गानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों को अधिकारों के बारे में शिक्षा और जागरूकता ला रहा है। क्या आपको यह तस्वीर और यह सच्चा ब्यौरा  देता। यदि यह महिलाएं कर सकती हैं तो आप क्यूं नहीं? खुद के मन भी टटोलिये और अपनी सहेलियों से भी पूछिए। जो आपको नहीं जानती लेकिन आपके आसपास कुछ न कुछ करते हुए सक्रिय रहती हैं उनसे भी पूछिए। 

विवरण और फोटो यूएन विमेन से साभार