04-जनवरी-2013 15:26 IST
कानूनों की उपयुक्तता का दोबारा मूल्यांकन करने की ज़रूरत:गृह मंत्री
केंद्रीय गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि दिल्ली में हाल में हुई घटना और समाज में महिलाओं तथा कमज़ोर वर्गों के प्रति रोष को हमारे लोकतंत्र में स्वीकार नहीं किया जाएगा। श्री शिंदे आज नई दिल्ली में महिलाओं पर अपराधों तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के प्रति अत्याचारों पर मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इसे सख्त कदमों से रोके जाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि समूची व्यवस्था, हमारे हितधारकों की भूमिका, हमारे कानूनों की उपयुक्तता का दोबारा मूल्यांकन करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि स्कूल के स्तर से ही तथा हमारे समाज के हाशिए पर आए सभी लोगों के बीच जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने की ज़रूरत है। श्री शिंदे ने कहा कि सभी नागरिकों की सुरक्षा और रक्षा सरकार की जिम्मेदारी है।
श्री शिंदे ने कहा कि सरकार तथा आपराधिक न्याय प्रणाली सहित कानून लागू करने वाली एजेंसियों की भूमिका के समक्ष महत्वपूर्ण चुनौती है। उन्होने कहा कि इस युग और समय में ज्ञान और समानता हमारे प्रशासन के मूल सिद्धांत हैं तथा ये हमारी सरकार और प्रशासन के लिए मापदंड का पैमाना होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के 60 वर्ष के बाद तथा विभिन्न कानून लागू करने के बाद भी महिलाओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराधों में कमी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि यह साफ है कि कानून हल का एक भाग है लेकिन बड़ी समस्या इसके कार्यान्वयन में आती है जहां कई बार ज़मीनी वास्तविकताएं इन कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करने में बाधा बन जाती हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य ऐसी बाधाओं की पहचान करना, हमारे कानूनों तथा जांच की कार्य प्रणालियों और पद्धतियों में आवयक बदलावों के लिए सुझाव देना है ताकि सुनवाई जल्दी पूरी हो सके और अपराधी को समयबद्ध ढंग से सज़ा मिल सके।
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती कृष्णा तीरथ ने इस अवसर पर कहा कि राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श की प्रक्रिया जल्दी से जल्दी पूरी हो जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने इस संदर्भ में 28 दिसंबर, 2012 को सभी संबंधित व्यक्तियों के साथ भी विचार-विमर्श किया और प्रासंगिक कानूनों में शीघ्र बदलावों के लिए अपने सुझाव गृह मंत्रालय और न्यायमूर्ति वर्मा समिति को भेज दिए हैं।
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि उनके मंत्रालय में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण और उनके प्रति अत्याचारों पर नज़र रखने के लिए प्रतिबद्ध व्यवस्था ने 20 बार बैठकें की हैं तथा गृह मंत्रालय से उनके लिए कल्याण योजनाएं लाने का आग्रह कर रही है।
इस अवसर गृह राज्य मंत्री आर.पी.एन. सिंह, गृह राज्य मंत्री एम. रामाचंद्रन और गृह मंत्रालय, महिला और बाल कल्याण मंत्रालय तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। (PIB)
वि.कासोटिया /प्रियंका-53
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