UN Women Post on 6th May 2025
भारत को एक उभरती हुई AI शक्ति के रूप में पहचाना गया है
HDI 2025: भारत में मानव विकास के क्षेत्र में मज़बूती, मगर चुनौतियाँ भी बरक़रार
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UNDP India भारत में महिलाओं को टिकाऊ विकास मुद्दों, विशेष रूप से लैंगिक समानता से जुड़े विषयों पर अग्रणी भूमिका निभाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। (फ़ाइल फ़ोटो)
6 मई 2025//आर्थिक विकास
भारत में चुनौतियों के बावजूद विकास जारी है। इस पोस्ट केआरंभ में दी गई तस्वीर दिखाती है कि इन कामकाजी महिलाओं के चेहरों पर आर्थिक उपलब्धियों की ख़ुशी भी है। संघर्षों की चमक भी हैं। अपने पांवों पर खड़े होने की मुस्कराहट भी है। यह बहुत बड़ी बात है कि मानव विकास रिपोर्ट 2025 में भारत को एक उभरती हुई AI शक्ति के रूप में पहचाना गया है। यह हम सभी भारतियों के लिए गर्व की बात है। भारत, वैश्विक AI सूचकांक में शीर्ष 10 में स्थान पाने वाला एकमात्र निम्न-मध्यम आय वाला देश है। अफ़सोस कि इस तरह की साकारत्मक उपलब्धियों पर मीडिया में आम तौर पर उतनी चर्चा नहीं होती जितनी होनी चाहिए। अब यह सारा विवरण संयुक्तराष्ट्र संघ की तरफ से मिली जानकारी में बताया गया है।
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मानव विकास रिपोर्ट की एक झलक इस ग्राफ में भी |
“A Matter of Choice: People and Possibilities in the Age of AI” नामक मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, भारत का मानव विकास सूचकांक (HDI) 2022 में 0.676 से बढ़कर 2023 में 0.685 हो गया है।
इसके साथ भारत, 193 देशों में, एक वर्ष में 133 वें स्थान से आगे बढ़कर, 130वें स्थान पर पहुँच गया है।
साथ ही, भारत मध्यम मानव विकास श्रेणी में जगह बरक़रार रखते हुए, उच्च मानव विकास (HDI ≥ 0.700) की सीमा के क़रीब पहुँच रहा है।
1990 के बाद से भारत के HDI मूल्य में 53% की वृद्धि हुई है-जो वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत से तेज़ है।
यूएनडीपी की भारत में प्रतिनिधि एंजेला लुसिगी के अनुसार, यह प्रगति शिक्षा के औसत वर्षों, जीवन प्रत्याशा, और प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय में स्थाई सुधार को दर्शाती है।
AI की भूमिका
मानव विकास रिपोर्ट 2025 में भारत को एक उभरती हुई AI शक्ति के रूप में पहचाना गया है। यह हमारे इस दौर में एक बहुत बड़ी गर्व की बात है। इस क्षेत्र में तरक्की एक तरह से आने वाले समय सफलता और ख़ुशहालीओ की गारंटी भी है।
भारत, वैश्विक AI सूचकांक में शीर्ष 10 में स्थान पाने वाला एकमात्र निम्न-मध्यम आय वाला देश है। जब आने वाले भविष्य का इतिहास लिखा जाएगा तो इसे बहुत गर्व से स्मरण किया जाएगा। यह एक तरह से मील का पत्थर है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में AI से सम्बन्धित बुनियादी ढाँचा मज़बूत है, और कौशल विकास के क्षेत्र में निरन्तर निवेश हो रहा है। भारत में AI से सम्बन्धित बुनियादी ढाँचा मज़बूत होना एक सुनहरे भविष्य की झलक दिखाता है। इसका स्पष्ट संकेत है कि भारत के विकास की रफ्तार अब और तेज़ होने वाली है।
इसी सिलसिले में एक और आंकड़ा सामने आया है कि वर्ष 2019 में जहाँ AI शोधकर्ताओं की संख्या लगभग नगण्य थी, वहीं अब 20% भारतीय लोग, AI शोधकर्ता देश में ही कार्यरत हैं। जल्द ही इनकी संख्या और बढ़ने की भी पूरी संभावना है।
थोड़ा सा विस्तार में जाएं तो भारत में AI का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है-जैसे कि कृषि, स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली. उदाहरण स्वरूप:
*किसानों को बीमा और ऋण से जुड़ी सलाह उनकी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने में AI की मदद ली जा रही है।
*शोधकर्ताओं और नई कम्पनियों व उद्योगों के लिए एक राष्ट्रीय AI सुविधा स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है।
*तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे प्रदेशों में यूएनडीपी द्वारा समर्थित AI आधारित समावेशी कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य, शिक्षा और आय में निरन्तर सुधार
1990 में भारत में जीवन प्रत्याशा 58.6 वर्ष थी, जो अब बढ़कर 2023 में 72 वर्ष हो गई है-जोकि HDI सूचकाँक की शुरुआत से लेकर अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी सुधार हुआ है. अब भारत में बच्चों के स्कूल में बने रहने की औसत अवधि 13 वर्ष तक पहुँच गई है, जबकि 1990 में यह केवल 8.2 वर्ष थी।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, समग्र शिक्षा अभियान और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जैसे कदमों ने इसमें उल्लेखनीय भूमिका निभाई है. हालाँकि, शिक्षा की गुणवत्ता और परिणामों के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता अब भी बनी हुई है।
आर्थिक मोर्चे पर, भारत की प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 1990 के 2167.22 डॉलर से बढ़कर 2023 में 9046.76 डॉलर हो गई है-जो चार गुना से भी अधिक की वृद्धि है।
इस विकास का श्रेय, व्यापक आर्थिक सुधारों के साथ-साथ मनरेगा, जन-धन योजना और डिजिटल समावेश जैसी सामाजिक योजनाओं को भी जाता है।
इस विकास का प्रभाव निर्धन लोगों के जनजीवन पर भी पड़ा है। विशेष रूप से 2015-16 से 2019-21 के बीच साढ़े 13 करोड़ लोग बहुआयामी निर्धनता से बाहर निकले हैं, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
असमानताओं की चुनौती
हालाँकि रिपोर्ट के अनुसार, भारत में असमानताओं से सम्बन्धित संकेतकों के कारण HDI में 30.7% की हानि हुई है-जो इस क्षेत्र में सबसे बड़े नुक़सानों में से एक है।
स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में असमानता में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन आय और लिंग असमानता अब भी बड़े पैमाने पर मौजूद है।
विशेषकर श्रमबल में, महिलाओं की भागेदारी और राजनैतिक प्रतिनिधित्व अब भी कम है. हालाँकि, हाल ही में महिलाओं के लिए एक-तिहाई विधाई सीटें आरक्षित करने वाले संविधान संशोधन जैसे क़दम, सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में परिवर्तन की आशा का संचार करते हैं।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य और दक्षिण एशिया की स्थिति
रिपोर्ट में वैश्विक मानव विकास की धीमी रफ़्तार पर चिन्ता जताई गई है। यह 1990 के बाद से सबसे धीमी गति पर है।
यदि 2020 से पहले की प्रगति बनी रहती, तो दुनिया 2030 तक उच्च मानव विकास की दिशा में अग्रसर होती. लेकिन अब इस लक्ष्य में कई दशकों की देरी का ख़तरा है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि धनी और निर्धन देशों के बीच असमानताएँ लगातार गहरी होती जा रही हैं।
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