10 अक्तूबर 2019//यूएनआईसी/प्रेस विज्ञप्ति/213-2019//Posted on 15th October 2019 By UN India Hind
जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव उनकी मुश्किलें बढ़ा देते हैं
ग्रामीण महिलाएं अनेक समुदायों की रीढ़ होती हैं। किंतु वे हमेशा ऐसी बाधाओं का सामना करती है जो उन्हें अपनी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं करने देती। जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव उनकी मुश्किल है बढ़ा रहे हैं।
दुनिया भर में लगभग एक-तिहाई महिलाएं खेती में काम करती हैं। महिलाएं जमीन से फसल उगाती हैं, आहार, पानी और आवश्यक ईंधन जुटाती हैं और पूरे परिवार को सहारा देती हैं फिर भी उन्हें जमीन, वित्तीय सुविधाओं, उपकरणों, बाजारों और निर्णय लेने की शक्ति में बराबर भागीदारी नहीं मिलती।
जलवायु परिवर्तन इस असमानता को बढ़ा रहा है जिससे ग्रामीण महिलाएं और लड़कियां और पीछे छूटती जा रही हैं। 2006 से 2016 के बीच जलवायु से जुड़ी आपदाओं से कुल क्षति और नुकसान की एक-चौथाई मार विकासशील देशों में कृषि क्षेत्र पर पड़ी है और ऐसी आपदाओं से महिलाओं ने बेहिसाब कष्ट भोगा है।
इसके साथ ही यह भी सच है ग्रामीण महिलाओं के पास ज्ञान और कौशल का ऐसा भंडार है जो समुदायों और समाजों को प्रकृति पर आधारित, कम कार्बन उत्सर्जक समाधानों के जरिए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुरूप ढलने में मदद कर सकते हैं। किसान और उत्पादक के रूप में, महिलाएं, जलवायु में परिवर्तन और सूखे, गर्मी की मार तथा अत्यधिक वर्षा जैसे झटकों का सामना करने के लिए पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह के तरीके अपनाने में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं।
ग्रामीण महिलाओं की बात सुनने और उनकी आवाजों को अधिक शक्ति देने के प्रयास जलवायु परिवर्तन के बारे में ज्ञान का प्रसार करने और सरकारों, कारोबारी तथा समुदाय के नेताओं से कार्रवाई का आग्रह करने में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। खेती की नई तकनीक को सबसे पहले अपनाने वालों संकट में सबसे पहले कार्रवाई करने वालों और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उद्यमियों के रूप में ग्रामीण महिलाएं ऐसी शक्तिशाली संसाधन है जो वैश्विक प्रगति को संचालित कर सकती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आइए दुनिया भर में ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों को सहारा देकर ऐसे भविष्य की दिशा में ठोस कदम उठाएं।