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Friday, October 15, 2021

कौन जलाए आज के रावण--कौन जलाए इनकी लंका

3 साल की बच्ची भी नहीं बचती, इन हैवानों से

यह रचना कहां पढ़ी थी.अब यह भी भूल गया। लेखक का पता पश्ते वक्त भी पता नहीं चल सका। इसे इस उम्मीद से सहेज कर रख लिया की शायद जल्द ही लेखक का पता चल सके सम्भव न हो सका। आज दशहरा। सीता माता का हरण करने वाले रावण के अंत की बातें दोहराता दिन। अतीत की बातें करता दिन। अतीत के किस्से दोहराता दिन लेकिन जो आज के रावण हैं उनकी तरफ से आज भी ऑंखें बंद हैं। उनकी चर्चा क्यों नहीं? कौन जलाएगा उन्हें। पढ़िए ज़रा इस रचना को। अंदर तक झंकझोर डालती है। -रेक्टर कथूरिया


बेशर्मी की हद

सब एक सा तो हे,


डिग्रियाँ सलीका नहीं देती,
उम्र लिहाज़ नहीं सिखाती,
DTC की बस नहीं,
तो Metro ही सही,
तम्बाकू खाने वाला ज़ाहिल नहीं,
तो Tie लगाने वाला पढ़ाकू सही,
कमर बस लड़की की चाहिए,
सीने पर हाथ फिराने की मोहलत,
और चलते हुए हाथों को छूने का मौका,
घर पर बहन ठीक है काफी है,
बाहर की हर लड़की एक चीज़ है,
ज़्यादा लिप्सटिक, टाइट कपड़े,
और चाल में उछाल बस काफी है बहाने को,
3 साल की बच्ची भी नहीं बचती, इन हैवानो से,
पहले दूर से देखो, फिर मुस्कुरा दो,
अकेले हो तो हाथ पकड़ लो,
अंधेरा हो तो कमर जकड़ लो,
एक हाथ सीने पर, दूजे से मूह दबा दो,
ज्यादा हाथ - पैर चलाए तो कान पर लगा दो,
यह कहानी सी हो गइ है,
ये बांते रोज़ की, पुरानी सी हो गइ है।
अफसोस है?
शर्म है?
या बेशर्मी की हद?

(लेखक गुमनाम है)


Monday, September 27, 2021

एनसीडब्ल्यू ने डेयरी फार्मिंग में महिलाओं के लिए की शुरुआत

प्रविष्टि तिथि: 27 SEP 2021 at 2:27 PM by PIB Delhi

   शुरू किया देशव्यापी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम  

वित्तीय स्वतंत्रता, महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है: एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष


नई दिल्ली
: 27 सितंबर 2021: (पीआईबी//वीमेन स्क्रीन)::

डेयरी फार्मिंग और संबद्ध गतिविधियों से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए एनसीडब्ल्यू भारत भर के कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग कर रहा है। एनसीडब्ल्यू का उद्देश्य महिला, किसानों और स्वयं सहायता समूहों को वैज्ञानिक प्रशिक्षण एवं व्यावहारिक विचारों के माध्यम से डेयरी फार्मिंग क्षेत्र में विस्तार गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संचालित करने में मदद करना है। 

ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करने और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के एक प्रयास के तहत, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने डेयरी फार्मिंग में महिलाओं के लिए एक देशव्यापी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया है। आयोग डेयरी फार्मिंग और संबद्ध गतिविधियों से जुड़ी महिलाओं की पहचान और प्रशिक्षण के लिए पूरे भारत में कृषि विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग कर रहा है। इन गतिविधियों में मूल्यवर्धन, गुणवत्ता वृद्धि, पैकेजिंग और डेयरी उत्पादों का विपणन अन्य शामिल हैं।

परियोजना के तहत पहला कार्यक्रम हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से राज्य के हिसार जिले में स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए 'मूल्य वर्धित डेयरी उत्पाद' के विषय पर आयोजित किया गया था। परियोजना का शुभारंभ करते हुए, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा ने कहा कि वित्तीय स्वतंत्रता महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत की महिलाएं डेयरी फार्मिंग के हर हिस्से में शामिल हैं, फिर भी वे वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में असमर्थ हैं। एनसीडब्ल्यू का लक्ष्य अपनी परियोजना के माध्यम से महिलाओं को डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, उनके मूल्यवर्धन, पैकेजिंग और शेल्फ लाइफ को बढ़ाने तथा उनके उत्पादों के विपणन से जुड़ा प्रशिक्षण देकर सशक्त करना और वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में उनकी मदद करना है।

राष्ट्रीय महिला आयोग महिलाओं की उनकी पूरी क्षमता हासिल करने और एक स्थायी अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान देने में मदद करने के लिए काम कर रहा है। आयोग हमेशा महिलाओं की समानता के लिए खड़ा रहा है क्योंकि यह दृढ़ता से मानता है कि अर्थव्यवस्था सफल नहीं हो सकती अगर हम अपनी आधी आबादी को उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने से रोकेंगे।

एनसीडब्ल्यू का उद्देश्य डेयरी फार्मिंग क्षेत्र में विस्तार संबंधी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण और व्यावहारिक विचारों की एक श्रृंखला के माध्यम से महिला किसानों और स्वयं सहायता समूहों की मदद करना है। आयोग महिलाओं को उनके व्यवसाय को बढ़ाने और उन्हें उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करने की खातिर प्रशिक्षण प्रदान करेगा। एनसीडब्ल्यू ऐसे प्रशिक्षकों का भी चयन करेगा जो महिला उद्यमियों, महिलाओं द्वारा संचालित दूध सहकारी समितियों, महिला स्वयं सहायता समूहों आदि को प्रशिक्षित करेंगे। एनसीडब्ल्यू का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र में एक स्थायी और अनुकरणीय जिला स्तरीय मॉडल बनाना है जिसे आगे देश के डेयरी फार्मिंग क्षेत्रों में अपनाया जा सके। परियोजना का उद्देश्य डेयरी उत्पादों के निर्माण एवं विपणन के लिहाज से गांवों में उपलब्ध अपार क्षमता का दोहन करना और इस प्रक्रिया के साथ-साथमहिलाओं को सशक्त बनाना है ताकि वे वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें।

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एमजी/एएम/पीके/सीएस

Thursday, September 23, 2021

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री की जम्मू-कश्मीर की दो दिवसीय यात्रा संपन्न

प्रविष्टि तिथि: 22 SEP 2021 8:48PM by PIB Delhi

स्मृति जुबिन ईरानी ने मगम में स्पोर्ट्स स्टेडियम का उद्घाटन किया 

स्थानीय खिलाड़ियों के साथ बातचीत भी की

*कनिहामा शिल्प ग्राम का दौरा भी किया 

*एनआरएलएम से जुड़े कारीगरों और स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत की 

नई दिल्ली: 22 सितंबर 2021: (पीआईबी//वीमेन स्क्रीन)::

केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर संपर्क अभियान की पहल के तहत, बडगाम की अपनी यात्रा के अंतिम दिन केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्‍मृति जुबिन ईरानी ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोगों की शिकायतों का पता लगाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की तरफ से संपर्क अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इसमें सामने आने वाली मांगों और शिकायतों को त्वरित समाधान के लिए केंद्र के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की स्थानीय निकायों के साथ साझा किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने जम्मू-कश्मीर खेल परिषद द्वारा नई शैली में निर्मित स्पोर्ट्स स्टेडियम मगम का उद्घाटन किया। स्टेडियम में मंत्री ने एक फुटबॉल मैच देखा और स्थानीय क्लबों के खिलाड़ियों के साथ बातचीत भी की।


श्रीमती ईरानी ने मालपोरा मगम में बागवानी विभाग के उच्च घनत्व वाले बाग और फल व सब्जी संरक्षण इकाई का भी दौरा किया। इस अवसर पर किसानों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर में विश्व में उच्च गुणवत्ता वाले सेब का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बनने की बहुत बड़ी क्षमता है। उन्होंने आगे कहा, “वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने के लिए फल उत्पादन में विविधता लाने की आवश्यकता है। कश्मीर सौभाग्यशाली है कि उसके पास उच्च उपज वाले बागवानी उत्पादों की खेती करने के लिए अनुकूल जलवायु और उपजाऊ जमीन है।”


मंत्री ने संबंधित बागवानी अधिकारियों को उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण से अधिक से अधिक प्रगतिशील किसानों को जोड़ने के लिए क्षेत्र में जागरूकता शिविर लगाने के निर्देश दिये। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण को अपनाने के इच्छुक किसानों और कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सभी आवश्यक मदद, तकनीकी मार्गदर्शन और बैंकों के माध्यम से आर्थिक सहायता दिलाने पर ध्यान देगी।

अपनी यात्रा की शुरुआत में, मंत्री ने सरकारी डिग्री कॉलेज मगम में एक एनीमिया शिविर का उद्घाटन किया और कनिहामा शिल्प ग्राम का भी दौरा किया। मंत्री ने एनआरएलएम से जुड़े स्थानीय कारीगरों और स्वयं सहायता समूहों के साथ भी बातचीत की।


इस अवसर पर अपने संबोधन में श्रीमती ईरानी ने कहा, “मैं इन अत्यधिक कुशल कारीगरों के कौशल, समर्पण और धैर्य को देखकर उत्साहित थी, जब वे अपनी उच्च लागत वाली कनी शॉल और अन्य उत्पादों को बुन रहे थे।” अपनी चर्चा के दौरान, उन्होंने संबंधित कारीगरों और अन्य उत्पादकों को आश्वासन दिया कि सरकार इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने की इच्छुक है ताकि दुनिया भर के बाजारों में इनकी उपलब्धता हो।

केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्‍मृति जुबिन ईरानी ने श्रीनगर में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के डीजीपी श्री दिलबाग सिंह और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भी मुलाकात की।


मगम की अपनी यात्रा के दौरान मंत्री ने जाने-माने सांस्कृतिक कलाकारों की ओर से प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखा, जिसे समाज कल्याण विभाग और जिला सूचना केंद्र बडगाम ने आयोजित किया था।

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Tuesday, July 20, 2021

कोविड से बेरोज़गारी की मार दुनिया भर में महिलाओं पर ही अधिक

19th July 2021
 कोविड से पुनर्बहाली: कम ही महिलाएँ लौट पाएंगी रोज़गार में 

प्रतीकात्मक फोटो Pexels Photo by Thibault Luycx 

कोविड की महामारी ने आर्थिकता को तहस नहस कर दिया है। यह सब भारत में ही नहीं हुआ बल्कि पूरी दुनिया में हुआ है। भारतीय पंजाब के गाँवों से ले कर अमेरिका तक यही कहानी है। महिलाओं की आत्मनिर्भरता के दर काम हो गई है। निकारागुआ की एक कपड़ा फ़ैक्टरी में  भी यही हल है और पंजाब के गाँवों में चलते छोटे छोटे कारोबारों में भी। इस मामले की रिपोर्ट एक चिंतनीय हकीकत की तरफ इशारा करती है कि कोविड के कारण जिन महिलाओं  से रोज़गार छीन गया था वह अब भी पूरी तरह वापिस नहीं लौट पाएगा।  
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी–ILO एक जानामाना और बहुत ही प्रतिष्ठित संगठन है। इस संगठन की सोमवार को जारी एक नई अध्ययन रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान जो रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज ख़त्म हो गए हैं। संकट से उबरने यानि पुनर्बहाली के प्रयासों के दौरान फिर से रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज हासिल करने वाली महिलाओं की संख्या वहां भी पुरुषों की तुलना में कम होगी। ज़ाहिर है कि कोविड की मार भी महिलाओं पर ही अधिक पद रही है और आगे भी पड़ेगी। कोविड से बेरोज़गारी की मार दुनिया भर में महिलाओं पर ही अधिक  क्यूं है यह अलग से सोचने का विषय है।
Pexels-Photo-by Thibault Luzcx
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन की इस रिपोर्ट में
कहा गया है वर्ष 2019 और 2020 के बीच, दुनिया भर में रोज़गारशुदा महिलाओं की संख्या में 4.2 प्रतिशत की कमी हुई जोकि लगभग 5 करोड़ 40 लाख कामकाजों के बराबर हैं. जबकि रोज़गारशुदा पुरुषों की संख्या में 3 प्रतिशत की कमी देखी गई और ये संख्या 6 करोड़ कामकाजों के बराबर थी। 
इसका अर्थ है कि वर्ष 2019 की तुलना में, वर्ष 2021 में, रोज़गारशुदा महिलाओं की संख्या लगभग 1 करोड़ 30 लाख कम होगी लेकिन रोज़गारशुदा पुरुषों की संख्या में बेहतर पुनर्बहाली होकर दो साल पहले के स्तर पर पहुँच जाने की अपेक्षा है। 
इसका ये भी अर्थ है कि दुनिया भर में कामकाजी उम्र की केवल 43 प्रतिशत महिलाएँ वर्ष 2021 के दौरान रोज़गारशुदा होंगी, जबकि ऐसे पुरुषों की संख्या 69 प्रतिशत होगी। 
यूएन श्रम एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज, अनुपात से अधिक संख्या में ख़त्म होने का एक कारण ये भी नज़र आता है कि ऐसे क्षेत्रों में ज़्यादा महिलाएँ कार्यरत हैं जो तालाबन्दियों के कारण, बहुत अधिक प्रभावित हुए।  रिपोर्ट को आप पढ़ सकते हैं नीचे दिए गए लिंक पर  क्लिक करके भी। 
कोविड से पुनर्बहाली के दौरान, कम ही महिलाएँ लौट पाएंगी रोज़गार में
यूएन श्रम एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज, अनुपात से अधिक संख्या में ख़त्म होने का एक कारण ये भी नज़र आता है कि ऐसे क्षेत्रों में ज़्यादा महिलाएँ कार्यरत हैं जो तालाबन्दियों के कारण, बहुत अधिक प्रभावित हुए। ऐसा तकरीबन हर जगह देखा गया। उदाहरणस्वरूप: आवास, खाद्य सेवाएँ और निर्माण व उत्पादन क्षेत्र। बहुत से क्षेत्रों में यह सब हुआ। 
Pexels-Photo-Vlada Karpovich
क्षेत्रीय अन्तर इस मामले भी दिखा:
महमारी की इस मार में भी दुनिया के सारे क्षेत्र समान रूप से प्रभावित नहीं हुए हैं। मसलन, रिपोर्ट में दिखाया गया है कि महिलाओं के रोज़गार, अमेरिकी क्षेत्र के देशों में सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं जहाँ नौ प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट दर्ज की गई।
उसके बाद, अरब देशों में चार प्रतिशत गिरावट देखी गई और फिर एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के देशों में 3.8 प्रतिशत, योरोपीय देशों में 2.5 प्रतिशत और मध्य एशिया में 1.9 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई। 
अफ़्रीका में, वर्ष 2019 और 2020 के दरम्यान रोज़गारशुदा पुरुषों की संख्या में 0.1 प्रतिशत की कमी देखी गई, जबकि रोज़गारशुदा महिलाओं की संख्या में ये गिरावट 1.9 प्रतिशत थी। 
प्रभाव कम करने के प्रयास भी हो रहे हैं:
महामारी के पूरे समय के दौरन, ऐसे देशों में महिलाओं के हालात बेहतर रहे जहाँ उनके रोज़गार ख़त्म होने से रोकने के लिये समुचित उपाय किये गए और कार्यबल में उनकी वापसी जल्द से जल्द कराई गई। उदाहरण के लिये, चिली और कोलम्बिया में, नए रोज़गार दिये जाने वालों को वेतन में कुछ सहायता मुहैया कराई गई जबकि महिलाओं को इस सब्सिडी की दर ज़्यादा रखी गई। इसके अच्छे परिणाम भी सामने आए। कोलम्बिया और सेनेगल भी ऐसे देशों में शामिल रहे जहाँ महिला उद्यमियों के लिये या तो सहायता नए सिरे से शुरू की गई या पहले से जारी सहायता और ज़्यादा बढ़ाई गई। 
इस बीच, मैक्सिको और केनया में सार्वजनिक रोज़गार कार्यक्रमों के ज़रिये महिलाओं को लाभ गारण्टी सुनिश्चित करने के लिये कोटा निर्धारित किये गए। 
भविष्य के लिये निर्माण व उत्पादन
श्रम संगठन का कहना है कि इन असन्तुलनों के समाधान निकालने के लिये, लैंगिक सम्वेदनशील रणनीतियों को, पुनर्बहाली प्रयासों के केन्द्र में जगह देनी होगी। 
यूएन श्रम एजेंसी के अनुसार, देखभाल से जुड़ी अर्थव्यवस्था मे संसाधन निवेश किया जाना बहुत ज़रूरी है क्योंकि स्वास्थ्य, सामाजिक कार्य और शिक्षा क्षेत्र, रोज़गार सृजन के नज़रिये से अहम माने जाते हैं, ख़ासतौर से, महिलाओं के लिये। 
एक व्यापक, पर्याप्त व टिकाऊ सामाजिक संरक्षा तक सभी की पहुँच बनाने की दिशा में काम करके, मौजूदा लैंगिक खाई को कम किया जा सकता है

समान मूल्य के कामकाज के लिये समान वेतन को बढ़ावा देना भी सम्भवतः एक निर्णायक और अहम क़दम है। 

घरेलू हिंसा और कामकाज व लिंग आधारित हिंसा और उत्पीड़न ने, महामारी के दौरान स्थिति को और भी ज़्यादा ख़राब बना दिया. इस कारण, रोज़गार व आय वाली कामकाजी परिस्थितियों में महिलाओं के फिर से लौटने की योग्यता नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है। 

रिपोर्ट में, अभिशाप रूपी इस अन्तर या व्यवधान को तत्काल दूर करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया है। 

यूएन श्रम संगठन का कहना है कि निर्णय-निर्माण संस्थाओं में महिलाओं की भागीदारी और ज़्यादा प्रभावशाली सामाजिक संवाद को बढ़ावा देने से, निश्चित रूप से बड़ा बदलाव होगा। इस लिंक को भी देख सकते हैं आप  विषय पर पूरी रिपोर्ट को देखने पढ़ने के लिए। देश और दुनिया के अन्य भागों खास कर गांवों और कस्बों में महिलाओं के रोज़गार की स्थिति पर भी हम आपको बताने की कोशिश करते रहेंगे। ख़ास तौर पर कुटीर उद्योग एक बार फिर से नई उम्मीद बन क्र सामने आ रहे हैं। 


Friday, July 16, 2021

राष्ट्रीय महिला आयोग ने किया विशेष समझौता

 16-जुलाई-2021 17:08 IST 

 पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के साथ करार पर किये हस्ताक्षर 

पुलिस कर्मियों को लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए एक देश-व्यापी प्रशिक्षण कार्यक्रम

लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए लिए प्रयास 

नई दिल्ली: 16 जुलाई 2021: (पीआईबी//विमैन स्क्रीन)::

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने देशभर में पुलिस कर्मियों को लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष सुश्री रेखा शर्मा,  पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के महानिदेशक श्री वी.एस.के. कौमुदी, एडीजी श्री नीरज सिन्हा और डीआईजी (प्रशिक्षण) वंदन सक्सेना ने दिल्ली के महिपालपुर में स्थित बीपीआरएंडडी के मुख्यालय  में किया। दोनों संगठनों के बीच इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्यों और अधिकारियों की उपस्थिति में किए गए।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं से संबंधित कानूनों और नीतियों के संदर्भ में लैंगिक समानता के प्रति पुलिस कर्मियों की संवेदनशीलता को सुनिश्चित करना और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने के दौरान पुलिस अधिकारियों के रवैये और व्यवहार में बदलाव लाना है। महिला शिकायतकर्ताओं का पुलिस पर भरोसा बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय महिला आयोग नियमित रूप से पुलिस अधिकारियों को लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने संबंधी कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। इसी उद्देश्य के साथ राष्ट्रीय महिला आयोग ने लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों पर अधिकारियों को संवेदनशील बनाने और विशेष रूप से लैंगिक आधार पर होने वाले अपराधों के मामलों में पक्षपात एवं पूर्वाग्रह के बिना अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने के लिए उन्हें सशक्त बनाने के इरादे से देशभर में एक कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया है।

अपने संबोधन में, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष ने कहा कि विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारकों की वजह से महिला पीड़ितों के प्रति उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में एक अलग रूख रखा जाता है और इसलिए महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा से संबंधित सभी मामलों में पुलिस को लैंगिक दृष्टिकोण से संवेदनशील होकर कार्य करने की जरूरत है। सुश्री शर्मा ने कहा, “महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों से अधिक कारगर ढंग से निपटने के लिए पुलिस अधिकारियों में आवश्यक कौशल और रवैया विकसित करने के लिए यह जरूरी है कि सभी राज्यों के पुलिस संगठन सभी स्तरों पर पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने सहित सभी उपयुक्त पहल करें।”

इस अवसर पर बोलते हुए पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के महानिदेशक श्री वी.एस.के. कौमुदी ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के बीच इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर महिलाओं की सुरक्षा के प्रति पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाने की दिशा में सहयोग के एक नए चरण की शुरुआत है। यह कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों पर पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाना है, पूरी तरह से आयोग द्वारा प्रायोजित किया जाएगा और इसे बीपीआरएंडडी द्वारा अपनी इकाइयों एवं अन्य हितधारकों के साथ समन्वय बनाते हुए एक विशेष मॉड्यूल के जरिए आगे बढ़ाया जाएगा।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को विशेष तौर पर आवासीय मोड में एक लघु गहन पाठ्यक्रम के रूप में कुल मिलाकर 18 - 24 घंटे के अपेक्षित प्रशिक्षण के साथ तीन से लेकर पांच दिनों की अवधि के लिए आयोजित किया जाएगा। इसमें लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों, महिला संबंधी कानूनों, कार्यान्वयन एजेंसियों की भूमिका के साथ-साथ सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

राष्ट्रीय महिला आयोग, भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन महिलाओं के हितों की सुरक्षा और उन्हें बढ़ावा देने वाली राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च संस्था है। 

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एमजी/एएम/आर/डीवी

Monday, March 29, 2021

महिलाओं ने अभिनव वायरलेस उत्पाद विकसित किया

29-मार्च-2021 12:33 IST

 ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत में मिलेंगी विश्वसनीय इंटरनेट सेवाएं 


महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप एस्ट्रम ने एक अभिनव वायरलेस उत्पाद विकसित किया है जो टेलीकॉम ऑपरेटरों को उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत वाली विश्वसनीय इंटरनेट सेवाएं देने में मदद करेगा। यह फाइबर की कीमत के कुछ हिस्से में ही फाइबर की बैंडविड्थ प्रदान करता है।

भारत जैसे देशों में दूरदराज के स्थानों तक इंटरनेट पहुंचना मुश्किल है क्योंकि फाइबर बिछाना बहुत महंगा है। वायरलेस बैकहॉल उत्पादों की आवश्यकता है जो कम लागत, उच्च डेटा क्षमता और व्यापक पहुंच प्रदान कर सकें। वर्तमान में उपलब्ध, वायरलेस बैकहॉल उत्पाद या तो पर्याप्त डेटा गति या आवश्यक सीमा प्रदान नहीं करते हैं या उन्हें लगाना बहुत महंगा है।

गीगा मेश नामक वायरलेस उत्पाद दूरसंचार ऑपरेटरों को 5 गुना कम लागत पर गुणवत्ता, उच्च गति वाले ग्रामीण दूरसंचार बुनियादी ढांचे को तैनात करने में सक्षम बना सकता है। ग्रामीण संपर्क ग्राहक और रक्षा क्षेत्र के ग्राहक जिन्होंने पहले ही इस उत्पाद के लिए साइन अप कर लिया है, जल्द ही एस्ट्रम द्वारा इस उत्पाद के प्रदर्शन का गवाह बनेंगे।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर में इस स्टार्टअप को तैयार किया गया है और इसे भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के डीएसटी-एबीआई महिला स्टार्टअप प्रोग्राम द्वारा समर्थन प्राप्त है। इस स्टार्टअप ने अपने मिलीमीटर-वेव मल्टी-बीम टेक्नोलॉजी को 2018 में लैब में प्रमाणित किया था जिसके लिए कंपनी को भारत और अमेरिका में पेटेंट दिया गया है। तब सेप्रौद्योगिकी को गीगा मेश नामक एक शक्तिशाली और स्केलेबल उत्पाद में बदल दिया गया है, जो हमारे देश के आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी टेलीकॉम जरूरतों का बहुत कुछ हल कर सकता है। उत्पाद ने खुद को अपने क्षेत्र में साबित किया है और इसके आगामी व्यावसायीकरण के लिए भागीदार उत्पादों के साथ भी एकीकृत किया गया है।

एस्ट्रम में सह-संस्थापक और सीईओ डॉ. नेहा साटक ने कहा, "भारतीय विज्ञान संस्थान ने निवेशकों के साथ जुड़ने में मदद करने, व्यावसायिक सलाह प्रदान करने और हमारे उत्पाद क्षेत्र के परीक्षणों को संचालित करने के लिए हमें जगह देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।"  उन्होंने यह बात डीएसटी-एबीआई महिला स्टार्टअप पहल के तहत सप्ताह भर की यात्रा के अनुभव को याद करते हुए की जिसने अमेरिकी बाजार में लॉन्च के लिए तैयार करने के लिए यूएस वीसी इकोसिस्टम से बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।

एस्ट्रम को कनेक्टिविटी में मोस्ट प्रॉमिसिंग इनोवेटिव सॉल्यूशन के लिए आईटीयू एसएमई अव़ॉर्ड भी मिला। यह इस उत्पाद के लिए इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन से मिली एक प्रमुख पहचान है। उन्हें ईवो नेक्सस नामक एक प्रतिष्ठित 5-जी त्वरक कार्यक्रम (क्वालकॉम द्वारा प्रायोजित) द्वारा भी चुना गया जो उन्हें वैश्विक बाजार में अपने उत्पाद को लॉन्च करने में मदद करेगा।

मल्टी-बीम ई-बैंड उत्पाद गीगा मेश, एक में 6 पॉइंट-टू-पॉइंट ई-बैंड रेडियो पैक करता है जिससे डिवाइस की लागत कई लिंक पर वितरित होती है और इसलिए पूंजीगत व्यय कम हो जाता है। रेडियो प्रत्येक लिंक पर लंबी दूरी और मल्टी-जीबीपीएस डेटा थ्रूपुट प्रदान करता है। स्वचालित लिंक अलाइनमेंट, लिंक के बीच गतिशील बिजली आवंटन, और दूरस्थ लिंक गठन जैसी विशेषताएं ऑपरेटरों को महत्वपूर्ण परिचालन व्यय लागत में कमी लाने में मदद करती हैं।

एस्ट्रम वर्तमान में भारतीय विज्ञान संस्थान (विश्वविद्यालय परिसर) में एक क्षेत्र परीक्षण कर रहा है। इस फील्ड ट्रायल में कंपनी ने पहले ही कैंपस में मल्टी-जीपीएस स्पीड पर डेटा स्ट्रीमिंग हासिल कर ली है।

अधिक जानकारी के लिए डॉ. नेहा साटक (neha@astrome.co) से संपर्क किया जा सकता है।

एस्ट्रोम सीईओ और इंजीनियरिंग निदेशक आईईईई टेक्नॉलजी स्टार्टअप अव़ॉर्ड 2020 प्राप्त करते हुए।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के कैंपस में कनेक्टिविटी ट्रायल्स के लिए लगे गीगा मेश की तस्वीर।

एमजी/एएम/पीके

Thursday, March 18, 2021

डॉ. सोनू गांधी को मिला प्रतिष्ठित एसईआरबी महिला उत्कृष्टता पुरस्कार

 Thursday: 18th March 2021 09:56 IST

स्मार्ट नैनो उपकरणों पर कार्य करने वाली अनुसंधानकर्ता का सम्मान 

नई दिल्ली: 18 मार्च 2021: (पीआईबी//वीमेन स्क्रीन)::

हर क्षेत्र में महिलाएं तेज़ी से अपना लोहा मनवा रही हैं। शायद ही कोई फील्ड जहां नारी शक्ति की पहुँच न हो चुकी हो। रोग का पता लगाने के लिए कम लागत वाले स्मार्ट नैनो उपकरणों पर कार्य करने वाली अनुसंधानकर्ता को एसईआरबी महिला उत्‍कृ‍ष्‍टता पुरस्‍कार मिला है। इस अहभ अवसर पर एक बार फिर नारी शक्ति को सादर प्रणाम और  सलाम कहना बनता है। डाक्टर सोनू के इस अनुसंधान से अनगिनत लोगों को फायदा होने वाला है। खास तौर पर गठिया के रोगों और दिल की बिमारियों  से पीड़ित लोगों को। 

डाक्टर सोनू गाँधी की इस उपलब्धि को लेकर हर तरफ प्रसन्नता की लहर है। इस की समझ रखने वाले जानते हैं कि यह काम कितना महान है। राष्‍ट्रीय पशु जैव-प्रौद्योगिकी संस्‍थान (एनआईएबी), हैदराबाद की वैज्ञानिक डॉ. सोनू गांधी को प्रतिष्ठित एसईआरबी महिला उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने हाल ही में रुमेटीइड गठिया (आरए), हृदय रोग (सीवीडी) और जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) का पता लगाने के लिए एक स्मार्ट नैनो-उपकरण विकसित किया है। इस विकास का फायदा उन तक भी पहुंचेगा जिनकी जेब महंगे इलाज पर किसी तरह  की आज्ञा नहीं देती। 

इस क्षेत्र में यह बहुत ही महत्वपूर्ण एवार्ड जैसा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा स्थापित यह पुरस्कार, विज्ञान और इंजीनियरिंग के अग्रणी क्षेत्रों में युवा महिला वैज्ञानिकों की उत्कृष्ट अनुसंधान उपलब्धियों को मान्यता देकर सम्‍मानित करता है। इस सम्मान को प्राप्त करने वाले लम्ब्रे समय तक अनुसंधान की साधना करते हैं। 

इस तरह की खोजों से ही शीघ्र, सस्ते और सटीक इलाज का लाभ मिलने की संभावनाएं बनती हैं। डाक्टर सोनू गाँधी के समूह द्वारा विकसित स्मार्ट नैनो-उपकरण ने एमीन के साथ क्रियाशील ग्रेफीन और विशिष्ट एंटीबॉडी के सम्मिश्रण का उपयोग करके बीमारियों के बायोमार्कर का पता लगाने में मदद की। इसके फायदों का विस्तृत विवरण तो आगे चल कर ही पता चलेगा। 

इस पुरस्कार की खबर के संबंध में मिले विवरण के मुताबिक विकसित सेंसर से अल्ट्रा-उच्‍च सेंसिटिविटी, ऑपरेशन में आसानी और कम समय में प्रतिक्रिया मिलने जैसे कई महत्वपूर्ण फायदे मिलते हैं,  जिसे पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्टिंग के लिए आसानी से एक चिप में रखा जा सकता है। इस विकसित सेंसर ने पारंपरिक तकनीकों की तुलना में  स्पष्ट लाभ दर्शाया तथा यह अत्यधिक संवेदनशील है। वे रोगों का जल्‍द पता लगाकर त्‍वरित और  अधिक प्रभावी एवं कम खर्चीला उपचार सुनिश्चित कर सकते हैं। ज़ाहिर है इसका फायदा बहुत से ज़रूरतमंद लोगों को होगा। 

रिपोर्ट के मुताबिक उनका अनुसंधान ट्रांसड्यूसर नामक उपकरणों की सतह पर नैनो पदार्थ और जैव-अणुओं के बीच अंतर-क्रिया की प्रणाली की समझ पर आधारित है, जो एक प्रणाली से ऊर्जा प्राप्त करते हैं और बैक्टीरिया और वायरल रोग का पता लगाने, पशु चिकित्सा एवं कृषि अनुप्रयोग, खाद्य विश्लेषण और पर्यावरण निगरानी को लेकर बायोसेंसर की एक नई पीढ़ी के विकास के लिए इसे प्रसारित करते हैं। इससे इस विकास में काफी सहायता मिलती है। 

इस संबंध में डॉ. सोनू की प्रयोगशाला ने फलों और सब्जियों में मुख्य रूप से फफूंद और मिट्टी से पैदा होने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों का पता लगाने के लिए विद्युत-रसायन के साथ-साथ माइक्रोफ्लुइडिक-आधारित नैनोसेंसर विकसित किया है। एक समानांतर अध्ययन में, उसकी लैब ने कैंसर के बायोमार्कर की अल्ट्राफास्ट सेंसिंग विकसित की है। यूरोकीनेस प्‍लाजमीनोजेन एक्‍टिवेटर रिसेप्‍टर (यूपीएआर) नामक इस विकसित कैंसर के बायोसेंसर का इस्‍तेमाल एक मात्रात्मक उपकरण के रूप में किया जा सकता है, जिससे यह कैंसर रोगियों में यूपीएआर का पता लगाने में एक विकल्प बन जाता है। यह अनुसंधान 'बायोसेंसर एंड बायोइलेक्ट्रॉनिक' जर्नल में प्रकाशित हुआ है। दुनिया भर  चर्चा हो  रही है। 

हाल ही में, उसकी लैब ने दूध और मांस के नमूनों में टॉक्सिन (एफ्लाटॉक्सिन एम 1) का पता लगाने के लिए त्वरित और संवेदनशील माइक्रोफ्लुइडिक उपकरणों का निर्माण किया है, जिन्हें एप्टामर्स कहा जाता है। उन्होंने खाद्य सुरक्षा में गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण दोनों के लिए तत्‍काल खाद्य विषाक्त पदार्थों का  पता लगाने के लिए एफ्लाटॉक्सिन बी 1 का शीघ्र पता लगाने को लेकर माइक्रोफ्लुइडिक पेपर डिवाइस विकसित किया है। स्वास्थ्य पहलू के लिए संवेदनशील, किफायती और शीघ्र निदान के लिए सीआरआईएसपीआर-सीएएस13 और क्वांटम डॉट्स आधारित इलेक्ट्रोकेमिकल बायोसेंसर का उपयोग करके साल्मोनेला के बहुविध घटकों का पता लगाना उनकी एक वर्तमान परियोजना का लक्ष्य है।

वे नए किफायती तथा क्षेत्र-प्रयोज्‍य विश्लेषणात्मक उपकरणों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जो रोग का शीघ्र पता लगाने के लिए प्वाइंट ऑफ केयर (पीओसी) डायग्नोस्टिक्स उपलब्‍ध करते हैं, जिससे स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के लिए समय प्रबंधन की सुविधा मिलती है।

[अधिक जानकारी के लिए, डॉ. सोनू गांधी (gandhi@niab.org.in) से संपर्क किया जा सकता है।]