श्रीमती कृष्णा तीरथ ने आयोग के 57वें सत्र में हिस्सा लिया
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा मानवाधिकार उल्लंघनों के व्यापक रुपों में से एक है जो महिलाओं को निजी तथा सार्वजनिक जीवन दोनों में सम्मानजनक जिंदगी के अधिकार से वंचित करता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति हिंसा के ताजा घटनाक्रम के मद्देनजर भारत सरकार महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे को समग्र दृष्टिकोण के साथ उच्चतम स्तर पर वरीयता दे रही है। इसके तहत निवारक और उपचारात्मक पहलुओं को संतुलित करने तथा लडकियों/महिलाओँ की सुरक्षा के लिए विभिन्न कानूनों और प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन पर बल दिया जा रहा है।
श्रीमती तीरथ ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 तथा संसद द्वारा हाल में पारित कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2013 का खास तौर पर जिक्र करते हुए महिलाओं के प्रति हिंसा को दूर करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न विधायी कदमों की जानकारी दी। उन्होंने महिलाओं के प्रति यौन अपराध करने वाले आरोपियों के लिए सुनवाई में तेजी और ऐसे अपराधियों को कड़ी सज़ा दिलाने के लिए मौजूदा आपराधिक कानूनों की समीक्षा तथा संशोधन की संस्तुतियों के वास्ते गठित न्यायमूर्ति जे.एस. वर्मा समिति का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि आपराधिक कानूनों में बदलाव की ज़रुरतों को देखते हुए सरकार ने 3 फरवरी 2013 को आपराधिक कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश पेश किया जिसमें न्यायमूर्ति वर्मा समिति की कुछ संस्तुतियों को शामिल किया है तथा संबद्ध पक्षों के विचारों को भी ध्यान में रखा गया है। इसके अलावा उन्होंने सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदमों की भी जानकारी दी।
श्रीमती तीरथ ने बताया कि महिला और बाल विकास मंत्रालय नागरिक समाज संगठनों, महिला कार्यकर्ताओं ,कानूनी विशेषज्ञों, विधि विशेषज्ञों समेत राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय संगठनों से महिला सुरक्षा को बढ़ावा देने के मुद्दे पर संबद्ध पक्षों से परामर्श कर रहा है।
वि.कासोटिया/विजयलक्ष्मी-1036
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