स्वास्थ्य पर विशेष लेख संतोष जैन पासी* वन्दना सब्बरवाल*
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अन्य प्रकारों से दिये गये दूध की तुलना में मां के दूध द्वारा सभी आयु के शिशुओं में कम मृत्युदर और अस्वस्थता देखी गई है। हाल ही में बच्चों के बचाव से संबंधित आंकड़ों के अध्ययन से यह जाहिर होता है कि पहले छह महीने के लिए सिर्फ मां का दूध पिलाने और छह से ग्यारह महीने की अवधि के लिए मां के दूध को जारी रखने से पांच वर्ष से नीचे के शिशुओं की म़ृत्यु दर में 13 से 15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार सभी नवजात शिशुओं को जन्म के पहले दिन से मां का दूध देने से 6 प्रतिशत और जन्म के एक घंटे के अन्दर मां का दूध दिये जाने से नवजात शिशु म़ृत्यु दर में 22 प्रतिशत की कमी की सकती है। मां का दूध कई संक्रमणकारी बीमारियों जिसमें डायरिया और स्वास्थ्य संबंधी शामिल हैं, से बचाव में मदद के साथ कई स्थायी समस्याओं जैसे उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, दिल की बीमारियों और कई अन्य बीमारियों से बचाव में मदद प्रदान करता है। मां का दूध पीने वाले बच्चों में उच्च बौद्धिक स्तर देखा गया है। यह मां और बच्चे के बीच एक भावनात्मक बंधन बढ़ाने के साथ उत्साह स्नेह और प्यार बढ़ाता है और इसलिए यह सिर्फ एक भोजन से कहीं अधिक है। मां का दूध साफ, बैक्टीरिया मुक्त, संक्रमण रोधी और जब आवश्यक हो तब हमेशा तैयार और उचित तापमान में उपलब्ध रहता है। इसके अतिरिक्त यह किफायती (विशेष तौर पर गरीब लोगों के लिए) और संदूषण से मुक्त होता है।
स्तनपान मां के लिए भी कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इससे खून की कमी में गिरावट रोकने के साथ-साथ मां को अपना स्वाभाविक रूप पुन: प्राप्त करने में भी मदद मिलती है। इससे स्तन और बच्चेदानी के कैंसर से भी सुरक्षा मिलती है। वे माताएं जो अपने शिशुओं को स्तनपान करातीं हैं वे अपने शिशुओं के साथ व्यवहारिक तालमेल और शिशु के पालन पोषण के संबंध में बेहतर नजर आतीं हैं। स्तनपान समाज के लिए भी लाभदायक है, क्योंकि इससे बच्चों की बीमारी में कमी आती है और परिवार पर पड़ने वाले वित्तीय दबाव को कम करने में मदद मिलती है। स्तनपान कराने से बच्चों के कम बीमार पड़ने के कारण माताएं अपने कार्य को अधिक कुशलता से कर सकतीं हैं अपने नियोक्ता के लाभ में वृद्धि करतीं हैं। इसलिए मां के प्यार के समान स्तनपान का कोई विकल्प नहीं है। (पत्र सूचना कार्यालय) 07-सितम्बर-2012 19:45 IST
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1 से 7 सितम्बर राष्ट्रीय पोषक सप्ताह के रूप में मनाया जाता है
* इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकनॉमिक्स में एसोसिएट प्रोफेसर (पोषण)
* इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकनॉमिक्स में अनुसंधान शोधार्थी
लेख में व्यक्त किये गये विचार लेखक के अपने हैं और यह जरूरी नहीं है कि पत्र सूचना कार्यालय इनसे सहमत हो
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