आरती गुप्ता की पोस्ट कई बार विवादित हो जाती हैं लेकिन उनमें तर्क के लिहाज़ से कुछ गलत नहीं होता। उनकी एक काव्य पोस्ट आज कीस्थितियों पर हैं। परिवारों में बढ़ती हुई औपचारिकताएं पोस्ट के निशाने पर हैं। साथ ही आर्थिक स्थिति देख कर रिश्ते पालने पर भी कटाक्ष है। पढ़िए ज़रा इस रचना को। आपके इंतज़ार रहेगी ही। --सम्पादक आर्थिक स्टेटस पर कटाक्ष करती रचना
पिता जी ज़ोर से चिल्लाते हैं.
प्रिंस दौड़कर आता है, और पूछता है ~
क्या बात है पिताजी ?
पिताजी ~ तुझे पता नहीं है,
आज तेरी बहन रश्मि आ रही है ?
वह इस बार हम सभी के साथ
अपना जन्मदिन मनायेगी.
अब जल्दी से जा, और
अपनी बहन को लेके आ,
हाँ और सुन ...
तू अपनी नई गाड़ी लेकर जा, जो तूने
कल खरीदी है. उसे अच्छा लगेगा,
प्रिंस~ लेकिन मेरी गाड़ी तो मेरा
दोस्त ले गया है , सुबह ही.
और आपकी गाड़ी भी ड्राइवर ...
ये कहकर ले गया, कि
गाड़ी की ब्रेक चेक करवानी है.
पिताजी ~ ठीक है, तो तू स्टेशन तो जा,
किसी की गाड़ी लेकर या
किराया की करके.
उसे बहुत खुशी मिलेगी.
प्रिंस ~ अरे वह बच्ची है क्या ?
जो आ नहीं सकेगी ?
आ जायेगी, आप चिंता क्यों करते हो,
कोई टैक्सी या ऑटो लेकर.
पिताजी ~ तुझे शर्म नहीं आती ...
ऐसा बोलते हुए ?
घर में गाड़ियाँ होते हुए भी घर की बेटी
किसी टैक्सी या ऑटो से आयेगी ?
प्रिंस ~ ठीक है, आप चले जाओ !
मुझे बहुत काम हैं , मैं नहीं जा सकता.
पिताजी ~ तूझे अपनी बहन की
थोड़ी भी फिकर नहीं ?
शादी हो गई, तो क्या
बहन पराई हो गई ?
क्या उसे हम सबका प्यार पाने का
हक नहीं ?
तेरा जितना अधिकार है इस घर में,
उतना ही ... तेरी बहन का भी है.
कोई भी बेटी या बहन
मायका छोड़ने के बाद
पराई नहीं होती.
प्रिंस ~ मगर ... मेरे लिए तो वह
पराई हो चुकी है, और इस घर पर
सिर्फ मेरा अधिकार है.
तडाक ...!!
अचानक पिताजी का हाथ उठ जाता है
प्रिंस पर, और तभी माँ आ जाती है.
मम्मी ~ आप कुछ शर्म तो कीजिए,
ऐसे जवान बेटे पर हाथ
बिल्कुल नहीं उठाते.
पिताजी ~ तुमने सुना नहीं ,
इसने क्या कहा ?
अपनी बहन को पराया कहता है,
ये वही बहन है जो इससे
एक पल भी जुदा नहीं होती थी.
हर पल इसका ख्याल रखती थी.
पॉकेट मनी से भी बचाकर इसके लिए
कुछ न कुछ खरीद देती थी.
बिदाई के वक्त भी हमसे ज्यादा
अपने भाई से गले लगकर रोई थी.
और ये .... आज उसी बहन को
पराया कहता है.
प्रिंस (मुस्कुराकर) ~
बुआ का भी तो
आज ही जन्मदिन है, पापा ..!!
वह कई बार इस घर में आई है, मगर
हर बार अॉटो से आई है.
आप कभी भी अपनी गाड़ी लेकर
उन्हें लेने नहीं गये.
माना वह आज वह तंगी में है, मगर
कल वह भी बहुत अमीर थी.
आपको-मुझको-इस घर को,
उन्होंने दिल खोलकर सहायता और
सहयोग किया है.
बुआ भी इसी घर से बिदा हुई थी,
फिर रश्मि दीदी और बुआ में फर्क कैसा ?
रश्मि मेरी बहन है, तो ....
बुआ भी तो आपकी बहन है.
पापा ..!! आप मेरे मार्गदर्शक हो.
आप मेरे हीरो हो, मगर ....
बस इसी बात से मैं हर पल
अकेले में रोता हूँ ,
कि तभी बाहर ....
गाड़ी रूकने की आवाज आती है.
तब तक पापा भी प्रिंस की बातों से
पश्चाताप की आग मे जलकर रोने लगे,
कि तभी रश्मि दौड़कर
पापा मम्मी से गले मिलती है.
लेकिन उनकी हालत देखकर पूछती है
कि .... क्या हुआ पापा ?
पापा बोले ~ तेरा भाई ,
आज मेरा भी पापा बन गया है.
रश्मि ~ ए पागल ..!! नई गाड़ी न ?
बहुत ही अच्छी है.
मैं ड्राइवर को पीछे बिठाकर
खुद चलाके आई हूँ ,
और कलर भी मेरी पसंद का है.
प्रिंस ~ Happy birthday to you दी.
वह गाड़ी आपकी है, और हमारे तरफ से
आपको birthday gift .!!
बहन ... सुनते ही खुशी से
उछल पड़ती है, कि तभी
बुआ भी अंदर आती है.
बुआ ~ क्या भैया, आप भी न, ???
न फोन न ... कोई खबर,
अचानक भेज दी गाड़ी आपने,
भागकर आई हूँ , खुशी से.
ऐसा लगा कि पापा
आज भी जिंदा हैं.
इधर पिताजी ....
अपनी पलकों में आँसू लिये
प्रिंस की ओर देखते हैं.
और प्रिंस, पापा को
चुप रहने का इशारा करता है.
इधर बुआ कहती जाती है, कि मैं
कितनी भाग्यशाली हूँ.
कि मुझे आप जैसा भैया मिला,
पापा-मम्मी को पता चल गया था, कि
ये सब प्रिंस की करतूत है,
मगर आज ... एक बार फिर
रिश्तों को मजबूती से जुड़ते देखकर
वे खुशी से रोने लगे.
उन्हें अब पूरा यकीन था, कि ...
मेरे जाने के बाद भी मेरा प्रिंस
रिश्तों को सदा हिफाजत से रखेगा.
◆ बेटी और बहन ◆
ये दो बेहद अनमोल शब्द हैं.
जिनकी उम्र बहुत कम होती है,
क्योंकि
शादी के बाद बेटी और बहन
किसी की पत्नी तो किसी की भाभी
और किसी की बहू बनकर रह जाती हैं.
शायद लड़कियाँ इसीलिए
मायके आती होंगी, कि...
उन्हें फिर से
बेटी और बहन शब्द सुनने को
बहुत मन करता होगा.
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