11 जुलाई 2019
जनसंख्या में वृद्धों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ रही
टिकाऊ विकास के लिए 2030 की कार्यसूची स्वस्थ ग्रह पर सभी के लिए बेहतर भविष्य हेतु विश्व का ब्ल्यूप्रिंट है। विश्व जनसंख्या दिवस पर हम इस बात को मान्यता देते हैं कि यह अभियान जनसंख्या वृद्धि, वृद्ध होती जनसंख्या, प्रवास और शहरीकरण सहित जनसांख्यिकीय रुझानों से बहुत हद तक जुड़ा हुआ है।
विश्व की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन यह वृद्धि बहुत असमान है। विश्व के सबसे कम विकसित देशों के लिए टिकाऊ विकास की दिशा में सबसे बड़ी चुनौती तेजी से बढ़ती जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता है। दूसरे देशों में अन्य प्रकार की समस्याए हैं। वहां जनसंख्या में वृद्धों की संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा उन देशों को वृद्ध होते लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करने और पर्याप्त सामाजिक संरक्षण प्रदान करने की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है। जैसे कि विश्व में शहरीकरण बढ़ रहा है, 2050 तक विश्व की 68% जनसंख्या के शहरों में बसने का अनुमान है। ऐसी स्थिति में टिकाऊ विकास और जलवायु परिवर्तन बहुत हद तक शहरी विकास के सफल प्रबंधन पर निर्भर करेगा।
जनसंख्या के रुझानों को संभालने के साथ-साथ हमें जनसंख्या, विकास और व्यक्तिगत कल्याण के बीच के संबंधों को भी स्वीकार करना होगा। पच्चीस वर्ष पूर्व जनसंख्या और विकास पर काहिरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विश्व नेताओं ने सबसे पहले जनसंख्या, विकास और प्रजनन अधिकारों सहित मानवाधिकारों के बीच के संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि स्त्री-पुरुष समानता न सिर्फ सही दिशा में उठाया जाने वाला कदम है बल्कि टिकाऊ विकास और सभी के कल्याण के लिए भी सबसे भरोसेमंद मार्ग है। इस वर्ष का जनसंख्या दिवस विश्व स्तर पर आह्वान करता है कि काहिरा आईसीपीडी सम्मेलन के अधूरे काम को पूरा किया जाए।
मातृत्व मृत्यु दर और अनापेक्षित गर्भधारण को कम करने के बावजूद कई चुनौतियां बनी हुई हैं। दुनिया भर में हम आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं सहित महिला अधिकारों पर जोर दे रहे हैं। गर्भावस्था से संबंधित समस्याएं अब भी 15 से 19 वर्ष की लड़कियों की मृत्यु का प्रमुख कारण हैं। लिंग आधारित हिंसा जिसका कारण स्त्री-पुरुष असमानता है, भयावह स्थिति तक पहुंच चुकी है।
नवंबर में काहिरा सम्मेलन की 25वीं वर्षगांठ पर नैरोबी में एक शिखर सम्मेलन होगा। मैं सदस्य देशों से कहना चाहूंगा कि वे अधिक से अधिक संख्या में उसमें भाग लें। मैं उन्हें इस बात के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहूंगा कि वे आईसीपीडी के कार्रवाई कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दृढ़ राजनीतिक और वित्तीय प्रतिबद्धताएं जताएं।
आईसीपीडी की सोच को आगे बढ़ाने से उन लोगों को भी अवसर मुहैय्या होंगे जो किसी न किसी मामले में पिछड़ गए हैं। इसके अतिरिक्त इससे सभी के लिए स्थायी, न्यायसंगत और समावेशी विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
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