src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js'/> वीमेन स्क्रीन : महिला शक्ति:बेलन ब्रिगेड की शराबखोरी के ख़िलाफ़ जंग:अनीता शर्मा की ज़ुबानी

Sunday, October 26, 2025

महिला शक्ति:बेलन ब्रिगेड की शराबखोरी के ख़िलाफ़ जंग:अनीता शर्मा की ज़ुबानी

Received on Saturday 25th October 2025 at 14:48 WhatsApp From  Belan Brigade Movements Lovers 

बलकौर सिंह गिल ने चेताया था-वे तुम्हारी हत्या भी करवा सकते हैं 

ज़िंदगी के अलग अलग रंगों को देखते और महसूस करते हुए सुश्री अनीता शर्मा के कुछ पोज़ 
लुधियाना: 26 अक्टूबर 2025: अनीता शर्मा ने जैसे मीडिया लिंक की टीम को बताया 

इस बार की पोस्ट वास्तव में एक गाथा है नशे के खिलाफ लड़ी गई लम्बी जंग की। यह कुछ बरस पहले की बात है जब हर गली मोहल्ले में नशा मौत का नंगा नाच खेल रहा था। अकालीदल की हकूमत थी। नशा बेचने वाले नशा बेचने बहुत बेबाकी से नशा बेचते रहे। नशा लेकर बहुत से युवा लोग मरते रहे।  पुलिस नशे की ओवर डोज़ कह कर मामले ठंडे बस्ते में डालती रही जैसे मरने वाले बेगाने या दुश्मन देश के हों। पुलिस कभी कभार केस भी दर्ज करती। किसी की जेब में से डेढ़ ग्राम नशा मिलता और किसी की जेब में से दो ढाई ग्राम। बस एक और एफ आई आर जमा हो जाती। अख़बारों में छोटी मोटी खबर आ जाती। रायकोट में रहने जानेमाने बुद्धिजीवी बैनर्जी परिवार ने भी नशे के इस दंश को झेला है। उस वक़्त अनीता शर्मा और उनकी टीम ने ही हौंसला दिया था बैनर्जी परिवार को।  उस समय कैलाश सिनेमा के नज़दीक रहने वाले भाटिया परिवार ने भी अपना जवान बेटा खोने की गुहार अनीता शर्मा की टीम को ही सुनाई थी। पुलिस स्टेशन आठ के आमने सर्दियों की देर रात तक लगे धरनों जानीमानी लेखिका डाक्टर गुरचरण कौर कोचर ने भी स्वयं धरने में पहुँच कर अनीता शर्मा की टीम से कहा था कि हम हैं आपके साथ। शोभा वशिष्ट अनु, शीबा सिंह, कार्तिका सिंह स्वयं मैडम बैनर्जी भी इस धरने में शामिल रहे। 

चुनाव शायद उस समय भी नज़दीक ही लगने लगे थे। नशे की आंधी को रोकने के लिए उठा था बेलन ब्रिगेड का तूफान। इसकी संस्थापक रही मैडम अनीता शर्मा जो नवकिरण वूमेन वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्षा भी हैं। इसी दौर में सुप्रीम कोर्ट के जानमाने वकील और सियासतदान हरविंदर सिंह फूलका, मदन लाल बग्गा, मनप्रीत अयाली और बहुत से दुसरे लोग। कांग्रेस की नीता सतविंदर बिट्टी, जानेमाने उद्योगपति मेवा सिंह कुलार, वाम के सक्रिय नेता रमेश रत्न, उनके बेटे अरुण रत्न भी शामिल रहे। बहुत से इलाकों से सबंधित बहुत से नाम सब याद भी नहीं आ रहे। कई पत्रकार भी सक्रिय रहे आखिर मामला समाज को बचाने का था। 

अतीत के उस संघर्षमय और सुनहरी दौर पर अब मैडम अनीता शर्मा एक पुस्तक  ही लिख रही हैं।  जल्द ही वह किताब आपके सामने होगी। 

उस अतीत की बात करते हुए अनीता शर्मा कहती हैं कि उस समय तो हमने नशा सौदागरों के कहर को रोक लिया था लेकिन सियासतदानों पर भरोसा हमें महंगा पड़ा। बस थोड़ी देर ही हमें लगा कि हालात सुधर जाएंगे लेकिन हालात फिर बिगड़ते चले गए। याद आते हैं वृद्ध बुद्धजीवी बलकौर सिंह गिल जिन्होंने एक बज़ुर्ग की तरह अनीता शर्मा के सिर पर हाथ रख कर चेताया था कि बेटा नशे के कारोबार का मुकाबिला आसान नहीं है। फ़िल्मी कहानियां झूठी नहीं होती। काल्पनिक भी नहीं होती। उन कहानियों में सच होता है बस नाम और स्थान बदल जाते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा था बेटा वे लोग तुम पर गोली चलवा सकते हैं, एक्सीडेंट करवा सकते हैं और घर परिवार पर हमला करके गुंडागर्दी भी दिखा सकते हैं।

कुछ दिन बाद ही धमकियां भी मिलने लगीं। घर के आसपास संदिग्ध लोग भी घूमने लगे। घर में स्कूल जाने वाली दो बच्चियां और सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं। यह एक अग्नि परीक्षा थी। इसके बावजूद अनीता शर्मा ने कहा हार नहीं मानूंगी। मैं बलिदान को तैयार हूँ। हम चिंतित होते तो वह और भी उत्साह में आ कर अटल बिहारी वाजपेई जी की पंक्तियां गुनगुनाते... 

हार नहीं मानूंगा,
रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ।
गीत नया गाता हूं।
श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की इन पंक्तियों को याद दिलाते दिलाते अनीता शर्मा गीता उपदेश पर आ जाते। नुस्क्रा कर पूछते कुरुक्षेत्र की रणभूमि भूल गए क्या। बस अब कुरुक्षेत्र की रणभूमि पूरी दुनिया में फ़ैल गई है। आज भगवान कृष्ण भी नज़र नहीं आते। आज अर्जुन भी नज़र नहीं आता लेकिन यह जंग तो लड़नी ही होगी। सवाल तो मौजूद हैं कि कहां हैं आज के भीष्म पितामह? कहां हैं आज के गुरु द्रोणाचार्य? कहाँ हैं आज के विदुर? कहां हैं आज के युधिष्टर? कुरुक्षेत्र आज भी है! धर्मयुद्ध आज भी लड़ा जा रहा है।

आज पंजाब ही नहीं, पूरे देश में शराबखोरी और नशे की लत परिवारों की जड़ों को कमजोर कर रही है। परिवारों की जड़ों का कमज़ोर होना मतलब पूरे देश और समाज का कमज़ोर होना। 

जब कोई पुरुष शराब में डूब जाता है, तो उसके पीछे एक महिला होती है ---जो अपने घर को संभालती है, बच्चों के भविष्य को बचाती है, और खुद दर्द सहते हुए भी मजबूती से खड़ी रहती है।

लेकिन अब महिलाएं चुप नहीं हैं --बेलन ब्रिगेड महिलाओं की उस हिम्मत, साहस और जागरूकता का प्रतीक बन चुकी है।

शराब की लत का महिलाओं और परिवारों पर असर गंभीर असर होता है। 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, पंजाब में लगभग 29% पुरुष नियमित रूप से शराब का सेवन करते हैं, जिनमें से 7% पुरुष अत्यधिक शराब पीते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, जहां पुरुष शराबी होते हैं, वहां घरेलू हिंसा के मामले 65% तक बढ़ जाते हैं।

पंजाब में स्थिति चिंताजनक है:

हर तीसरी महिला शराब या नशे से जुड़ी घरेलू हिंसा का शिकार होती है।

परिवार की 20–25% आय शराब पर खर्च हो जाती है।

ग्रामीण महिलाएं दोहरी मेहनत करती हैं --- खेतों में काम और घर दोनों संभालती हैं।

हालात पहले भी बिगड़ गए थे। तभी हुई बेलन ब्रिगेड की शुरुआत:

बेलन ब्रिगेड की शुरुआत उस पल हुई, जब महिलाओं ने कहा ---“अब बहुत हो गया।”

जो बेलन कभी रसोई का प्रतीक था, वह अब महिलाओं की शक्ति, आत्म-सम्मान और सुरक्षा का प्रतीक बन गया है।

नवकिरण वूमेन वेलफेयर एसोसिएशन के सहयोग से, हजारों महिलाएं इस आंदोलन से जुड़ चुकी हैं ----गृहिणियां, शिक्षिकाएं, सामाजिक कार्यकर्ता और युवतियां।

हमारा उद्देश्य:

पुरुषों को नशे से मुक्त कराना, महिलाओं को सुरक्षा व आत्मनिर्भरता देना, और समाज में नशामुक्त वातावरण बनाना।

जब पुरुष गिरता है, तब महिला उठती है

जब पुरुष शराब या नशे में गिरता है, तब महिला घर की रीढ़ बनती है।

वह बच्चों की शिक्षा जारी रखती है।

वह घर की आर्थिक जिम्मेदारी उठाती है।

कई बार छोटे व्यवसाय शुरू कर परिवार को संभालती है।

और सबसे बढ़कर, वह हिम्मत नहीं हारती।

बेलन ब्रिगेड ऐसी ही हर महिला की शक्ति को सलाम करती है---जो दर्द को ताकत में बदल देती है।

हमारा काम और अभियान

1. जागरूकता अभियान --गांवों, स्कूलों और शहरों में शराब व नशे के खिलाफ़ रैलियाँ और संवाद।

2. पुनर्वास (रीहैबिलिटेशन) सहयोग -- शराबी पुरुषों को नशामुक्ति केंद्रों से जोड़ना।

3. कानूनी व मानसिक सहायता --महिलाओं को शिकायत, हेल्पलाइन और आत्मविश्वास के साधन देना।

4. आर्थिक सशक्तिकरण --महिलाओं को सिलाई, कला और उद्यम प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाना।

गौरतलब है कि कई बरस पहले भी महिलाओं को इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा महिलाओं को दिलवाये थे तांकि वे पैसरों पर खड़ी हो सकें। इंक नतीजा भीअच्छा निकला। बहुत से घर आर्थिक तौर पर सशक्त हो गए। घर की चिंता खत्म हुई तो फिर बहुत से लोगों की देश की चिंता समाप्त हो गई। आखिर नशे के खिलाफ आंदोलन कमज़ोर हो गया। नशे के खिलाफ जंग में अनीता शर्मा जैसा समर्पण  और उस तरह की प्रतिबद्धता सभी के पास संभव भी नहीं। हाँ उनके पति श्री श्रीपाल शर्मा है हमेशां उनका साथ देते हैं। एंकरिंग, फोटोग्राफी और ड्राईविंग में उन्हें ख़ास मुहर्त हासिल है। कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक के रुट और रास्ते उन्हें याद रहते हैं। वह गाते भी बहुत अच्छा हैं। शब्दों के उच्चारण और सांस वाली सुर पर उनकी अच्छी पकड़ है। 

नशे के खिलाफ बरसों पहले चलाए गए इस युद्ध के बहुत से अच्छे परिणाम भी निकले। 

परिवर्तन की आवाज़ें भी सामने आईं:

> “जब मेरे पति ने शराब छोड़ दी, तो हमारे बच्चों ने फिर से सपने देखने शुरू कर दिए। बेलन ब्रिगेड ने मुझे हिम्मत दी।” ---मंजीत कौर, लुधियाना

> “हम पुरुषों से नहीं, नशे से लड़ रहे हैं। क्योंकि हर शराबी पुरुष के पीछे एक महिला होती है जो अपने परिवार को बचाना चाहती है।”   --- अनीता शर्मा, संस्थापक--बेलन ब्रिगेड

आगे की राह

बेलन ब्रिगेड सिर्फ एक अभियान नहीं, यह एक सामाजिक क्रांति है।

हर महिला की आवाज़ से एक घर बचता है।

हर पुरुष की सुध से एक नई पीढ़ी जन्म लेती है।

सभी मिलकर हम पंजाब को नशामुक्त, सुरक्षित और सशक्त बना सकते हैं।

हमसे जुड़ें:

अगर आप भी इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं------

बेलन ब्रिगेड से जुड़िए।

आपके हाथ का बेलन सिर्फ रसोई का औजार नहीं,

बल्कि समाजिक जागरूकता और महिला शक्ति का प्रतीक है।

नशे को लेकर आप अकेले नहीं हैं...! किसी भी कठिनाई को अपनी मजबूरी न बनने दें...!

📞 हेल्पलाइन: 9417423238

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