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Thursday, July 3, 2025

घर चलाने की क्षमता- -तेज़ी से बदल रहा है महिला शक्ति का दृश्य

भारत:तमिलनाडु में 16 लाख महिलाओं के लिए बेहतर रोज़गार की उम्मीदें

World Bank तमिलनाडु महिला रोज़गार और सुरक्षा (WESAFE) कार्यक्रम के तहत 16 लाख महिलाओं को लाभ मिलने की उम्मीद है.
देश और दुनिया: 2 जुलाई 2025: (मीडिया लिंक32 संयुक्त राष्ट्र संघ के सौजन्य से):: 
घर हो या देश हो या दुनिया हो महिलाएं ही बनाती हैं इसे सुंदर और रहने लायक। इन्हीं किसमझ बूझ और जीवट से बन पाता है सफल जीवन। महिलाओं ने ही बड़ी ख़ामोशी से लिखे हैं सफलता के इतिहास। संयुक्त राष्ट्र संघ इनकी सच्ची कहानियां अक्सर सामने लाता है। एक कहानी और नज़र आई है। यह कहानी है तमिलनाडु की। वहां 16 लाख महिलाओं के लिए सामने आई हैं रोज़गार की बेहतर और नई उमीदें जिनसे चमक उठेगा अनगिनत परिवारों का भविष्य। 

यूं तो दुनिया भर में स्थिति बदल रही है। घर संसार चलाने में कभी पुरुषों का वर्चस्व हुआ करता था। इस वजह से उनके मन में अहंकार का आना भी स्वाभाविक ही हुआ करता था। इस वजह से समझा जाने लगा था कि घर चलाने के मामले में जो क्षमता पुरुष की होती है वह महिलाओं की नहीं होती। लेकिन कुछ दशकों का दौरान यह स्थिति तेज़ी से बदल रही है। महिलाओं ने साबित किया है की वे किसी से कम भी नहीं। इस मामले में जहाँ तक भारत की स्थिति है तो हमारे देश में भी यह बदलाव तेज़ी से दिखने लगा है। देश और राज्य की सरकारें भी इस दिशा में सक्रिय हैं। तमिलनाडु महिला रोज़गार और सुरक्षा (WESAFE) कार्यक्रम के तहत 16 लाख महिलाओं को लाभ मिलने की उम्मीद है।

World Bank के सक्रिय सहयोग से तमिलनाडु महिला रोज़गार और सुरक्षा (WESAFE) कार्यक्रम के तहत 16 लाख महिलाओं को सीधे सीधे लाभ मिलने की अब पूरी पूरी उम्मीद है। लगता है जैसे सफलता उनके दरवाज़े पर खड़ी है। 

भारत के तमिलनाडु प्रदेश में लगभग 16 लाख महिलाओं को अब गुणवत्तापूर्ण रोज़गार मिलने की उम्मीदें मज़बूत हुई हैं. यह विश्व बैंक की एक पहल की बदौलत सम्भव नज़र आ रहा है. विश्व बैंक के वाशिंगटन स्थित कार्यकारी निदेशक मंडल ने तमिलनाडु में महिला श्रम भागेदारी को बढ़ाने के उद्देश्य से एक नए कार्यक्रम को मंज़ूरी दी है। 

इस पहल का नाम है-तमिलनाडु महिला रोज़गार और सुरक्षा (WESAFE) बहुत लोकप्रिय है अब तो। 

तेज़ी से शहरीकरण की दिशा में बढ़ रहे तमिलनाडु में, इलैक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में नए अवसर भी उभर रहे हैं। 

तमिलनाडु में महिला श्रम भागेदारी की दर देश में सबसे अधिक है और कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा के मानक स्थापित करने में यह राज्य अग्रणी रहा है। 

फिर भी, पुरुषों की तुलना में महिला भागेदारी दर 32 प्रतिशत अंक कम बनी हुई है. साथ ही, अधिकतर महिलाएँ कृषि क्षेत्र या कम वेतन वाले अनौपचारिक कार्यों में कार्यरत हैं। 

तमिलनाडु सरकार ने वर्ष 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है. इसे प्राप्त करने के लिए महिला श्रम भागेदारी को बढ़ाना बेहद आवश्यक है। 

इसी को ध्यान में रखते हुए WESAFE कार्यक्रम के अन्तर्गत 6 लाख महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण और करियर सहयोग, तथा 18 हज़ार महिला उद्यमियों को व्यापार आरम्भ करने हेतु इनक्यूबेशन सहायता प्रदान की जाएगी। 

महिला सशक्तिकरण

विश्व बैंक ने पहले भी तमिलनाडु में कई सुरक्षित छात्रावास स्थापित करने में राज्य सरकार की मदद की है।  

इस नए अभियान के ज़रिए अब इन सुविधाओं का विस्तार करते हुए, क्रेश (शिशु देखभाल केन्द्र), बुज़ुर्गों की देखरेख, सुरक्षित परिवहन विकल्प, और सहायता केन्द्रों की व्यवस्था भी की जाएगी, ताकि महिलाओं के विरुद्ध उत्पीड़न और दुर्व्यवहार की घटनाओं की रिपोर्टिंग आसान हो सके। 

विश्व बैंक भारत के देश प्रबंधक ऑगस्ट टानो कुएमे का कहना है, "कौशल विकास, वित्तीय पहुँच और क्रेश, सुरक्षित छात्रावास और परिवहन जैसी सहायक सेवाओं की उपलब्धता के ज़रिए यह कार्यक्रम, महिलाओं को कार्यबल में भाग लेने और तमिलनाडु के ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य में योगदान देने की दिशा में सशक्त करेगा।"

इस कार्यक्रम के तहत तमिलनाडु की क्षमता, तकनीकी साझेदारियों और संस्थागत ढाँचों को मज़बूती मिलेगी।  

कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे मुडेरीस अब्दुलाही मोहम्मद और प्रद्युम्न भट्टाचार्य ने कहा, "यह कार्यक्रम उद्योग संघों, प्रमुख संस्थानों और निजी संगठनों के साथ साझेदारी को भी प्रोत्साहित करेगा, जिससे महिला कर्मचारियों, छात्राओं व महिला उद्यमियों के लिए आवास एवं परिवहन की गुणवत्ता तथा उपलब्धता बेहतर हो सकेगी."

इसके अतिरिक्त, निजी पूँजी की भागेदारी वाला एक राज्य स्तरीय मंच, महिलाओं को ऋण गारंटी कोष और सूक्ष्म अनुदान जैसे वित्तीय उत्पादों तक पहुँच दिलाने में मदद करेगा और उनकी जागरूकता बढ़ाएगा। 

इस कार्यक्रम के लिए अन्तरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) से लिए गए 15 करोड़ डॉलर के ऋण की अवधि 25 वर्ष है, जिसमें 5 वर्ष की छूट अवधि शामिल होगी। 

Thursday, June 19, 2025

देखो-कितनी अफ़गान महिलाएँ शिक्षा, नौकरी और प्रशिक्षण से वंचित हैं

From UN Women 17th June 2025 at 3:48 PM Regarding Women United Nations 

संयुक्त राष्ट्र महिला की ओर से 17 जून 2025 को 3:48 बजे महिलाओं के बारे में

दस में से आठ युवा अफ़गान महिलाएँ शिक्षा, नौकरी और प्रशिक्षण से वंचित हैं

संयुक्त राष्ट्र महिला द्वारा समर्थित गाँव आधारित दूध संग्रहण केंद्र, जहाँ महिलाएँ स्थानीय स्तर पर दूध बेच सकती हैं। दारा-ए-नूर ज़िला, जलालाबाद प्रांत, अफ़ग़ानिस्तान। 2025। चित्र: संयुक्त राष्ट्र महिला/सैयद हबीब बिडेल
न्यूयॉर्क: 17 जून 2025: (मीडिया लिंक 32//संयुक्त राष्ट्र महिला के सौंजन्य से)::

संयुक्त राष्ट्र से मिल रही खबरें आज भी चिंता पैदा करती हैं। आधुनिक युग और विकास के दावों के दरम्यान ऐसी खबरें भयावह लगती हैं। यह नई खबर कहती है कि लगभग दस में से आठ युवा अफ़गान महिलाएँ शिक्षा, नौकरी और प्रशिक्षण से वंचित हैं। अनुमान लगाया जा सकता है कि इन युवा महिलाओं का इस तरह इन मूलभूत सुविधाओं और अधिकारों से वंचित रह जाना किस तरह के भविष्य का निर्माण करेगा। 

संयुक्त राष्ट्र महिला ने 2024 में अफ़गानिस्तान लिंग सूचकांक लॉन्च किया था, जो तालिबान के सत्ता में आने के बाद से महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता पर सबसे व्यापक अध्ययन है। इसका महत्व भी बहुत है। यह सूचकांक बताता है कि अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के लगभग चार साल बाद, संयुक्त राष्ट्र महिला की एक नई रिपोर्ट से पता चलता है कि अफ़गान महिलाएँ मानव विकास के लिए वैश्विक मानकों से काफ़ी पीछे रह गई हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक अफ़गानिस्तान लिंग सूचकांक, तालिबान के सत्ता में आने के बाद से महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता का सबसे व्यापक मूल्यांकन, बताता है कि अफ़गानिस्तान में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा लिंग अंतर है, जहाँ स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्तीय समावेशन और निर्णय लेने में महिलाओं और पुरुषों के परिणामों के बीच 76 प्रतिशत असमानता है। सूचकांक यह भी दर्शाता है कि महिलाएँ औसतन अपनी पूरी क्षमता का केवल 17 प्रतिशत ही इस्तेमाल कर पाती हैं, जबकि दुनिया भर में औसतन महिलाएँ 60.7 प्रतिशत हासिल करती हैं।

संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यकारी निदेशक सिमा बहौस ने कहा, "अफ़गानिस्तान का सबसे बड़ा संसाधन इसकी महिलाएँ और लड़कियाँ हैं।" "उनकी क्षमता का अभी भी दोहन नहीं हुआ है, फिर भी वे दृढ़ हैं। अफ़गान महिलाएँ एक-दूसरे का समर्थन कर रही हैं, व्यवसाय चला रही हैं, मानवीय सहायता पहुँचा रही हैं और अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठा रही हैं। उनका साहस और नेतृत्व उनके समुदायों को नया आकार दे रहा है, यहाँ तक कि भारी प्रतिबंधों के बावजूद भी। हमें उनके साथ एक ऐसे देश की तलाश में खड़ा होना चाहिए जो उनके अधिकारों और सभी अफ़गानों की आकांक्षाओं को दर्शाता हो।"

यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता के साथ विकसित संयुक्त राष्ट्र महिला की रिपोर्ट के अनुसार, 78 प्रतिशत युवा अफ़गान महिलाएँ शिक्षा, रोज़गार या प्रशिक्षण में नहीं हैं - अफ़गान पुरुषों की दर से लगभग चार गुना। लड़कियों और महिलाओं के लिए माध्यमिक और तृतीयक शिक्षा - जिसमें चिकित्सा शिक्षा भी शामिल है - पर प्रतिबंध के बाद लड़कियों के लिए माध्यमिक विद्यालय पूरा करने की दर जल्द ही शून्य हो जाएगी।

अफ़गानिस्तान में अभी भी दुनिया में सबसे बड़ा कार्यबल लिंग अंतर है, जहाँ केवल 24 प्रतिशत महिलाएँ श्रम बल में भाग लेती हैं, जबकि 89 प्रतिशत पुरुष श्रम बल में भाग लेते हैं। महिलाओं के घर पर और कम वेतन वाली, असुरक्षित नौकरियों में काम करने की संभावना अधिक होती है। महिलाएँ अवैतनिक घरेलू कामों में भी अधिक हिस्सा लेती हैं: 74 प्रतिशत महिलाएँ घरेलू कामों में काफ़ी समय बिताती हैं, जबकि पुरुषों के लिए यह आंकड़ा केवल 3 प्रतिशत है।

इस मामले में वित्तीय विभाजन भी उतना ही स्पष्ट है, नए सूचकांक के अनुसार, पुरुषों के पास बैंक खाता होने या मोबाइल मनी सेवाओं का उपयोग करने की संभावना महिलाओं की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है। यह अंतर् कितना बड़ा है इसका पता सभी को होना भी चाहिए। 

दूसरी तरफ कामकाजी महिलाओं के लिए सामान्य प्रतिबंध लगातार बने हुए हैं और छूट बहुत सीमित है। इसके साथ ही रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि अफ़गान महिलाएँ अभी भी रिकॉर्ड संख्या में कार्यबल में शामिल हो रही हैं, जो लंबे समय से चले आ रहे आर्थिक और मानवीय संकटों से प्रेरित है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 तक, सक्रिय रूप से काम की तलाश करने वाली बेरोज़गार महिलाओं की संख्या अधिग्रहण से पहले की तुलना में चार गुना हो गई थी, जबकि नियोजित महिलाओं की संख्या दोगुनी हो गई थी।

वास्तविक कैबिनेट या स्थानीय कार्यालयों में कोई भी महिला पद पर नहीं है, जो महिलाओं की नीतियों और कानूनों को आकार देने की क्षमता को प्रभावित करता है। सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन से लगभग गायब होने के बावजूद, अफ़गान महिलाएँ अभी भी समावेशी शासन के लिए जोर दे रही हैं और राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों के साथ अपनी चिंताओं को उठाने के तरीके खोज रही हैं।

यह सूचकांक अफ़गानिस्तान में लैंगिक समानता के विकास को मापने में मदद करेगा और चल रहे महिला अधिकार संकट को दूर करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के काम को सूचित करेगा। संयुक्त राष्ट्र महिला अफ़गान महिलाओं और लड़कियों की प्राथमिकताओं और ज़रूरतों को वैश्विक प्रतिक्रिया में सबसे आगे रखने के लिए ज़मीनी स्तर पर अपना काम जारी रखती है और वे सम्मान के साथ रह पाती हैं और देश के विकास में योगदान दे पाती हैं।

Sunday, May 11, 2025

भारत को एक उभरती हुई AI शक्ति के रूप में पहचाना गया है

UN Women Post on 6th May 2025

भारत को एक उभरती हुई AI शक्ति के रूप में पहचाना गया है

HDI 2025: भारत में मानव विकास के क्षेत्र में मज़बूती, मगर चुनौतियाँ भी बरक़रार 

UNDP India भारत में महिलाओं को टिकाऊ विकास मुद्दों, विशेष रूप से लैंगिक समानता से जुड़े विषयों पर अग्रणी भूमिका निभाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। (फ़ाइल फ़ोटो)

6 मई 2025//आर्थिक विकास

भारत में चुनौतियों के बावजूद विकास जारी है। इस पोस्ट केआरंभ में दी गई तस्वीर दिखाती है कि इन कामकाजी महिलाओं के चेहरों पर आर्थिक उपलब्धियों की ख़ुशी भी है। संघर्षों की चमक भी हैं। अपने पांवों पर खड़े होने की मुस्कराहट भी है। यह बहुत बड़ी बात है कि मानव विकास रिपोर्ट 2025 में भारत को एक उभरती हुई AI शक्ति के रूप में पहचाना गया है। यह हम सभी भारतियों के लिए गर्व की बात है।  भारत, वैश्विक AI सूचकांक में शीर्ष 10 में स्थान पाने वाला एकमात्र निम्न-मध्यम आय वाला देश है। अफ़सोस  कि इस तरह की साकारत्मक उपलब्धियों पर मीडिया में आम तौर पर उतनी चर्चा नहीं होती जितनी होनी चाहिए। अब यह सारा विवरण संयुक्तराष्ट्र संघ की तरफ से मिली जानकारी में बताया गया है। 

मानव विकास रिपोर्ट की एक झलक इस ग्राफ में भी 
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की वर्ष 2025 की मानव विकास रिपोर्ट, इस वर्ष मानव विकास की वैश्विक गति में गिरावट की ओर संकेत करती है।  ख़ासतौर पर दक्षिण एशिया में यह गिरावट अधिक स्पष्ट है, लेकिन भारत इस क्षेत्र में एक अपवाद बनकर उभरा है-जहाँ मानव विकास के संकेतकों में निरन्तर प्रगति देखी गई है. भारत ने न केवल स्वास्थ्य, शिक्षा और आय के क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किए हैं, बल्कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के ज़रिए समावेशी और स्थाई विकास का मार्ग भी प्रशस्त किया है। 

“A Matter of Choice: People and Possibilities in the Age of AI” नामक मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, भारत का मानव विकास सूचकांक (HDI) 2022 में 0.676 से बढ़कर 2023 में 0.685 हो गया है। 

इसके साथ भारत, 193 देशों में, एक वर्ष में 133 वें स्थान से आगे बढ़कर, 130वें स्थान पर पहुँच गया है। 

साथ ही, भारत मध्यम मानव विकास श्रेणी में जगह बरक़रार रखते हुए, उच्च मानव विकास (HDI ≥ 0.700) की सीमा के क़रीब पहुँच रहा है। 

1990 के बाद से भारत के HDI मूल्य में 53% की वृद्धि हुई है-जो वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत से तेज़ है। 

यूएनडीपी की भारत में प्रतिनिधि एंजेला लुसिगी के अनुसार, यह प्रगति शिक्षा के औसत वर्षों, जीवन प्रत्याशा, और प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय में स्थाई सुधार को दर्शाती है।

AI की भूमिका

मानव विकास रिपोर्ट 2025 में भारत को एक उभरती हुई AI शक्ति के रूप में पहचाना गया है। यह हमारे इस दौर में एक बहुत बड़ी गर्व की बात है। इस क्षेत्र में तरक्की एक तरह से आने वाले समय सफलता और ख़ुशहालीओ की गारंटी भी है।  

भारत, वैश्विक AI सूचकांक में शीर्ष 10 में स्थान पाने वाला एकमात्र निम्न-मध्यम आय वाला देश है। जब आने वाले भविष्य का इतिहास लिखा जाएगा तो इसे बहुत गर्व से स्मरण किया जाएगा।  यह एक तरह से मील का पत्थर है। 

इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में AI से सम्बन्धित बुनियादी ढाँचा मज़बूत है, और कौशल विकास के क्षेत्र में निरन्तर निवेश हो रहा है।  भारत में AI से सम्बन्धित बुनियादी ढाँचा मज़बूत होना एक सुनहरे भविष्य की झलक दिखाता है। इसका स्पष्ट संकेत है कि भारत के विकास की रफ्तार अब और तेज़ होने वाली है। 

इसी सिलसिले में एक और आंकड़ा सामने आया है कि वर्ष 2019 में जहाँ AI शोधकर्ताओं की संख्या लगभग नगण्य थी, वहीं अब 20% भारतीय लोग, AI शोधकर्ता देश में ही कार्यरत हैं। जल्द ही इनकी संख्या और बढ़ने की भी पूरी संभावना है। 

थोड़ा सा विस्तार में जाएं तो भारत में AI का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है-जैसे कि कृषि, स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली. उदाहरण स्वरूप:

   *किसानों को बीमा और ऋण से जुड़ी सलाह उनकी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने में AI की मदद ली जा रही है। 

 *शोधकर्ताओं और नई कम्पनियों व उद्योगों के लिए एक राष्ट्रीय AI सुविधा स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। 

*तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे प्रदेशों में यूएनडीपी द्वारा समर्थित AI आधारित समावेशी कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। 

स्वास्थ्य, शिक्षा और आय में निरन्तर सुधार

1990 में भारत में जीवन प्रत्याशा 58.6 वर्ष थी, जो अब बढ़कर 2023 में 72 वर्ष हो गई है-जोकि HDI सूचकाँक की शुरुआत से लेकर अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है। 

शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार हुआ है. अब भारत में बच्चों के स्कूल में बने रहने की औसत अवधि 13 वर्ष तक पहुँच गई है, जबकि 1990 में यह केवल 8.2 वर्ष थी।  

शिक्षा का अधिकार अधिनियम, समग्र शिक्षा अभियान और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जैसे कदमों ने इसमें उल्लेखनीय भूमिका निभाई है. हालाँकि, शिक्षा की गुणवत्ता और परिणामों के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता अब भी बनी हुई है।

आर्थिक मोर्चे पर, भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 1990 के 2167.22 डॉलर से बढ़कर 2023 में 9046.76 डॉलर हो गई है-जो चार गुना से भी अधिक की वृद्धि है। 

इस विकास का श्रेय, व्यापक आर्थिक सुधारों के साथ-साथ मनरेगा, जन-धन योजना और डिजिटल समावेश जैसी सामाजिक योजनाओं को भी जाता है।  

इस विकास का प्रभाव निर्धन लोगों के जनजीवन पर भी पड़ा है। विशेष रूप से 2015-16 से 2019-21 के बीच साढ़े 13 करोड़ लोग बहुआयामी निर्धनता से बाहर निकले हैं, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

असमानताओं की चुनौती

हालाँकि रिपोर्ट के अनुसार, भारत में असमानताओं से सम्बन्धित संकेतकों के कारण HDI में 30.7% की हानि हुई है-जो इस क्षेत्र में सबसे बड़े नुक़सानों में से एक है।  

स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में असमानता में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन आय और लिंग असमानता अब भी बड़े पैमाने पर मौजूद है। 

विशेषकर श्रमबल में, महिलाओं की भागेदारी और राजनैतिक प्रतिनिधित्व अब भी कम है. हालाँकि, हाल ही में महिलाओं के लिए एक-तिहाई विधाई सीटें आरक्षित करने वाले संविधान संशोधन जैसे क़दम, सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में परिवर्तन की आशा का संचार करते हैं। 

वैश्विक परिप्रेक्ष्य और दक्षिण एशिया की स्थिति

रिपोर्ट में वैश्विक मानव विकास की धीमी रफ़्तार पर चिन्ता जताई गई है। यह 1990 के बाद से सबसे धीमी गति पर है।  

यदि 2020 से पहले की प्रगति बनी रहती, तो दुनिया 2030 तक उच्च मानव विकास की दिशा में अग्रसर होती. लेकिन अब इस लक्ष्य में कई दशकों की देरी का ख़तरा है। 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि धनी और निर्धन देशों के बीच असमानताएँ लगातार गहरी होती जा रही हैं।  

Wednesday, November 13, 2024

प्रेगनेंसी में महिलाओं को कितनी कैलोरी लेनी चाहिए//*डॉ अर्चिता महाजन

 Wednesday: 13th November 2024: Dr. Archita Mahajan//WhatsApp//Hindi//Women Health

सलाह:कैलोरी स्वस्थ्य फूड से पूरी करें ना कि मिठाई या जंक फूड से 


गुरदासपुर
: 13 नवंबर 2024: (वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

प्रेगनेंसी में महिला स्वास्थ्य पर *डा. अर्चिता महाजन बता रही हैं  कुछ विशेष बातें जिनका ध्यान रख कर सबंधित महिलाएं स्वास्थ्य से जुड़ी बहुत सी मुसीबतों से बच सकती हैं।  

डा. अर्चिता महाजन 
डा. अर्चिता महाजन ने बताया है कि अक्सर महिलाओं को जो उलझन रहती है कि प्रेगनेंसी के दौरान आम भूख से डबल खाना चाहिए ऐसा शायद इसलिए कहा गया होगा कि किसी तरह से गर्भवती बहू को ज़्यादा खाने के लिए प्रेरित किया जा सके। 

डबल तो किसी हालत में खाया ही नहीं जा सकता। परंतु इसके साथ-साथ कैलोरी का भी ध्यान रखना होगा कि आप कैलोरीज़ कहां से ले रहे हैं। कोल्ड ड्रिंक पीने से आपकी कैलोरी की जरूरत पूरी हो जाएगी परंतु वह आपके बच्चे को जरूरत के अनुसार पोषण नहीं दे पाएगी और कई तरह के विकार उत्पन्न होंगे।

पहली तिमाही में आपको कोई अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत नहीं होती। दूसरी तिमाही में, आपको प्रतिदिन 340 अतिरिक्त कैलोरी और तीसरी तिमाही में 450 अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत हो सकती है। ज़्यादा एक्टिव रहने वाली महिलाओं को 350-450 अतिरिक्त कैलोरी की ज़रूरत पड़ सकती है। वहीं, जो महिलाएं ज़्यादा काम नहीं करतीं, उन्हें 200-300 अतिरिक्त कैलोरी लेनी चाहिए। 

अतिरिक्त कैलोरी को स्वस्थ खाद्य पदार्थों से लेना चाहिए। मिठाई या जंक फ़ूड से मिलने वाली अतिरिक्त कैलोरी से बच्चे को ज़रूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इससे आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। 

सुबह खाली पेट दलिया, ओट्स और ब्राउन ब्रेड का सेवन कर सकती हैं। इनमें फाइबर अधिक होता है, इससे आप कब्ज और गैस की समस्या से बच सकती हैंएक चम्मच (16 ग्राम) क्रीमी पीनट बटर से लगभग 100 कैलोरी और 3.5 ग्राम प्रोटीन मिलेगा।

आपको डा. अर्चिता महाजन ने स्वास्थ्य से सबंधित दिशा निर्देश और सलाह बहुत ही सादगी से और संक्षिप्त रहते हुए दिए हैं।   आपको यह पोस्ट कैसी लगी अवश्य बताएं। 

*डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्मा भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित

Tuesday, October 8, 2024

पीएयू के विद्यार्थियों ने महिला सशक्तिकरण शिविर आयोजित किया

PAU Ludhiana//Tuesday 8th Oct 2024 at 10:40 AM//Women empowerment//पंजाब कृषि विश्वविद्यालय

इस अभियान के अंतर्गत  पीएयू पहले भी कुछ कर के दिखा चुकी है 

पीएयू की तरफ से महिला सशक्तिकरण कैंप का एक दृश्य
लुधियाना: 8 अक्टूबर, 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

महिला सशक्तिकरण को और अधिक बढ़ाने के लिए काफी समय से पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) भी लगातार सक्रिय है। इस मकसद के लिए यूनिवर्सिटी ने पहले भी बहुत से प्रयास किए हैं। सेल्फ रिलायंस अभियान के अंतर्गत पीएयू ने बहुत सी महिलाओं को कई तरह के घरेलू उद्योगों  ट्रेनिंग दे कर अपने पांवों पर खड़ा किया है। ऐसी महिलाओं से जुड़े सशक्त परिवार पंजाब और पंजाब से बाहर भी फैले हुए हैं। इस तरह के खुशहाल परिवार और इलाके अब इन महिलाओं पर गर्व करते हैं। 

इसी अभियान को अब और आगे बढ़ा रही है पीएयू। इस बार एक नया अभियान फिर सामने है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के बीएससी बागवानी (2024-25) के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा ग्रामीण जागरूकता कार्य अनुभव (आरएडब्ल्यूई) कार्यक्रम के तहत लुधियाना के गांव गहौर में महिला सशक्तिकरण शिविर का आयोजन किया गया। 

इस शिविर का आयोजन कार्यक्रम समन्वयक डॉ जसविंदर सिंह बराड़, प्रमुख फल वैज्ञानिक और पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ सिमरत सिंह, वैज्ञानिक, फ्लोरीकल्चर और लैंडस्केपिंग विभाग, पीएयू के मार्गदर्शन में किया गया। शिविर का प्राथमिक उद्देश्य महिला उद्यमियों को अपने हस्तशिल्प वस्तुओं का प्रदर्शन करने और बागवानी और संबद्ध उद्यमों में कौशल वृद्धि के अतिरिक्त अवसरों का पता लगाने के लिए एक मंच प्रदान करना था।

शिविर के दौरान चेतना और जशन ने प्रतिभागियों को कौशल विकास केंद्र, पीएयू में दिए जा रहे विभिन्न लघु अवधि पाठ्यक्रमों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से अवगत कराया, ताकि बागवानी और इससे जुड़ी सहायक सामग्री जैसे जैम, कैंडी, स्क्वैश, अचार आदि बनाने में आवश्यक कौशल बढ़ाया जा सके और ज्ञान प्रदान किया जा सके। इसके अलावा, जाह्नवी और रिया ने स्टार्टअप के लिए उपलब्ध विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी। गुरप्रीत ने प्रतिभागियों को महिला उद्यमियों के लिए सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए स्वयं सहायता समूह बनाने के महत्व के बारे में शिक्षित किया।

श्रीमती सुखविंदर कौर, श्रीमती हरजोत कौर और श्रीमती गुरमीत कौर नामक कृषक महिलाओं द्वारा स्थानीय स्तर पर निर्मित हस्तशिल्प की प्रदर्शनी लगाई गई। यह प्रदर्शनी इन महिलाओं के हुनर को खुद ब दिखा  रही थी। इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित चीज़ें इन्हें बनाने वाले हाथों के हुनर का पता दे रहीं थीं।  

इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित की गई बहुत सी चीज़ों में कढ़ाई, हाथ से बुने हुए फोल्डिंग पंखे, टेबल फैब्रिक कवर, बुने हुए स्वेटर आदि उत्पादों की विविध रेंज शामिल थी। इनका अंदाज़ ही कुछ  अलग था।  

इस शिविर के सफल आयोजन के लिए RAWE कार्यक्रम के साक्षी, हर्षदीप कौर, विष्णवी, हिम्मत सिंह, रंजीत सिंह और मुस्कान नामक छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

Wednesday, October 2, 2024

लड़कियों को उनके स्वयं के पांवों पर खड़ा करता है बेकरी उद्योग

पंजाब, नागालैंड, दिल्ली और गुजरात तक हर जगह है इसकी डिमांड 


मोहाली
//लुधियाना: 2 अक्टूबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//वीमेन स्क्रीन डेस्क)::

पढ़ाई लिखाई और शादी ब्याह के इलावा भी बहुत कुछ ऐसा होता है जिसकी ज़रूरत ज़िंदगी में कदम कदम पर पड़ती है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण  है नेक कमाई से कमाया हुआ पैसा जो आर्थिक रीढ़ को भी मज़बूत करता है और समाज में स्वयं के पांवों को भी बहुत ही अच्छी तरह से जमा भी देता है। इसी से शुरू होता है जीवन में अन्य सफलताओं का लगातार चलने वाला सिलसिला।   

बेकिंग की दुनिया में सक्रिय लड़कियों को हमारी टीम ने बहुत पहले देखा था पंजाब के शाही शहर पटियाला में। यह लड़कियां अपने  परिवारों साथ वहां लगे हुए किसान मेले में आई।  इन लड़कियों की बहन, भाई और माता-पिता सभी इनके साथ बहुत ही उत्साह से काम करवा रहे थे। इनके स्टाल पर इनके बनाए केक, बिस्कुट, पेस्ट्रियां  और बहुत कुछ दूसरा बेकिंग सामान भी हाथों हाथ बिक रहा था। इन्होने यह सारी ट्रेनिंग पंजाब कृषि विश्व विद्यालय लुधियाना से ली थी जिसने इन्हें पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया। 

काम शुरू करने के लिए परिवार ने थोड़ा सा इन्वेस्टमेंट किया और  सरकार विभागों ने इन्हें सब्सिडी जैसी मदद भी दे दी। बस देखते ही देखते काम चल निकला।  लिए घर  की ज़रूरत भी पड़ने लगी। डेढ़ दो बरस में ही इन लड़कियों का इन्वेस्टमेंट ही नहीं लौटा बल्कि मुनाफा भी आने लगा। क्यूंकि प्रोडक्टस साफ सुथरे, ताज़े और स्वादिष्ट  लोकप्रियता भी बढ़ने लगी। शादी, विवाह और अन्य आयोजनों के  बड़े आर्डर आने लगे। नौकरी करने वाली जॉब की इच्छा कब पीछे छूट गई इन्हें खुद भी याद नहीं रहा। 

आज भी बेकिंग की दुनिया में, लड़कियों का एक उल्लेखनीय समूह है जो न केवल अपने जुनून का पीछा कर रही हैं, बल्कि इसे घरेलू व्यवसायों में भी बदल रही हैं। उनकी यात्रा कड़ी मेहनत, रचनात्मकता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। ये युवा उद्यमी रणनीतिक निवेश और अभिनव विपणन तकनीकों के माध्यम से अपने बेकिंग सपनों को वास्तविकता में बदल रहे हैं। 

नागालैंड से भी ऐसी लड़कियों की ऐसी ही सफलताओं की खुशखबरियां सामने आई हैं। वहां भी इनके लिए उचित शिक्षा और ट्रेनिंग का प्रबंध किया गया है। दिल्ली, मुंबई, गुजरात और अन्य हिस्सों में भी इसकी बहुत ज़्यादा डिमांड है। नागालैंड की लड़कियां भी इस तरफ तेज़ी से बढ़ रही हैं। 

नागालैंड में बेकरी इंडस्ट्री की तरफ बढ़ रहा है लड़कियों का इंटरेस्ट 

शिक्षा हर मामले में  मार्गदर्शन करती है और उनकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कई लोगों ने कार्यशालाओं और पाठ्यक्रमों की भी तलाश की है जो उनके कौशल को बढ़ाते हैं और व्यवसाय परिदृश्य की उनकी समझ को व्यापक बनाते हैं। वे मज़बूत टीम बनाते हैं, अंतर्दृष्टि साझा करने और एक-दूसरे के प्रयासों का समर्थन करने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं। विभिन्न साधनों का उपयोग करके-चाहे वह मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म हो या वित्तीय प्रबंधन के लिए बजटिंग टूल-वे एक ऐसा रास्ता तैयार कर रहे हैं जो दूसरों को प्रेरित करता है।

यह देखना उत्साहजनक है कि बेकिंग उद्योग में चुनौतियों का सामना करते हुए ये लड़कियाँ एक-दूसरे का उत्थान कैसे करती हैं। उनकी कहानियां हमें याद दिलाती हैं कि जुनून, शिक्षा और टीम वर्क के साथ, सपने वास्तव में ताज़ी बेक्ड ब्रेड की तरह खूबसूरती से उग सकते हैं!

सफलता की इन सच्ची कहानियों ने एक नया इतिहास रचा है।  एक नया अध्याय लिखा है। एक नया मार्ग दिखाया है। यह मार्ग उन मंज़िलों की तरफ ले जाता है जहां अपना हाथ जगन्नाथ वाली कहावत सच साबित होने लगती है। 

आप भी  इनसे प्रेरणा लें। आप नौकरी मांगने वालों की भीड़ में से निकल कर नौकरी देने वालों के वर्ग में आ जाएंगी। बेकरी केवल एक क्षेत्र है जिसकी हमने चर्चा की है। बहुत से और फील्ड भी खुले हैं जिनके रास्ते भी आपको बुला रहे हैं और मंज़िलें भी। 

लगातार बने रहिए वीमेन स्क्रीन के साथ। 

Monday, September 16, 2024

दुनिया में लैंगिक अंतर अभी भी गंभीर चिंता का विषय है-UN

 सोमवार 16 सितंबर 2024 को सुबह 9:14 बजे               Monday 16th September 2024 at 9:14 AM

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने तुरंत वैश्विक कार्रवाई के लिए किया अलर्ट  

न्यूयॉर्क: 16 सितंबर 2024: (मीडिया लिंक//वूमेन स्क्रीन डेस्क)::

संयुक्त राष्ट्र की हाल ही में आई एक रिपोर्ट बेहद महत्वपूर्ण है। अभी तक जारी लैंगिक अंतर पर इस रिपोर्ट ने जहां चिंता व्यक्त की है। इसके साथ ही इस रिपोर्ट ने इस अंतर को दूर करने के लिए तत्काल वैश्विक कार्रवाई के लिए अलर्ट किया है। रिपोर्ट कहती है की लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण में प्रगति के बावजूद, अब चार में से एक संसदीय सीट पर महिलाओं का कब्जा है और बहुत कम महिलाएं अत्यधिक गरीबी में जी रही हैं, लेकिन समस्या तो लगातार बानी हुई है। यह सिसला पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। रिपोर्ट से पता चलता है कि सतत विकास लक्ष्य 5- लैंगिक समानता प्राप्त करना- के लिए कोई भी संकेतक काम तक पूरा नहीं हो रहा है। इसमें युर तेज़ी लाए बिना बात नहीं बनेगी। 

वर्तमान गति से, संसदों में लैंगिक समानता प्राप्त करना 2063 तक नहीं हो पाएगा, और सभी महिलाओं और लड़कियों को गरीबी से बाहर निकालने में आश्चर्यजनक रूप से 137 साल लगेंगे। चार में से एक लड़की अभी भी बचपन में ही विवाहित है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। लगातार संघर्ष और म्हणत की ज़रूरत अभी भी बानी हुई है।  

इस ख़ास रिपोर्ट में लैंगिक असमानता की चौंका देने वाली लागत पर जोर दिया गया है, जिसमें अपर्याप्त शिक्षा के कारण देशों को सालाना 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हो रहा है और अगर डिजिटल लैंगिक अंतर जारी रहता है तो अगले पांच वर्षों में अतिरिक्त 500 बिलियन डॉलर का नुकसान होगा।

मुख्य सिफारिशें:

-निवेश बढ़ाएँ: महिला सशक्तिकरण और शिक्षा का समर्थन करने के लिए धन जुटाएँ

-भेदभाव समाप्त करें: महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और हिंसा को रोकने के लिए कानून बनाएँ और लागू करें

-कानूनी सुधार: अंतरंग साथी हिंसा को कम करने के लिए घरेलू हिंसा कानून लागू करें

विश्व नेताओं से आग्रह किया जाता है कि वे 22-23 सितंबर को होने वाले भविष्य के शिखर सम्मेलन और 2025 में बीजिंग घोषणा और कार्रवाई के लिए मंच की 30वीं वर्षगांठ पर इन महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए निर्णायक कार्रवाई करें।

जैसा कि यूएन महिला कार्यकारी निदेशक सिमा बहौस ने जोर दिया, "प्रगति प्राप्त करने योग्य है, लेकिन यह पर्याप्त तेज़ नहीं है। हमें लैंगिक समानता के लिए आगे बढ़ते रहना चाहिए"